Monday, July 7, 2025
Homeदेश-10°C तापमान और कम होती ऑक्सीजन, नहीं रोक पाई भारतीय जांबाजों के...

-10°C तापमान और कम होती ऑक्सीजन, नहीं रोक पाई भारतीय जांबाजों के कदम, फिर… पाकिस्‍तानी चीखों से गूंजा आसमान


Last Updated:

Kargil War: दुश्‍मन की पोजीशन इतनी मजबूत थी कि भारतीय सेना के लिए एक भी कदम आगे बढ़ाना खुदकुशी जैसा था. उस वक्‍त ऐसा लग रहा था मानों पूरी कायनात पाकिस्‍तान के पाले में आकर खड़ी हो गई हो. लेकिन तभी… फिर क्‍या …और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • असंभव से दिखने वाली इस लड़ाई में भारतीय सेना ने दर्ज की थी जीत.
  • आठ दिन चली लड़ाई में पाकिस्‍तानी सैनिकों की चींख से गूंजा आसमान.
  • इसी लड़ाई के लिए ग्रेनेडियर योगेंद्र को मिला था परमवीर चक्र.
Battle of Tiger Hill: यह बात एक जुलाई की सर्द सुबह की है. तापमान -10 डिग्रीसेल्सियस से भी नीचे लुढ़क चुका था. सर्द हवाएं शरीर के जिस हिस्‍से को दूकर गुजरतीं, ऐसा लगता कई सौ सुइयां चुभो दी गईं हो. हर बढ़ते कदम के साथ ऑक्‍सीजन भी कम होती जा रही थी. दुश्‍मन की मजबूत पोजीशन के चलते कोई भी चूक और मौत को दावत देने के बराबर थी. उस दिन ऐसा लग रहा था, मानों पूरी कायनात पाकिस्‍तान के पाले में खड़ी हो और भारतीय जांबाजों के पास उम्‍मीद के नाम पर कुछ भी ना बचा हो.
बावजूद इसके भारतीय सेना के शूरमाओं ने उस दिन कुछ ऐसा ठान रखा था, जिसकी उम्‍मीद पाकिस्‍तान और उसकी बुज्‍दिल सेना कभी ख्‍वाब में भी नहीं कर सकती थी. दरअसल, यहां पर बात टाइगर हिल की लड़ाई की हो रही है. 13 जून को तोलोलिंग और 21 जून को पॉइंट 5203 को भारतीय सेना ने अपने कब्‍जे में वापस ले लिया था. लेकिन, सामरिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण टाइगर हिल, पॉइंट 4700 और 5203 अभी भी पाकिस्‍तानी सेना के कब्‍जे में थे. इन तीनों पहाडि़यों पर बैठे दुश्‍मन ने नेशनल हाईवे वन को अपने निशाने पर ले रखा था.

भारतीय सेना की इन रेजिमेंट को मिली जिम्‍मेदारी
नतीजतन, भारतीय सेना की रसद और सैन्‍य मदद श्रीनगर में ही रुकी हुई थी. मदद जवानों तक पहुंच सके, इसके लिए इन चोटियों को दुश्‍मन से मुक्‍त कराना जरूरी हो गया था. भारतीय सेना ने सबसे पहले टाइगर हिल को दुश्‍मन के कब्‍जे से मुक्‍त कराने का फैसला किया. यह जिम्‍मेदारी भारतीय सेना की 2 नामा, 8 सिख और 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट को सौंपी गई. दोनों रेजिमेंट ने मिलकर 16700 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल की चोटी पर हमले का फैसला किया. रणनीति के तहत 8 सिख रेजिमेंट को सामने से आर्टलरी फायर करना था.

भारतीय और पाकिस्‍तान के इस युद्ध में दुश्‍मन को इस भ्रम में रखा जा सके कि भारतीय सेना सामने के ही रास्‍ते से आ रही है. वहीं दूसरी तरफ से 18 ग्रेनेडियर्स की घातक टुकड़ी को 16700 फीट की खड़ी चढ़ाई पूरी कर टाइगर हिल तक पहुंचना था. साथ ही, पहली बार इस ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना को भी शामिल किया गया था. एक जुलाई को तड़के फ्लाइट ऑपरेशन शुरू किया गया. 2 नागा रेजिमेंट ने पहाड़ी की दाईं ओर और 8 सिख ने बाईं ओर से पहाड़ी में चढ़ाई शुरू की. इसी वक्‍त, ग्रेनेडियर्स की घातक टुकड़ी ने पहाड़ी के पीछे से चढ़ाई शुरू कर दी.
यह भी पढ़ें: एयरक्रॉफ्ट गिराने थे उड़ा दिए बंकर, पाक सैनिकों की बना दी थी कब्र, जानिए कारगिल और ऑपरेशन सिंदूर के हीरो की दास्तान

… और अचानक दुश्‍मन की पड़ गई नजर
वहीं, टाइगर हिल पर विजय के लिए निकली भारतीय सेना के इन टुकडि़यों की मदद के लिए आर्टिलरी रेजिमेंट की 22 बैटरियों ने मल्‍टी बैरेल रॉकेट लांचर से गोले बरसाना शुरू कर दिए. आर्टि‍लरी रेजिमेंट ने लगातार 13 घंटे तक बमबारी की और इस बमबारी की आड़ में भारतीय सेना के जांबाज आगे बढ़ते हुए दुश्‍मन के काफी करीब पहुंचने में कामयाब हो गए. वहीं, 18 ग्रेनेडियर्स की घातक प्लाटून करीब 12 घंटे की चढ़ाई के बाद दुश्‍मन के करीब तक पहुंचने में कामयाब हो गई. लेकिन तभी दुश्‍मन की नजर पहाड़ी चढ़ रहे भारतीय जवानों पर पड़ गई.

दुश्‍मन ने पूरी ताकत से भारतीय जांबाजों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दी. इस कठिन परिस्थितयों में भी भारतीय जांबाजों ने हिम्‍मत नहीं हारी और दुश्‍मन के करीब तक पहुंचने में कामयाब हो गए. सेना की तरफ से आखिरी निर्णायक हमला 3 जुलाई 1999 की शाम 5 बजकर 15 मिनट पर किया. करीब पांच दिन तक भारतीय सेना और पाकिस्‍तानी दुश्‍मन के बीच भीषण युद्ध चला. लगभग सभी विपरीत परिस्थितयों के बावजूद भारतीय सेना के जांबाज पाकिस्‍तान को पटखनी देने में कामयाब रहे. 8 जुलाई 1999 को एक बार फिर टाइगर हिल पर भारतीय तिरंगा फहराने लगा.

ग्रेनेडियर योगेंद्र को मिला परमवीर चक्र
आपको बता दें कि टाइगर हिल की लड़ाई में 18 ग्रेनेडियर्स के ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को 17 गोलियां लगीं थी. इतना ही नहीं ग्रेनेड के हमले में उनके शरीर का एक हिस्‍सा लगभग काम करना बंद कर चुका था. इतनी गंभीर अवस्‍था के बावजूद ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव ने आधा दर्जन से अधिक पाकिस्‍तानी सैनिकों को मार गिराया था. टाइगर हिल पर भारतीय सेना को मिली जीत में ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की भूमिका अहम रही है. इसी लड़ाई के लिए उन्‍हें सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

authorimg

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to …और पढ़ें

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to … और पढ़ें

homenation

-10°C तापमान-कम होती ऑक्सीजन, नहीं रुके भारतीय जांबाजों के कदम, फिर… कोहराम



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments