नई शिक्षा नीति के अनुसार अन्य कक्षाओं में शामिल की गई है संस्कृत।
गुजरात में पहली बार शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से 12वीं-कक्षा के लिए गुजराती भाषा की पाठ्यपुस्तक में श्रीमद्भगवद्गीता की व्याख्या करने वाले 2 अध्याय (पाठ-26 वैश्विक ग्रंथ-श्रीमद्भगवद्गीता और पाठ-27 भारतीय शाश्वत मूल्य और गीता) शामिल किए गए हैं। आज के समय
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत, गुजरात सरकार ने भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2022-23 से कक्षा-6 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में भगवद्गीता को शामिल करने की घोषणा की थी। इसके बावजूद कक्षा-12वीं में इसका अमल इस शैक्षणिक वर्ष से शुरू हुआ है। अध्यायों में बताया गया है कि किसी भी देश का साहित्य उस देश के समाज का प्रतिबिंब होता है। साहित्य के माध्यम से किसी देश के अतीत से लेकर वर्तमान तक को आसानी से समझा जा सकता है।
ॉइन पुस्तकों में ग्राफिक्स के जरिए आसान शब्दों में गीता के सिद्धांत बताए गए हैं।
सभी समस्याओं का समाधान गीता में: अमित शाह हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव’ में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा था- व्यक्ति, समाज और विश्व की सभी समस्याओं का समाधान गीता के उपदेश में समाहित है। पीएम मोदी ने भारत के ‘स्व’ को जगाने का काम किया है। देश के हर हिस्से, दुनिया के हर कोने में गीता का संदेश पहुंचना चाहिए।