रियाद9 मिनट पहले
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सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ ने रक्षा समझौते पर साइन करने के बाद एकदूसरे को गले लगाया।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को एक रक्षा समझौते पर साइन किए। इस समझौते के तहत एक देश पर दूसरे पर भी हमला माना जाएगा।
सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक, दोनों देशों ने एक जॉइंट स्टेटमेंट में कहा कि यह समझौता दोनों देशों की सुरक्षा बढ़ाने, इलाके और विश्व में शांति स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दिखाता है। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को भी डेवलप किया जाएगा।
सऊदी अरब की राजधानी रियाद के यमामा पैलेस में हुई इस बैठक में MBS और शहबाज शरीफ ने कई अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी बात की।
एक सीनियर सऊदी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को बताया कि इस समझौते के तहत हर तरह का मिलिट्री सहयोग किया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या इसमें जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल शामिल है, तो उन्होंने ‘हां’ में जवाब दिया।
समझौते के वक्त पाकिस्तानी सेना प्रमुख भी मौजूद थे
शहबाज शरीफ के साथ पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसीम मुनीर, उप प्रधानमंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब समेत हाई लेवल डेलिगेशन सऊदी पहुंचा है।
जिस वक्त इस रक्षा समझौते पर साइन किए जा रहे थे, तब पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसीम मुनीर भी वहां मौजूद थे।
एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह समझौता किसी खास देश या घटना के खिलाफ नहीं हुआ है, बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय तक चलने वाले गहरे सहयोग का आधिकारिक रूप है।

सऊदी प्रिंस सलमान के साथ शहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसीम मुनीर।
पाकिस्तान ने हाल में नाटो जैसी फोर्स बनाने का सुझाव दिया था
इजराइल ने 9 सिंतबर कतर की राजधानी दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था। इस हमले में अल-हय्या बच गया, जबकि 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद 14 सितंबर को दोहा में मुस्लिम देशों के 50 नेता इजराइल के खिलाफ एक खास बैठक के लिए इकट्ठा हुए थे। यहां पाकिस्तान ने सभी इस्लामी देशों को NATO जैसे जॉइंट फोर्स बनाने का सुझाव दिया था।
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार ने एक जॉइंट डिफेंस फोर्स बनाने की संभावना का जिक्र करते हुए कहा था कि न्यूक्लियर पावर पाकिस्तान इस्लामिक समुदाय (उम्माह) के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।

रविवार को इस्लामी देशों के नेताओं इजराइल के खिलाफ बंद कमरे में मीटिंग की।
एक्सपर्ट बोले- यह समझौता औपचारिक ‘संधि’ नहीं है
अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका के राजदूत रह चुके जलमय खलीलजाद ने भी इस समझौते पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता हालांकि औपचारिक ‘संधि’ नहीं है, लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए यह एक बड़ी रणनीतिक साझेदारी मानी जा रही है।
खलीलजाद ने आगे कहा कि क्या यह समझौता कतर में इजराइल हमले के जवाब में किया गया है? या ये लंबे समय से चली आ रही अफवाहों की पुष्टि करता है कि सऊदी अरब, पाकिस्तान के एटमी हथियार प्रोग्राम का अघोषित सहयोगी रहा है।
खलीलजाद ने पूछा कि क्या इस समझौते में सीक्रेट क्लॉज हैं, अगर हां, तो वे क्या हैं? क्या यह समझौता यह बताता है अब सऊदी अरब अब अमेरिका की रक्षा गारंटी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार और ऐसे मिसाइल सिस्टम हैं जो पूरे मिडिल ईस्ट और इजराइल तक मार कर सकते हैं। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तान ऐसे हथियार भी डेवलप कर रहा है जो अमेरिका तक पहुंच सकते हैं।
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कतर की राजधानी दोहा में आज मुस्लिम देशों के 50 नेता इजराइल के खिलाफ एक खास बैठक के लिए इकट्ठा हुए हैं। यह बैठक अरब लीग और ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने बुलाई है।इसका मकसद 9 सितंबर को कतर पर हुए इजराइली हमले का जवाब देना है। इस हमले में हमास के 5 मेंबर और एक कतरी सुरक्षा अधिकारी मारा गया था। यहां पढ़ें पूरी खबर…

