Sunday, July 27, 2025
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ससुर को बोलते हैं ‘फादर इन लॉ’, तो क्‍या बेटे की तरह मिलता है संपत्ति में अधिकार


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Property Knowledge : फादर इन लॉ सुनकर कहीं आपको भी तो ये नहीं लगता है कि बाप की तरह ससुर की संपत्ति पर भी दामाद का अधिकार होता है. अगर इस भ्रम में हैं तो हक जताने से पहले इसका कानून समझना बहुत जरूरी है.

ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद को सीधा अधिकार नहीं दिया गया है.

हाइलाइट्स

  • दामाद को ससुर की संपत्ति पर सीधा हक नहीं मिलता है.
  • ससुर की वसीयत या उपहार से ही दामाद को संपत्ति मिल सकती है.
  • मुस्लिम ससुर अपनी संपत्ति का 33% ही दामाद को दे सकते हैं.
Property Knowledge : भारत जैसे देश में ससुर और दामाद का रिश्‍ता पिता-पुत्र की तरह माना जाता है. इस रिश्‍ते को कानूनी मान्‍यता भी मिली हुई है तभी तो इन्‍हें ‘फादर इन लॉ’ और ‘सन इन लॉ’ कहा जाता है. तो, क्‍या दामाद को एक बेटे की तरह ही ससुर की प्रॉपर्टी पर भी हक मिलता है. इसकी असलियत के बारे में तो ज्यादातर लोगों को नहीं पता होगा. एक खास बात और है कि ससुर अगर हिंदू हैं तो उनके दामाद के लिए अलग कानून है, जबकि मुस्लिम ससुर के दामाद के लिए अलग कानून बनाया गया है.

सबसे पहले बात करते हैं कि ससुर की संपत्ति पर दामाद को आखिर कितना हक मिलता है. इस सवाल पर एक जवाब तो सभी के लिए लागू होता है, चाहे हिंदू हो, मुस्लिम या फिर ईसाई कि दामाद को ससुर की प्रॉपर्टी पर सीधा हक नहीं मिलता है. फादर इन लॉ सुनकर बाप की तरह हक जमाने से पहले इस कानून को समझना जरूरी है कि दामाद के लिए उत्‍तराधिकार कानून में कोई स्‍थान नहीं बनाया गया है. इसका सीधा मतलब है कि दामाद किसी भी तरह से ससुर की संपत्ति पर अपना अधिकार नहीं जमा सकता है.

क्‍या कहता है उत्‍तराधिकार कानून
हिंदू उत्‍तराधिकार कानून 1956 के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्धों के लिए कानून बनाया गया है. इसमें संपत्ति स्‍थानांतरण लिस्‍ट में दामाद को शामिल नहीं किया गया है. इस कानून के तहत दामाद को तभी संपत्ति में हक मिल सकता है, जब उसकी पत्‍नी को अपने पिता से जायदाद मिलती हो. अगर ससुर के पास पैतृक संपत्ति है तो उसमें बेटी का हक होता है और बेटी यानी पत्‍नी के सहारे दामाद भी उस प्रॉपर्टी का हकदार बन सकता है. दामाद सीधे तौर पर संपत्ति में अपना हक नहीं जता सकता है.

वसीयत और गिफ्ट है दूसरा उपाय
अगर ससुर अपने दामाद को वसीयत (Will) अथवा उपहार (Gift) के रूप में संपत्ति देता तो उसका पूरा अधिकार होगा. बिना वसीयत के दामाद को सीधा हक नहीं मिलता है. ससुर ने वसीयत में दामाद को कोई हिस्‍सा दिया है तो उस पर अधिकार हो सकता है. इसी तरह, उपहार के रूप में भी ससुर अपने दामाद को प्रॉपर्टी दे सकते हैं. यह पूरी तरह ससुर की मर्ज पर निर्भर करेगा और इस उपहार को गिफ्ट डीड के रूप में रजिस्‍टर भी करवाना पड़ेगा.

मुस्लिम और ईसाई के लिए क्‍या है कानून
अगर ससुर मुस्लिम हैं तो उन पर उत्‍तराधिकार कानून लागू नहीं होगा और इसका निर्धारण मुस्लिम लॉ यानी शरीयत के जरिये होगा. हालांकि, शरीयत में भी दामाद को सीधे तौर पर कोई अधिकार नहीं दिया गया है. जाहिर है कि मुस्लिम दामाद को भी ससुर की प्रॉपर्टी पर सीधा हक नहीं मिलता. यहां एक बदलाव ये है कि ससुर अपनी मर्ज से वसीयत के जरिये सिर्फ एक तिहाई संपत्ति ही दामाद को दे सकता है. यानी अपनी संपत्ति का महज 33 फीसदी हिस्‍सा ही दामाद को दे सकता है, जबकि हिंदू उत्‍तराधिकार कानून में ससुर अपने हिस्‍से की सारी संपत्ति दामाद को वसीयत कर सकता है.

ईसाई के मामले में कैसे होगा निर्धारण
ससुर ईसाई हैं तो भी लगभग यही नियम लागू होंगे. ईसाई दामाद को भी ससुर की प्रॉपर्टी पर सीधा अधिकार नहीं मिलता है और भी हक पाने के लिए पत्‍नी पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर पत्‍नी चाहे तभी दामाद अपने ससुर की संपत्ति पर अधिकार जता सकता है. जब तक कि ससुर की ओर से उपहार या वसीयत के जरिये दामाद को अधिकार न दिया जाए. कई बार स्‍थानीय कानून भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैा, लिहाजा ऐसे किसी भी मामले में पेशेवर वकील से सलाह लेना ही उचित होगा.

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Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ें

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