डॉ. मुनिश्चर डावर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया था।
पद्मश्री से सम्मानित मध्यप्रदेश के 79 वर्षीय डाॅक्टर मुनीश्वर चंद्र डावर का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। जबलपुर के मदनमहल क्षेत्र में रहने वाले डाॅक्टर एमसी डावर बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। जबलपुर में जैसे ही डाॅक्टर डावर के निधन की जानकारी लगी,
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डॉक्टर डावर को 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब जबलपुर दौरे पर आए थे तो व्यक्तिगत रूप से उन्होंने केवल डॉक्टर डावर से ही मुलाकात की थी।
पाकिस्तान में हुआ था जन्म डाॅक्टर एमसी डावर का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, देश में हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार जबलपुर आ गया था। पिता के निधन के समय उनकी उम्र सिर्फ 2 साल की थी। डाॅक्टर का बचपन बहुत गरीबी में बीता। पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई थी। जालंधर में भी पढ़ाई की, इसके बाद जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद, कुछ दिन ही सेना मे नौकरी भी की, इसके बाद जबलपुर आ गए और शहर के महानद्दा में एक छोटी सी क्लिनिक शुरू कर प्रैक्टिस करने लगे।
2 रुपए में जटिल से जटिल इलाज डाॅक्टर डावर ने 1972 से मरीजों का इलाज करना शुरू किया था। डॉक्टर डावर ने 14 साल तक लोगों से मात्र 2 रुपए फीस ली, और उनका इलाज किया। 1986 में उनकी तबीयत खराब हुई, उनकी जगह दूसरे डॉक्टर उनकी क्लिनिक में आकर बैठने लगे तो उन्होंने 2 रुपए की जगह 3 रुपए फीस कर दी, इसके बाद डाॅक्टर डावर भी जब क्लिनिक आए तो फीस 3 रुपए ही थी। 11 साल तक 3 रुपए फीस ली। 1997 के बाद जब चिल्लर की समस्या आने लगी तो फीस 5 रुपए कर दी गई। 15 साल तक मात्र 5 रुपए लेकर मरीजों का इलाज करते रहे।
नेता जी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि उनके निधन पर आज पूरा डाॅक्टर जगत शोक में है। डाॅक्टर डावर सभी चिकित्सकों के लिए आदर्श थे। उन्होंने अपने जीवन काल में इलाज करते हुए बताया कि लोगों का इलाज करना, उनकी जान बचाना मानवीय कर्म है, ना कि इलाज करने के लिए सिर्फ फीस को महत्व देना। डीन डाॅक्टर नवनीत सक्सेना ने बताया कि आज उनके निधन से ना सिर्फ जबलपुर,बल्कि मध्यप्रदेश और देश को अपूर्ण क्षति हुई है।