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Bollywood Courtroom Drama Movie : बॉलीवुड में कोर्ट रूम ड्रामा फिल्मों का चलन नया नहीं है. यह बहुत पुराना है. 1985 में जहां ‘अर्जुन’ और ‘प्यार झुकता नहीं’ जैसी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर जलवा था, इस दौरान जावेद अख्तर की लिखी हुई कहानी पर एक और फिल्म ने सिनेमाघर पर दस्तक दी थी, जिसने रिलीज होते ही तहलका मचा दिया था. यह जावेद अख्तर-सुभाष घई की इकलौती फिल्म है. फिल्म में कोर्ट रूम के कुछ ऐसे सीन जो इससे पहले किसी हिंदी मूवी में नजर नहीं आए थे. इस फिल्म के कई सीन तो आज भी सिनेमाप्रेमियों के जेहन में ताजा हैं. यह फिल्म कौन सी थी, आइये जानते हैं……
जावेद अख्तर ने सलीम जावेद से अलग होने के बाद कई अच्छी फिल्में लिखी. बेताब-अर्जुन फिल्म की सफलता के बाद 1985 में उनकी लिखी स्क्रिप्ट पर एक और फिल्म आई थी जिसने दर्शकों का दिल जीत लिया था. इस फिल्म का नाम था : मेरी जंग जो 11 अक्टूबर 1985 को रिलीज हुई थी. यह सुभाष घई की आखिरी फिल्म थी जिसे उन्होंने दूसरे प्रोड्यूसर के लिए डायरेक्ट किया था. यह फिल्म अनिल कपूर के करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. अनिल कपूर अपने कई इंटरव्यू में यह दोहरा चुके हैं कि ‘मेरी जंग’ से ही उनके करियर ने उड़ान भरी. पहली बार उन्हें इतना बड़ा मेन लीड रोल मिला था.

‘मेरी जंग’ में हमें अनिल कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि, जावेद जाफरी, नूतन, गिरिश कर्नाड, अमरीश पुरी, परीक्षित साहनी रोल में नजर आए थे. फिल्म का म्यूजिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था. गाने आनंद बख्शी ने लिखे थे. म्यूजिक सुपरहिट रहा था. फिल्म की सफलता में सबसे बड़ा हाथ इस मूवी के म्यूजिक का भी था. मूवी में कुछ कल 6 गाने रखे गए थे, जिसमें ‘जिंदगी हर कदम नई जंग है’ सॉन्ग हमें तीन वर्जन में फिल्म में अलग-अलग मौकों पर सुनाई दिया था. यह सॉन्ग राग भैरवे पर बनाया गया था. ‘बोल बेबी बोल…’ सॉन्ग भी खूब पॉप्युलर हुआ था.

इस फिल्म को शुरुआत में रमेश सिप्पी अमिताभ के साथ मिलकर बनाना चाहते थे. उस समय इस फिल्म का नाम ‘शतरंज’ था. अमजद खान विलेन थे. प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया तो रमेश सिप्पी इससे पूरी तरह से अलग हो गए. फिर निर्माता एन. एन सिप्पी ने अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर और जया प्रदा को साथ लेकर फिल्म बनाने का फैसला किया. बात फिर भी नहीं बनी. कुली फिल्म के सेट पर चोट लगने के बाद अमिताभ फिल्मों नहीं कर पा रहे थे. दूसरी ओर वो अपने दोस्त पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में जा रहे थे. ऐसे में अमिताभ बच्चन भी इस फिल्म से हट गए. जया प्रदा ने भी फिल्म छोड़ दी.
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प्रोड्यूसर एनएन सिप्पी ने सुभाष घई से संपर्क किया. सुभाष घई कर्मा फिल्म की तैयारी में जुटे थे. एनएन सिप्पी ने उनसे फिल्म डायरेक्ट करने को कहा तो वो इनकार नहीं कर पाए. एनएन सिप्पी ने ही उन्हें कालीचरण में ब्रेक दिया था. फिल्म की स्क्रिप्ट जावेद अख्तर ने तैयार कर रखी थी. फिर भी फाइनल टच देने में पांच माह का समय लगा. 1984 में आई यश चोपड़ा की फिल्म ‘मशाल’ में अनिल कपूर के काम को देखते हुए सुभाष घई ने उन्हें ‘मेरी जंग’ में मौका दिया. यह जावेद अख्तर की एकमात्र फ़िल्म है जिसके डायरेक्टर सुभाष घई थे. यह एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी.

मेरी जंग में अमरीश पुरी को मेन विलेन का रोल दिया गया था. मीनाक्षी शेषाद्रि हीरोइन थीं. फिल्म की शूटिंग के दौरान सुभाष घई से उनकी अनबन हो गई थी. इस मूवी के बाद दोनों ने कभी साथ में काम नहीं किया. विलेन अमरीश पुरी के बेटे विक्रम ठकराल के रोल के लिए जावेद जाफरी को साइन किया गया था. जावेद जाफरी ने रोल सुनते ही फिल्म में काम करने के लिए हामी भर दी थी.

1999 में आई ताल फिल्म की शूटिंग के दौरान सुभाष घई ने अनिल कपूर के काम की तारीफ करते हुए कहा था, ‘अनिल कपूर 15 साल पहले मेरे पास एक स्टूडेंट की तरह आया था. मैंने उसके साथ मेरी जंग और कर्मा फिल्म की थी. वो एक ही चीज सोचता था कि डायरेक्टर उससे क्या चाहता है? मैंने काम करने की उसमें लगन देखी. मैं हैरान हूं कि आज भी उसमें जरा भी बदलाव नहीं आया.’

अनिल कपूर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘सुभाष घई की पहली पसंद मैं कभी भी नहीं रहा. वो जब भी कास्टिंग करते थे, अगर उन्हें कोई हीरो नहीं मिलता तो वो मुझे बुलाते थे. मैं उनके काम का कायल हूं. राज कपूर के बाद अगर किसी शो मैन को मैं जानता हूं तो वो सुभाष घई हैं.’

मेरी जंग फिल्म में कोर्ट रूम की बहस, अनिल कपूर-अमरीश पुरी के बीच हुई तीखी बहस, डायलॉग ने दर्शकों के रोमांच को बढ़ा दिया था. इस फिल्म में कोर्ट रूम के उस सीन को कोई कैसे भुला सकता है जिसमें अनिल कपूर अपने जीवन को दांव पर लगा देते हैं. ऐसा सीन इससे पहले किसी हिंदी फिल्म में दिखाई नहीं दिया था. यह फिल्म ऐसे की कुछ अनूठे, प्रभावी सीन-डायलॉग के लिए याद की जाती है.

33वें फिल्मफेयर अवार्ड में ‘मेरी जंग’ को दो अवार्ड मिले थे. बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड अमरीश पुरी को मिला था जबकि बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड नूतन के हिस्से में आया था. इसके अलावा फिल्म को बेस्ट फिल्म, बेस्ट एक्टर, बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर, बेस्ट लिरिसिस्ट कैटेगरी में फिल्म फेयर में नॉमिनेशन मिला था. फिल्म मेरी जंग के बजट की कोई आधिकारिक जानकारी कहीं पर भी नहीं मिलती. माना जाता है कि फिल्म का बजट करीब 2 करोड रुपये था. इस मूवी ने 4 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन किया था और यह एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी.

