Monday, December 1, 2025
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शीतकाल के लिए बंद हुआ बद्रीनाथ का कपाट, 51 लाख श्रद्धालुओं ने बनाए नए रिकॉर्ड


बदरीनाथ मंदिर का कपाट शीतकाल के लिए मंगलवार दोपहर 2:56 बजे बंद कर दिए गए. बड़ी संख्या में मौजूद भक्तों के बीच रावल अमरनाथ नंबूदरी ने सभी पारंपरिक विधियां पूरी कीं और मंदिर के द्वार औपचारिक रूप से बंद किए गए. इस दौरान पूरे धाम में जय बदरीविशाल की गूंज सुनाई देती रही.

बदरीनाथ के कपाट बंद करने से पहले माता लक्ष्मी को रावल द्वारा मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया गया. इसके लिए रावल ने स्त्री भेष धारण किया. लक्ष्मी की सहेली का रूप धारण कर रावल की ओर से लक्ष्मी मां को गर्भ गृह में नारायण भगवान के साथ स्थापित कर उन्हें घृतकंबल (घी से लिपटा एक खास कंबल) से ओढ़ाया गया.

बदरीनाथ के कपाट बंद करने से पहले माता लक्ष्मी को रावल द्वारा मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया गया. इसके लिए रावल ने स्त्री भेष धारण किया. लक्ष्मी की सहेली का रूप धारण कर रावल की ओर से लक्ष्मी मां को गर्भ गृह में नारायण भगवान के साथ स्थापित कर उन्हें घृतकंबल (घी से लिपटा एक खास कंबल) से ओढ़ाया गया.

सोमवार को माता लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई. कढ़ाई भोग' उत्सव कपाट बंद करने की प्रक्रिया का यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसमें माता लक्ष्मी को भगवान नारायण के साथ गर्भगृह में विराजमान होने का निमंत्रण देने के लिए विशेष भोग अर्पित किया जाता है.

सोमवार को माता लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई. कढ़ाई भोग’ उत्सव कपाट बंद करने की प्रक्रिया का यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसमें माता लक्ष्मी को भगवान नारायण के साथ गर्भगृह में विराजमान होने का निमंत्रण देने के लिए विशेष भोग अर्पित किया जाता है.

इस अवसर को पंच पूजा के चौथे दिन के रूप में भी मनाया जाता है, जो माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. इसी चरण के बाद मंदिर के कपाट बंद करने की अंतिम तैयारियाँ शुरू की जाती हैं.

इस अवसर को पंच पूजा के चौथे दिन के रूप में भी मनाया जाता है, जो माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. इसी चरण के बाद मंदिर के कपाट बंद करने की अंतिम तैयारियाँ शुरू की जाती हैं.

कपाट बंद होने से पहले मंदिर को 12 कुंतल फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था. परंपरा के अनुसार उद्धव और कुबेर की मूर्तियों को गर्भगृह से बाहर लाया गया, जबकि देवी लक्ष्मी को गर्भगृह में स्थापित किया गया.

कपाट बंद होने से पहले मंदिर को 12 कुंतल फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था. परंपरा के अनुसार उद्धव और कुबेर की मूर्तियों को गर्भगृह से बाहर लाया गया, जबकि देवी लक्ष्मी को गर्भगृह में स्थापित किया गया.

21 नवंबर से बदरीनाथ धाम में पंच पूजाओं की शुरुआत हो गई थी. गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट बंद होने के साथ ही वहां वेद ऋचाओं का पाठ भी समाप्त हो गया.

21 नवंबर से बदरीनाथ धाम में पंच पूजाओं की शुरुआत हो गई थी. गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट बंद होने के साथ ही वहां वेद ऋचाओं का पाठ भी समाप्त हो गया.

कपाट बंद होते ही आज से चारधाम यात्रा छह महीनों के लिए स्थगित हो गई है. इस बार यात्रा में आए श्रद्धालुओं ने नया रिकॉर्ड बनाया है. चारों धामों में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 51 लाख तक पहुँच गई. पिछले वर्ष यह आंकड़ा 48 लाख था.

कपाट बंद होते ही आज से चारधाम यात्रा छह महीनों के लिए स्थगित हो गई है. इस बार यात्रा में आए श्रद्धालुओं ने नया रिकॉर्ड बनाया है. चारों धामों में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 51 लाख तक पहुँच गई. पिछले वर्ष यह आंकड़ा 48 लाख था.

Published at : 25 Nov 2025 09:28 PM (IST)

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