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Bollywood Cult Movies : हर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को भरोसा होता है कि उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित होगी. इसी विश्वास पर हर फिल्म बनाई जाती है. अधिकांश मौकों पर यह भरोसा टूट ही जाता है. गिनी-चुनी फिल्में ही सुपरहिट-ब्लॉकबस्टर निकलती हैं. तीन साल के अंतराल में ऐसी ही 4 फिल्में रिलीज हुईं जो बॉक्स ऑफिस पर तो फ्लॉप रहीं लेकिन टीवी पर जब प्रसारित हुईं तो दर्शकों ने उनकी अहमियत समझीं. आज ये फिल्में कल्ट मूवी का स्टेटस पा चुकी हैं. कई सिनेमा लवर्स यूट्यूब पर इन फिल्मों को 50 से भी ज्यादा बार देख चुके हैं. आज ये फिल्में मास्टरपीस कहलाती हैं.
कुछ फिल्में की स्टोरी लाइन को आप सहज रूप से समझ जाते हैं. मोबाइल चलाते हुए या घर का कामकाज करते हुए इन फिल्मों को देख लेते हैं. कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनका एक-एक सीन, एक-एक डायलॉग रोमांचित कर देता है. ऐसी फिल्मों को मन-मस्तिष्क पर जोर देकर देखना पड़ता है. इन फिल्मों के कैरेक्टर थिएटर्स से निकलने के बाद भी आपका पीछा करते हैं. आपके मन-मस्तिष्क में लंबे समय तक बने रहते हैं. तीन साल के अंतराल में बॉलीवुड में ऐसी ही चार फिल्में आईं जो बॉक्स ऑफिस पर तो फ्लॉप रहीं लेकिन आज इनकी गिनती कल्ट मूवी में होती हैं. ये फिल्में थीं : कंपनी, पिंजर, मकबूल और सहर.

सबसे पहले बात करते हैं 12 अप्रैल 2002 में आई रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘कंपनी’ की. मुंबई अंडरवर्ल्ड पर बनी यह फिल्म कल्ट मूवी का स्टेटस ले चुकी है. इस फिल्म की कहानी, किरदार, घटनाएं, लोकेशन बहुत ही रियलिस्टिक थी. इस फिल्म के 2000 के दशक की बेस्ट मूवी में से एक माना जाता है. रामगोपाल वर्मा ने 1998 में सत्या बनाई. भीखू म्हात्रे का किरदार इतना पॉप्युलर हुआ था कि मनोज बाजपेयी की पहचान जुड़ गई. सत्या के बाद रामगोपाल वर्मा ने मुंबई अंडरवर्ल्ड पर और काम किया. इस दौरान उन्हें मुंबई अंडरवर्ल्ड कैसे काम करता है, कैसे फिल्मों में पैसा लगाता है, कैसे सुपारी ली जाती है, इन सबके बारे में जानकारी जुटाई. फिर एक प्लॉट तैयार किया.

अजय देवगन, विवेक ओबेरॉय, मनीषा कोइराला, अंतरा माली, मलयालम सिनेमा के दिग्गज स्टार मोहनलाल, सीमा विश्वास और आकाश खुराना जैसे सितारों से सजी कंपनी फिल्म की कहानी जयदीप साहनी ने लिखी थी. फिल्म की कहानी काफी हद तक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन से इंस्पायर थी. दोनों 90 के दशक में मुंबई पर राज करते थे. दाऊद के मुंबई से विदेश भागने के बाद छोटा राजन मुंबई का बिजनेस संभालने लगा. बाद में दोनों एकदूसरे के जानी दुश्मन बन गए. दाऊद ने छोटा राजन पर 2000 में बैकॉक में जानलेवा हमला भी करवाया था. दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच दोस्ती-दुश्मनी की यह कहानी प्रोड्यूसर हनीफ कड़ावाला ने रामगोपाल वर्मा को बताई थी. कड़ावाला को 1993 में मुंबई बम धमाकों के केस में 5 साल की सजा सुनाई गई थी. 2001 में हनीफ कड़ावाला की हत्या उसके ऑफिस में कर दी गई थी जिसका आरोप छोटा राजन पर लगा था. फिल्म में भी दिखाया गया है कि अजय देवगन और विवेक ओबेरॉय मिलकर गैंग चलाते हैं. फिर दोनों में दुश्मनी हो जाती है.

कंपनी फिल्म में मुंबई पुलिस कमिश्नर का रोल मलायलम सिनेमा के सुपरस्टार मोहनलाल ने निभाया था. यह रोल भी रियल लाइफ में मुंबई पुलिस कमिश्नर धनुषकोड़ी शिवानंदन से इंस्पायर्ड था जो 1998 से 2001 तक मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे. इस दौरान उन्होंने दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और अरुण गवली जैसे खूंखार अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाया. कंपनी फिल्म से विवेक ओबेरॉय ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था. कंपनी फिल्म का बजट करीब 8 करोड़ रुपये रखा गया था. फिल्म ने 25 करोड़ का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था.

