हाथरसकुछ ही क्षण पहले
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हाथरस में न्यायालय द्वारा एक वाहन को रिलीज करने के आदेश के बावजूद पुलिस द्वारा उसे रिलीज न करने का मामला सामने आया है। इस पर अपर मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) को मामले की जांच कर संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
हरिबाबू अग्रवाल निवासी नवीपुर खुर्द, हाथरस के प्रार्थना पत्र पर उनके ट्रक संख्या-UP-86-T-1616 को न्यायालय ने उनके पक्ष में अवमुक्त करने का आदेश दिया था। हरिबाबू ने न्यायालय में अपने वाहन की जमानत और अंडरटेकिंग भी दाखिल की थी।
उनका कहना है कि जब वह न्यायालय के रिलीज आदेश के साथ थाना कोतवाली नगर पहुंचे, तो एचएम शिवराज सिंह, अपराध के विवेचक और थाना प्रभारी ने गाड़ी देने से इनकार कर दिया। पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने हरिबाबू के साथ अभद्र व्यवहार किया और कहा कि “ऐसे आदेश तो न्यायालय आए दिन करता रहता है।
उन्होंने न्यायालय द्वारा जारी आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि भी जबरन छीनकर रख ली और कहा कि “जो तुझे न्यायालय से हमारे खिलाफ कराना है, वो करा लेना।” अपर मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट ने इस मामले की सुनवाई की। डीएसओ और एडीएम न्यायिक की रिपोर्टों से स्पष्ट हुआ कि प्रश्नगत वाहन के संबंध में कोई जब्तीकरण की कार्यवाही लंबित नहीं थी।
न्यायालय ने पाया कि निरीक्षक दुर्वेश द्वारा दी गई आख्या मनमानी और असत्य थी, और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने जानबूझकर गाड़ी को रिलीज नहीं किया। न्यायालय ने तत्काल प्रभाव से गाड़ी को अवमुक्त करने का आदेश दिया है। साथ ही, एसपी से कहा है कि वह इस तथ्य की जांच कराएं कि क्या यह पुलिस अधिनियम की धारा 23 के तहत कर्तव्य में लापरवाही और न्यायालय के आदेश की अवहेलना है।
यदि जांच में ऐसा पाया जाता है, तो संबंधित विवेचक और थानाध्यक्ष को पुलिस अधिनियम की धारा 29 के तहत दंडित किया जाए। एसपी को 15 दिनों के भीतर इस संबंध में न्यायालय को सूचना प्रेषित करने का भी आदेश दिया गया है।

