तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन
तमिलनाडु में स्कूल और कॉलेज के निर्धन विद्यार्थियों के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित छात्रावास अब ‘सामाजिक न्याय छात्रावास’ कहे जाएंगे, इस बात की घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन ने की। सीएम ने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) शासन में लैंगिक पहचान या जाति सहित किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए विभिन्न विभागों द्वारा संचालित किए जा रहे छात्रावासों को अब से ‘सामाजिक न्याय छात्रावास’ कहा जाएगा। इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा।”
तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने इस ओर ध्यान केंद्रित किया कि उन्होंने जाति को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द ‘कॉलोनी’ को आधिकारिक अभिलेखों से हटा दिए जाने की राज्य विधानसभा में घोषणा की थी। उन्होंने ने बताया, “यह प्रभुत्व और भेदभाव का प्रतीक और एक अपशब्द बन गया है, इसलिए इस शब्द को सरकारी दस्तावेजों से हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।”
सीएम स्टालिन ने पीएम मोदी से की अपील को दोहराया
मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समुदाय के नामों के अंत में ‘एन’ और ‘ए’ शब्द का इस्तेमाल कर उनके सम्मान को बहाल किए जाने की अपनी अपील को दोहराया। उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से 25 जून को एक सरकारी आदेश जारी किया गया था, जिसमें स्कूली छात्रों के बीच जातिगत और सांप्रदायिक संघर्ष तथा मतभेदों को रोकने, उनमें सद्भाव और सद्गुणों को विकसित करने के उपाय बताए गए थे।
राज्य में कुल 2739 सरकारी हॉस्टल
राज्य सरकार ने स्कूलों में जातिगत संघर्षों को रोकने के तरीकों को स्टडी करने के लिए रिटायर जज के.चंद्रू की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने स्कूलों के नामों में जाति उपसर्गों और प्रत्ययों को हटाने सहित कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया। राज्य भर में 2,739 सरकारी हॉस्टल हैं, जिनमें 1,79,568 स्टूडेंट्स रहते हैं और इनका संचालन पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा आदि द्रविड़ और जनजातीय कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है। (पीटीआई इनपुट)