24 अक्टूबर 2003 को एक फिल्म बॉक्स ऑफिस पर आई थी, जिसमें मनोज बाजपेयी, उर्मिला मांतोडकर, संजय सूरी, ईशा कोपिकर, फरीदा जलाल, संदाली सिन्हा, प्रियांशु चटर्जी और कुलभूषण खरबिंदा अहम भूमिकाओं में थे. नाम था : पिंजर. यह एक हिस्टोरिकल ड्रामा फिल्म थी जिसे चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने डायरेक्ट किया था. भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को फिल्म में दिखाया गया था. फिल्म में किसी एक समुदाय को हीरो-विलेन नहीं दिखाया गया. विभाजन के समय महिलाओं की स्थिति को फिल्म बखूबी दिखाती है. म्यूजिक उत्तम सिंह का था. गीत गुलजार ने लिखे थे.

फिल्म मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के उपन्यास पिंजर पर बेस्ड थी. फिल्म का बजट 12 करोड़ के करीब का था. फिल्म ने करीब 6 करोड़ का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था. यह एक डिजास्टर फिल्म साबित हुई थी. यह फिल्म आज कल्ट मूवी में शामिल है. आज यह फिल्म मस्ट वॉच फिल्म में शामिल है. फिल्म को तीन अवॉर्ड मिले थे. बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड भी मिला था. मनोज बाजपेयी को नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला था. पिंजर फिल्म में मनोज बाजपेयी की एक्टिंग देखकर ही यश चोपड़ा ने उन्हें वीरजारा में रजा शराजी का रोल दिया था.

इस लिस्ट में तीसरी मूवी का नाम है मकबूल जिसे बॉलीवुड की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना जाता है. 30 जनवरी 2004 को रिलीज हुई इस फिल्म का स्क्रीनप्ले, डायलॉग, एक्टिंग में जबर्दस्त परफेक्शन था. विशाल भारद्वाज के निर्देश में बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत ही रही थी लेकिन इसकी गिनती आज कल्ट मूवी में होती है. पंकज कपूर, नसीरुद्दीन शाह, इरफान खान, ओम पुरी, पीयूष मिश्रा और तब्बू ने अपनी लाजवाब एक्टिंग से दर्शकों को हैरान कर दिया था. फिल्म की कहानी ‘मैं हूं ना’ ‘सलाम नमस्ते’ और ‘जाने तू या जाने ना’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के राइटर अब्बास टायरवाला ने लिखी थी. मकबूल ही वह फिल्म थी जिसने इरफान खान को बड़े पर्दे पर पहचान दिलाई.

फिल्म में शेक्सपियर के उपन्यास मैकबेथ पर बेस्ड थी लेकिन कहानी को मुंबई के अंडरवर्ल्ड की पृष्ठभूमि में दिखाया गया था. फिल्म में अंडरवर्ल्ड डॉन जहांगीर उर्फ अब्बा जी का किरदार पंकज कपूर ने निभाया था. इरफान ने मियां मकबूल का किरदार निभाया था जो अब्बा जी का राइट हैंड रहता है. अब्बा जी की प्रेमिका निम्मी मियां मकबूल को डॉन बनने और अब्बा जी का कत्ल करने के लिए उकसाती है. मकबूल फिल्म में वैसे तो पंकज कपूर को पहले पीयूष मिश्रा का रोल निभाना था. नसीरुद्दीन शाह की सलाह पर विशाल भारद्वाज ने उनका रोल बदल दिया था. पंकज कपूर ने इस रोल के लिए हामी भरने में पूरे एक माह का समय लिया था. यह फिल्म हिंदी सिनेमा की बेस्ट फिल्मों में से एक है.

29 जुलाई 2005 में कबीर कौशिक के निर्देशन में एक बहुत ही पावरफुल मूवी ने सिनेमाघरों में दस्तक दी थी. नाम था : सहर. इस फिल्म की कहानी यूपी के गोरखपुर जिले के मामखोर गांव के दुर्दांत गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला की लाइफ से इंस्पायर्ड थी. यह ऐसी फिल्म है जिसमें रील और रियल सिनेमा का अंतर ही खत्म हो गया था. हर सीन ऐसा लगता है जैसे रियल हो. फिल्म को अश्विन पटेल ने प्रोड्यूस किया था. फिल्म का बजट करीब 4 करोड़ का था. फिल्म ने करीब 2 करोड़ का कलेक्शन किया था और यह एक फ्लॉप फिल्म साबित हुई थी. जुलाई 2005 में जब फिल्म रिलीज हुई तो मुंबई शहर भीषण बाढ़ की चपेट में था. बिजनेस कैपिटल मुंबई में बारिश ने तबाही मचा दी थी. ऐसे में दर्शक फिल्म को देखने ही नहीं जा पाए.

सहर फिल्म में अरशद वारसी, पंकज कपूर, महिमा चौधरी, सुशांत सिंह, राजेंद्र गुप्ता जैसे दिग्गज सितारों से सजी सहर फिल्म को सबसे ज्यादा उत्तर भारत में पसंद किया गया. 20 साल पहले रिलीज हुई इस फिल्म को देखकर लगता ही नहीं कि यह मूवी इतनी पुरानी है. अरशद वारसी ने लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी अरुण कुमार का रोल निभाया था, जिन्होंने श्रीप्रकाश शुक्ला का खात्मा करने के लिए यूपी एसआईटी का गठन तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह से स्पेशल परमिशन लेकर करवाया था. इस फिल्म को उस समय लोगों ने रिजेक्ट कर दिया. आज यह फिल्म मोस्ट अंडररेटेड मूवी मानी जाती है. हिंदी सिनेमा का मास्टरपीस कहलाती है.

