गाजा28 मिनट पहले
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29 सितंबर की रात इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा सीजफायर को लेकर ट्रम्प से वॉशिंगटन डीसी में मुलाकात की थी।
हमास अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाजा सीजफायर प्लान के कुछ पॉइंट पर सहमत हो गया है। समूह ने शुक्रवार देर रात को घोषणा की कि वह इजरायली बंधकों को रिहा करने के लिए तैयार है।
साथ ही हमास गाजा पट्टी का प्रशासन वापस सौंपने को भी राजी हो गया है। हालांकि, समूह ने ट्रम्प की अन्य शर्तों पर बातचीत करने की मांग की है। हमास ने कहा कि वह मध्यस्थों के जरिए तुरंत बातचीत को तैयार है।
हमास के बयान पर ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल पर लिखा,
हमास की ओर से जारी बयान के आधार पर मेरा मानना है कि वे स्थायी शांति के लिए तैयार हैं। इजराइल को तुरंत गाजा पर बमबारी रोकनी चाहिए। ताकि हम बंधकों को सुरक्षित और जल्दी बाहर निकाल सकें। अभी यह करना बहुत खतरनाक है।

दरअसल, 29 सितंबर की रात इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से वॉशिंगटन डीसी में मुलाकात की थी। इसके बाद नेतन्याहू गाजा में सीजफायर पर सहमत हुए थे। ट्रम्प ने सीजफायर के लिए 20 पॉइंट का एक प्लान तैयार किया है।

व्हाइट हाउस ने अपने ऑफिशियल X अकाउंट पर डोनाल्ड ट्रम्प के गाजा युद्ध खत्म करने के प्लान पर हमास के बयान को पोस्ट किया।
2 पॉइंट… जिनपर हमास सहमत हुआ
1. कैदियों को रिहा करेगा हमास ने कहा, वह सभी कब्जे वाले कैदियों (जीवित और शव) को राष्ट्रपति ट्रम्प के प्लान में बताए गए आदान-प्रदान के फार्मूले के अनुसार रिहा करने को तैयार है। हालांकि, इसके लिए कुछ जमीनी शर्तें पूरी होनी चाहिए।
2. हमास गाजा का प्रशासन सौंपने को तैयार
हमास ने कहा कि वह गाजा पट्टी का प्रशासन एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी निकाय (टेक्नोक्रेट) को सौंपने के लिए तैयार है, जो फिलिस्तीनियों की सहमति से बने। साथ ही उसे अरब और इस्लामिक देशों का समर्थन मिले।
ट्रम्प बोले थे- हमास नहीं माना तो उसे खत्म करने का अधिकार
नेतन्याहू से मुलाकात के बाद ट्रम्प ने कहा था कि अगर हमास इस प्लान को नहीं मानता है तो इजराइल के पास उसे खत्म करने का पूरा अधिकार है और अमेरिका इसमें साथ देगा।
वहीं, नेतन्याहू ने कहा था- गाजा में एक शांतिपूर्ण प्रशासन होगा। हमास के सभी हथियार हटाए जाएंगे और गाजा से इजराइल धीरे-धीरे पीछे हटेगा।

