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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बीफ, कॉफी और फलों सहित दर्जनों कृषि उत्पादों पर लगे टैरिफ को हटाने का फैसला किया है। इसके पीछे मंहगाई को बड़ी वजह बताया जा रहा है। हाल ही में हुए मेयर और गर्वनर चुनाव में मंहगाई बड़ा मुद्दा थी।
ट्रम्प प्रशासन के अनुसार यह कदम उन उत्पादों की कीमतों को स्थिर करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इन पर लगाए गए टैरिफ का बोझ सीधे उपभोक्ताओं पर पड़ रहा था। बीफ, कॉफी, चाय, फलों का जूस, कोको, मसाले, केले, संतरे, टमाटर और कुछ खाद उत्पादों को टैरिफ फ्री कैटेगरी में शामिल किया गया है।
पिछले महीनों में बीफ सहित कई खाद्य उत्पादों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। ब्राजील जैसे बड़े निर्यातक देशों पर बढ़े आयात शुल्क को भी लागत बढ़ने की एक वजह माना जा रहा था। हालांकि ट्रम्प प्रशासन पहले दावा करता रहा है कि टैरिफ से कीमतों पर खास असर नहीं पड़ता।
अमेरिका ने हाल ही में इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, अल सल्वाडोर और अर्जेंटीना के साथ कृषि टैरिफ घटाने पर समझौते किए हैं। नए आदेश को इन्हीं समझौतों के मुताबिक बताया जा रहा है।
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PAK आर्मी चीफ मुनीर ने एक और सुप्रीम कोर्ट बना दी, 24 घंटे के भीतर सीजे को शपथ दिलाई

पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने अब न्यायपालिका पर भी शिकंजा कस लिया है। मुनीर ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से 27वां संविधान संशोधन विधेयक पास करवा कर सुप्रीम कोर्ट के समानांतर संघीय संवैधानिक कोर्ट (एफसीसी) का गठन कर दिया।
विधेयक पास हाेने के 24 घंटे के भीतर ही मुनीर ने शुक्रवार दोपहर एफसीसी के चीफ जस्टिस के रूप में अमीनुदुदीन खान को शपथ दिलवा दी। पाक के इतिहास में पहली बार सीजे के शपथ ग्रहण समारोह में बतौर आर्मी चीफ मुनीर ने शिरकत की।
एफसीसी के गठन और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों में कमी का विरोध भी शुरू हो गया है।
शुक्रवार को पूर्व सीजे उमर अता बंदियाल सहित सुप्रीम कोर्ट के 7 अन्य पूर्व जजों ने इस्लामाबाद में बैठक की। इसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील भी शामिल हुए। बंदियाल का कहना है कि पाक में न्यायपालिका को सेना के जूतों तले कुचला जा रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 2 जज गुरुवार को इस्तीफा दे चुके हैं।
चीन से नोट छपवा रहे भारत के 5 पड़ोसी देश:नेपाल ने 43 करोड़ नोट प्रिंटिंग का टेंडर दिया

भारत के अधिकांश पड़ोसी देशों की तरह ही नेपाल भी अब अपनी करेंसी प्रिंटिंग के लिए चीन का रुख कर रहा है। नेपाल राष्ट्रीय बैंक (NRB) ने 7-8 नवंबर को 1000 रुपए के 43 करोड़ नोटों की प्रिंटिंग के लिए एक टेंडर जारी किया था।
इस टेंडर को चीन की एक कंपनी ने जीत लिया है। इसके बाद नेपाली बैंक ने चाइना CBPMC को टेंडर दे दिया। 1945 से 1955 तक नेपाल के सभी नोट भारत की नासिक स्थित सिक्योरिटी प्रेस में छपे और उसके बाद भी भारत ही मुख्य साझेदार बना रहा।
हालांकि, 2015 में नेपाल राष्ट्रीय बैंक (एनआरबी) ने वैश्विक टेंडर के जरिए चाइना बैंक नोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (CBPMC) को कॉन्ट्रैक्ट दे दिया, जिसके बाद नेपाल के ज्यादातर नोट चीन में ही छपने लगे।
नेपाल के अलावा श्रीलंका, मलेशिया, बांग्लादेश, थाईलैंड भी अपनी करेंसी चीन में छपवाते हैं। पिछले कुछ सालों में चीन एशियाई देशों की करेंसी का बड़ा केंद्र बन चुका है। इससे अमेरिका-ब्रिटेन के मुद्रा छापने वाले बाजार पर नेगेटिव असर पड़ रहा है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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