नई दिल्ली. भारतीय रक्षा बलों में महिला अधिकारियों को लेकर बीते 11 वर्षों में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव आया है. करीब 11 वर्ष पहले यानी 2014-15 तक रक्षा बलों में केवल 3,000 महिला अधिकारी थीं, लेकिन बीते एक दशक में रक्षा बलों में महिला अधिकारियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. रक्षा बलों में महिला अधिकारियों की संख्या अब 11,000 के पार हो चुकी है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल की है. सरकार द्वारा चलाई गई अनेक योजनाओं ने महिलाओं को रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक आत्मनिर्भरता और नेतृत्व के अवसर प्रदान किए. इन सभी प्रयासों ने भारत की नारी शक्ति को आत्मविश्वास, सम्मान और निर्णय की मुख्यधारा में लाकर खड़ा किया है. आज भारत की महिलाएं राष्ट्र निर्माण की एक सशक्त शक्ति बन चुकी हैं.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वह आर्मी मेडिकल कोर की कर्नल कमांडेंट के रूप में चुनी जाने वाली पहली महिला अधिकारी भी हैं. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक वाइस एडमिरल कविता सहाय प्रतिष्ठित सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज पुणे की पूर्व छात्रा हैं. उन्होंने प्रतिष्ठित एम्स, नई दिल्ली से पैथोलॉजी में विशेषज्ञता और ऑन्कोपैथोलॉजी में सुपर स्पेशलाइजेशन किया है. वाइस एडमिरल कविता सहाय एएचआरआर और बीएचडीसी में प्रयोगशाला विज्ञान विभाग की प्रोफेसर और प्रमुख भी रही हैं. भारतीय सेना नारी शक्ति को कितना महत्त्व देती है, इसकी एक झलक ‘कुमाऊं क्वेस्ट’ मोटरसाइकिल अभियान में भी दिखी.
अदिति मिश्रा के नेतृत्व में यह सैन्य दल मोटरसाइकिल से सुदूर पहाड़ियों तक पहुंचेगा. यह कुमाऊं की पहाड़ियों में पर्यटन को बढ़ावा देने, भारतीय विरासत को संरक्षित करने और हिमालय में भारत द्वारा किए गए सकारात्मक विकास को सुदृढ़ करने का मिशन है, जिसका नेतृत्व एक महिला अधिकारी को सौंपा गया है. वहीं, भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए ने 50 हजार किलोमीटर से अधिक का समुद्री सफर पूरा कर सागर परिक्रमा की है.