ट्रम्प के सीजफायर प्लान के 20 पॉइंट
ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि इस प्लान में गाजा में युद्ध रोकना, सभी बंधकों को छोड़ना और गाजा में प्रशासन चलाने के लिए एक अस्थायी बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है। ट्रम्प इस बोर्ड की अध्यक्षता करेंगे और इसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी होंगे।
- तुरंत युद्ध रोकना- इजराइल और हमास के बीच सहमति बनी तो गाजा में युद्ध तुरंत खत्म होगा।
- इजराइल पीछे हटेगा- सहमति से इजराइल अपनी सेनाओं को धीरे-धीरे गाजा से निकाल लेगा।
- बंधकों को छोड़ना- हमास 72 घंटे में सभी इजराइली बंधकों को रिहा करेगा, जिनमें जिंदा और मृत दोनों होंगे।
- कैदियों की रिहाई- युद्ध खत्म होने पर इजराइल, गाजा के उम्रकैद की सजा काट रहे 250 लोगों और अन्य 1700 कैदियों को छोड़ देगा।
- शवों का आदान-प्रदान – हर मृत इजराइली कैदी के बदले 15 मृत फिलिस्तीनी कैदियों के शव लौटाए जाएंगे।
- गाजा को आतंक मुक्त बनाना- गाजा से हमास के सारे ठिकाने और हथियार हटाए जाएंगे।
- हमास प्रशासन में शामिल नहीं- हमास और अन्य लड़ाके गाजा की सरकार में हिस्सा नहीं लेंगे।
- अंतरिम प्रशासन समिति- गाजा के लिए एक अस्थायी तकनीकी समिति बनाई जाएगी, जिसमें योग्य लोग होंगे।
- शांति बोर्ड बनेगा- इस बोर्ड की अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प करेंगे, इसमें टोनी ब्लेयर और अन्य देशों के नेता शामिल होंगे।
- पुनर्निर्माण योजना- बोर्ड गाजा के विकास और सुधार की योजना बनाएगा और उसका खर्च उठाएगा।
- मानव सहायता- गाजा को तुरंत पर्याप्त मदद दी जाएगी।
- विशेष व्यापार क्षेत्र- गाजा में खास व्यापारिक क्षेत्र बनाए जाएंगे, जिससे रोजगार बढ़ेगा।
- लोगों की आजादी- किसी को गाजा छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा; जो चाहे जा सकता है और लौट सकता है।
- सुरक्षा के लिए फोर्सेस- एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल गाजा में सुरक्षा बनाए रखेगा।
- पुलिस की ट्रेनिंग- सुरक्षा बल गाजा पुलिस को ट्रेनिंग देंगे और मदद करेंगे।
- सीमा सुरक्षा- इजराइल और मिस्र की सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत होगी।
- लड़ाई बंद- युद्ध खत्म होने तक हवाई हमले और गोलाबारी रोकी जाएगी।
- मानवाधिकार सुनिश्चित- अंतरराष्ट्रीय संगठन गाजा में मदद और सुरक्षा की निगरानी करेंगे।
- शांति बातचीत- इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति के लिए बातचीत शुरू होगी।
- भविष्य की योजना– इस योजना का मकसद गाजा में स्थायी शांति, विकास और बेहतर जीवन लाना है।
ट्रम्प बोले थे- शांति प्रस्ताव मानने के लिए हमास के पास 3-4 दिन
राष्ट्रपति ट्रम्प ने हमास को अपने शांति प्रस्ताव में शामिल होने के लिए 3-4 दिन का समय दिया था। व्हाइट हाउस से निकलते वक्त उन्होंने कहा था कि इजराइल और कई अरब देश इस योजना से सहमत हैं, लेकिन हमास ने अभी तक जवाब नहीं दिया है।
ट्रम्प ने चेतावनी दी थी कि अगर हमास अगर हां बोलेगा तो ठीक, नहीं तो इसका बुरा हाल होगा। उन्होंने कहा कि योजना में ज्यादा बदलाव नहीं होगा।
ट्रम्प ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर शुरुआत से ही हमारे साथ थे। वे इस प्रस्ताव पर पूरा भरोसा रखते हैं।
इससे पहले नेतन्याहू ने चेतावनी दी थी कि यह काम आसान या मुश्किल तरीके से होगा, लेकिन इसे पूरा जरूर किया जाएगा। अगर हमास इस प्लान को नहीं मानेगा तो इजराइल खुद यह काम पूरा करेगा।
वहीं, हमास ने हथियार डालने से इनकार कर दिया है। उसका कहना है कि हमें प्लान का औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। दूसरी तरफ, फिलिस्तीनी सरकार ने ट्रम्प के प्लान का स्वागत किया है।
29 सितंबर: नेतन्याहू-ट्रम्प की मुलाकात की 2 तस्वीरें…

ट्रम्प ने खुद व्हाइट हाउस के बाहर आकर नेतन्याहू को रिसीव किया था।

दोनों नेताओं ने गाजा वॉर में सीजफायर पर लंबी बातचीत की।
मोदी ने ट्रम्प के प्लान का स्वागत किया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के सीजफायर प्लान का स्वागत किया था। मोदी ने X पर पोस्ट कर कहा था कि यह प्लान फिलिस्तीनी और इजराइली लोगों के साथ ही पूरे पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए शांति, सुरक्षा और विकास का रास्ता देगा।
मोदी ने उम्मीद जताई कि सभी ट्रम्प की पहल का समर्थन करेंगे और संघर्ष को खत्म कर शांति सुनिश्चित करने के प्रयास का समर्थन करेंगे।
नेतन्याहू ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी मांगी
नेतन्याहू ने सोमवार को दोहा हमले के लिए कतर से माफी भी मांगी। उन्होंने ट्रम्प के कहने पर व्हाइट हाउस से कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी को फोन किया।
नेतन्याहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- मैंने फोन पर कतर के प्रधानमंत्री से कहा कि इजराइल आतंकवादियों को मार रहा था, कतर को नहीं। हमें हमले में कतर के नागरिक के मरने का दुख है।
इजराइली सेना ने 9 सितंबर यानी 20 दिन पहले दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था।
हमले में अल-हय्या बच गया था, लेकिन 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें एक कतर का अधिकारी था। इसके बाद कतर इजराइल से नाराज हो गया था। ट्रम्प ने भी नाराजगी जाहिर की थी।

9 सितंबर को इजराइल ने हमास के अधिकारियों को निशाना बनाकर दोहा में हमला किया था।
इजराइल को कई देशों का विरोध झेलना पड़ रहा है
इजराइल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाजा युद्ध की वजह से लगातार आलोचना का सामना कर रहा है। हाल ही में UN महासभा में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के डिप्लोमैट्स ने वॉकआउट कर दिया था।
हालांकि, दूसरे देशों के उलट अमेरिका मजबूती से नेतन्याहू के साथ खड़ा है। ट्रम्प साफ कह चुके हैं कि वे फिलिस्तीन को देश की मान्यता नहीं देंगे।

पिछले हफ्ते जब नेतन्याहू UNGA में भाषण दे रहे थे तो कई देशों के प्रतिनिधि सदन से वॉकआउट कर गए थे।
इजराइल के कई सहयोगियों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी
गाजा जंग में अब तक 66 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इस वजह से ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे इजराइल के पुराने सहयोगियों ने फिलिस्तीनी को देश की मान्यता दे दी है। ये सभी देश इजराइल पर सीजफायर के लिए दबाव बना रहे हैं।
दूसरी तरफ इजराइल के कई राजनीतिक दलों का कहना है कि जब तक हमास का पूरी तरह खात्मा नहीं हो जाता है, वे सीजफायर का समर्थन नहीं करेंगे। इन्होंने चेतावनी दी है कि अगर नेतन्याहू सीजफायर के लिए राजी होते हैं, तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे।
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