लखनऊ में नगर निगम मुख्यालय पर उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय कर्मचारी संघ के बैनर तले काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन चल रहा। मंगलवार को कर्मचारियों को रोडवेज के कर्मचारी संगठनों ने भी समर्थन दे दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि महासंघ ने शुक्रवार को घोषण
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10 नवंबर तक मांगे पूरी नहीं की गई तो पूरी तरह से कार्यबंदी की जाएगी। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शशि मिश्रा का कहना है कि 10 नवंबर तक कर्मचारी पेंशन पर हैं अगर हमारी मांगे नहीं पूरी की गई तो पूरे प्रदेश के कर्मचारी अब धरने पर बैठ जाएंगे।
काला फीता बांधकर जता रहे विरोध
महासंघ ने यह भी फैसला लिया है कि इस अवधि में कर्मचारी काला फीता बांधकर काम करेंगे और इस साल दीपावली पर्व को सामूहिक रूप से न मनाने का संकल्प लिया गया है। महासंघ के अनुसार, कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांग पत्र पिछले आठ वर्षों से नगर विकास विभाग में लंबित पड़ा है। इनमें मुख्य रूप से अकेंद्रित कर्मचारियों की सेवा नियमावली और 31 दिसंबर 2001 तक दैनिक वेतन, संविदा तथा तदर्थ (धारा 108) पर कार्यरत कर्मचारियों का नियमितीकरण शामिल है। महासंघ ने बताया कि समय-समय पर मंत्री नगर विकास और प्रमुख सचिव स्तर पर छह महत्वपूर्ण बैठकें हो चुकी हैं, जहां समयबद्ध समाधान का आश्वासन दिया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मांगो को नजर अंदाज करने का आरोप
9 अक्टूबर का धरना और 16 अक्टूबर की बैठक9 अक्टूबर को लखनऊ के हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर विशाल धरना-प्रदर्शन के दौरान महासंघ ने ज्ञापन सौंपा था। इसके बाद 16 अक्टूबर को विशेष सचिव नगर विकास सत्य प्रकाश पटेल की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें अपर निदेशक स्थानीय निकाय सहित विभागीय अधिकारी और महासंघ के प्रदेश पदाधिकारी मौजूद थे। बैठक में केवल दो बिंदुओं—अकेंद्रित कर्मचारियों की सेवा नियमावली और पुराने कर्मचारियों के नियमितीकरण—पर चर्चा हुई, बाकी मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया।
मांग नहीं पूरी होने पर बंद होगा कामकाज
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा ने बताया, “प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 9 अक्टूबर के ज्ञापन के अनुसार प्रदेशव्यापी कार्यबंदी की जाएगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार, शासन और नगर विकास विभाग की होगी।” उन्होंने कहा कि आंदोलन के अगले चरण में हर कार्यदिवस दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक लखनऊ नगर निगम मुख्यालय पर प्रदेश की सभी इकाइयों से कम से कम पांच प्रतिनिधि क्रमिक अनशन में भाग लेंगे।
कर्मचारियों में गुस्सा
प्रदेश के 17 नगर निगमों से जुड़े हजारों कर्मचारी इस आंदोलन से जुड़ने को तैयार हैं। पिछले दिनों आयोजित धरनों में वेतन, पीएफ बकाया और स्थायी नौकरी की मांगें प्रमुख रहीं। महासंघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि शासन स्तर पर तत्काल आदेश जारी करवाएं, वरना आंदोलन और तेज होगा।यह आंदोलन न केवल कर्मचारियों के हक की लड़ाई है, बल्कि स्थानीय निकायों की सेवाओं पर भी असर डाल सकता है।

