Saturday, July 26, 2025
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रोजाना खाते हैं चिकन तो यह कैंसर होना पक्का! सर्वे में सामने आया डराने वाला सच


अगर आप नॉन वेज खाने के शौकीन हैं तो आपकी थाली में चिकन जरूर शामिल होता होगा. अगर इसका जवाब हां है तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि इटली में हुई एक नई स्टडी में चौंकाने वाला दावा हुआ है. रिसर्च के मुताबिक, हफ्ते में चार बार या उससे ज्यादा चिकन खाने से पेट के कैंसर (गैस्ट्रिक कैंसर) का खतरा बढ़ सकता है. यह स्टडी न्यूट्रिएंट्स नामक जर्नल में पब्लिश हुई है. इसमें 4000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया था. प्रतिभागियों से उनकी डेमोग्राफिक डिटेल्स, हेल्थ कंडीशन, लाइफस्टाइल आदतें और पर्सनल हिस्ट्री से जुड़ी जानकारी ली गईं. इसके अलावा उन्हें डिटेल फूड क्वेश्चनर दिया गया, जिसमें खास तौर पर यह पूछा गया कि वे कितनी मात्रा में मांस खाते हैं. मांस को रेड मीट, पोल्ट्री और टोटल मीट में बांटा गया था.

स्टडी में सामने आई यह बात

स्टडी के दौरान कई प्रतिभागियों की मौत भी हुई. जिन लोगों की मौत गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से जुड़ी जटिलताओं के कारण हुई, वे औसतन ज्यादा मांस खाने वाले थे.

चिकन खाने से कैंसर का खतरा क्यों?

रिसर्च के मुताबिक, जो लोग हफ्ते में 300 ग्राम से ज्यादा पोल्ट्री खाते हैं, उनमें मरने का खतरा 27 प्रतिशत ज्यादा पाया गया, उनकी तुलना में जो 100 ग्राम से कम खाते हैं. खास बात यह है कि जितनी ज्यादा मात्रा में चिकन खाया गया, खतरा उतना बढ़ा. पुरुषों में यह जोखिम और भी ज्यादा निकला. जो पुरुष हफ्ते में 300 ग्राम से ज्यादा चिकन खाते थे, उनमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से मौत का खतरा दोगुना पाया गया.

क्या हो सकते हैं कारण?

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसका सटीक कारण अभी साफ नहीं है, लेकिन उनके कुछ अनुमान हैं.

  • ओवरकुकिंग का खतरा: चिकन को ज्यादा पकाने पर म्यूटेजन्स नामक केमिकल बनते हैं, जो डीएनए में बदलाव (म्यूटेशन) कर सकते हैं. ये बदलाव कई बार खतरनाक साबित होते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं.
  • फीड में मौजूद केमिकल: मुर्गियों के चारे में इस्तेमाल होने वाले हार्मोन और कीटनाशक भी इंसानों में कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.

पुरुषों में ज्यादा खतरे को लेकर शोधकर्ता भी असमंजस में हैं. उनका मानना है कि हार्मोनल डिफरेंस भी इसमें भूमिका निभा सकता है. उन्होंने चूहों पर हुई एक स्टडी का हवाला दिया, जिसमें पाया गया कि महिलाओं में पाया जाने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन मेटाबॉलिज्म और बीमारी के रिस्क को प्रभावित करता है. हालांकि, रिसर्चर्स का कहना है कि इन सभी पहलुओं पर और गहन स्टडी की जरूरत है. साथ ही, उन्होंने यह भी जोड़ा कि पुरुषों और महिलाओं के डाइट पैटर्न में भी बड़ा अंतर होता है. आमतौर पर महिलाएं छोटे हिस्से में भोजन करती हैं, जो उनके लिए सुरक्षित हो सकता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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