32 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
अमेरिका में थैंक्सगिविंग डे के मौके पर राष्ट्रपति ट्रम्प ने दो टर्की मुर्गों गॉबल और वैडल को क्षमादान दिया। इसे लेकर व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
ट्रम्प ने कार्यक्रम के दौरान जो पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी मजाक किया। उन्होंने कहा कि बाइडेन ने पिछले साल टर्कियों को ऑटो-पेन से साइन करके माफी दी थी, इसलिए वे उस माफी को मान्य नहीं मानते।
इस साल समारोह में थोड़ा बदलाव भी किया गया था। पहली बार सिर्फ एक टर्की को मंच पर लाया गया। मेलानिया ट्रम्प के दफ्तर ने पहले ही जनता से वोटिंग कराई थी कि कौन-सा टर्की राष्ट्रपति के सामने पेश होगा।
वोटिंग में गॉबल जीत गया। जब ट्रम्प भाषण दे रहे थे तो गॉबल बार-बार तेज आवाज करके बीच में बोलता रहा, जिससे माहौल हंसी-मजाक से भरा रहा।
गॉबल और वैडल दोनों नॉर्थ कैरोलिना में पैदा हुए थे। एक का वजन 23 किलो है और दूसरे का 22 किलो है। व्हाइट हाउस पहुंचने से पहले दोनों टर्कियों को बड़े शोर, रोशनी और भीड़ की आदत डलाई गई थी, जैसे वे किसी बड़े समारोह की तैयारी कर रहे हों। वे वॉशिंगटन में एक शानदार होटल के सुइट में भी ठहरे थे।
समारोह के बाद दोनों टर्कियों को नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी ले जाया जाएगा, जहां वे आराम से अपनी जिंदगी गुजारेंगे। टर्की को माफ करने की परंपरा बहुत पुरानी है, जिसका जिक्र अब्राहम लिंकन के दौर से मिलता है। बाद में 1947 से यह समारोह हर साल व्हाइट हाउस में होता आया है।
कहा जाता है कि 1863 में राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बेटे टैड ने अपने पिता से एक टर्की को बचाने की गुजारिश की थी जो क्रिसमस डिनर के लिए भेजी गई थी। लिंकन ने उसे माफ कर दिया। यह सबसे पहला दर्ज किया गया मामला है।
1947 में ट्रूमैन प्रशासन के समय नेशनल टर्की फेडरेशन ने व्हाइट हाउस को हर साल थैंक्सगिविंग के लिए एक टर्की भेजना शुरू किया। उस समय टर्की को खाया जाता था, माफ नहीं किया जाता था। 1960 के दशक से कुछ राष्ट्रपतियों ने मजाक में टर्की को माफ कर दिया और उसे किसी फार्म या चिड़ियाघर में भेज दिया।
1989 में राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने पहली बार औपचारिक रूप से प्रेस के सामने टर्की को क्षमादान दिया। तब से यह हर साल होता है। इसके बाद आने वाले हर राष्ट्रपति ने यह परंपरा निभाई है।
अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ी अन्य बड़ी खबरें…
इथियोपिया से आई राख के कारण भारत ने विमान 4 हजार फीट नीचे उड़ाए, हर घंटे हवा जांची

इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख कल जब पूर्व दिशा में बढ़ने लगी तो भारत में गंभीर स्थिति बन गई, क्योंकि यदि राख के कण विमानों से टकराते तो हवा में हादसे की आशंका थी। ज्वालामुखी की राख (ऐश) 45,000 फीट ऊपर तक जा रही थी, जबकि विमान इससे नीचे उड़ते हैं। भारत के सामने पहली बार ऐसे हालात बने थे, इसलिए सरकार ने रियल टाइम वोल्कैनिक ऐश रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल सक्रिय किया।
इसमें विमानन मंत्रालय की निगरानी में एयर ट्रैफिक कंट्रोल, मौसम विभाग, एयरलाइंस और अंतरराष्ट्रीय एविएशन एजेंसियों ने साथ काम शुरू किया।
सबसे पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने नोटम (नोटिस टू एयर मिशन) जारी कर एयरलाइंस को अलर्ट किया। फिर माइक्रो डिसेंट मॉडल लागू किया। इसमें कुछ विमानों को उनकी न्यूनतम उड़ान ऊंचाई से 2 से 4 हजार फीट नीचे उड़ाया गया।
दिल्ली और मुंबई स्थित फ्लाइट इन्फॉर्मेशन रीजन में हर घंटे ऊंचाई वाली हवा में राख कणों का जोखिम जांचा गया। इसके लिए IMD के लिडार स्कैन, वोल्कैनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर और एयर स्पीड पूर्वानुमानों का हर 30 मिनट में विश्लेषण किया गया। हर 90 मिनट में विमानों को अपडेट भेजे, तब जाकर हालात काबू में आए।
माइक्रो डिसेंट मॉडल क्या है? इसमें विमान को ऐश-लेयर से दूर ले जाने के लिए ऊंचाई में बदलाव करते हैं। इसका आधार एक वैज्ञानिक जोखिम मैप है।
इससे पहले ऐसे हालात दो बार बने थे। पहली बार, ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट BA-9 थी, जिसमें सभी चार इंजन ऐश-इंजेस्टन के कारण बंद हो गए थे। दूसरा, KLM-867, जिसमें इंजन क्षतिग्रस्त हुए थे।
दोनों विमान आइसलैंड और यूरोप के माउंट एटना विस्फोटों की राख से बिगड़े थे। इसी के बाद दुनिया ने वोल्कैनिक ऐश को ‘इनविजिबल हैजर्ड’ माना था और सख्त प्रोटोकॉल बनाए थे।
ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो को 27 साल जेल:चुनाव में हार के बाद तख्तापलट की साजिश की थी; अगस्त से नजरबंद थे

ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो (70) को वहां की सुप्रीम कोर्ट ने तख्तापलट की साजिश के मामले में 27 साल की सजा सुनाई। मंगलवार को ये फैसला आया।
पूर्व राष्ट्रपति पर आरोप है कि उन्होंने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में हार के बावजूद सत्ता में बने रहने के लिए मौजूदा राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा की सरकार गिराने की साजिश रची थी।
सुनवाई के दौरान बोल्सोनारो की कानूनी टीम ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ अंतिम अपील नहीं की, जिसके बाद जस्टिस अलेक्जेंड्रे मोराएस ने 27 साल की सजा लागू करने का आदेश दिया।
जज ने आदेश दिया कि बोल्सोनारो को फिलहाल राजधानी ब्राजीलिया में फेडरल पुलिस हेडक्वार्टर में ही रखा जाएगा, जहां वे शनिवार से ‘फरार होने की आशंका’ के कारण पहले ही प्री-अरेस्ट हैं। पढ़ें पूरी खबर…

