प्रयागराज में गंगा–यमुना उफान पर हैं। बाढ़ का कहर जारी है। गंगा-यमुना खतरे के निशान को पार कर गईं हैं। ऐसे में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, क्यूआरटी और बाढ़ चौकियों ने रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा है। राहत शिविरों में परिवारों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। मौजूदा
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गंगापार और यमुनापार के ढाई सौ गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इनका संपर्क शहर से टूट रहा है। बिजली उपकेंद्र पानी में डूब गए। 33 हजार लाइन के पोल, खंभे पानी में डूबे हैं, ऐसे में 200 गांवों की बिजली गुल है। शहर की 10 लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है। 10 हजार घरों में पानी घुस गया है। ऐसे में शहर और गांव से लोगों को पलायन करना पड़ रहा है।
शहर से गांव को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पानी से लबालब हैं। इन सड़कों पर जहां गाड़ियां फर्राटा भरती थीं अब वहां नावें चल रही हैं। बाईकों को नावों पर लाद लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हैं। गांवों में दूध, दवाएं तक नावों से पहुंचाई जा रही हैं।
यहां तक की सैकड़ों लोग नावों से उस इलाके तक पहुंच रहे हैं जहां बाढ़ नहीं है और बिजली आ रही है। ये लोग अपने मोबाइल को चार्ज करने के लिए दो घंटे नाव पर बैठकर दूसरे इलाकों में जा रहे हैं। नौकरी पेशा, दुकानदार सभी नाव से गांव बाइक लेकर आते हैं फिर शहरी आबादी से अपने कामों को जाते हैं।
बाढ़ में डूबा घर बना आइलैंड

रेस्क्यू टीम बाल्टी के सहारे बाढ़ में फंसे लोगो को खाना पहुंचा रहे।

बाढ़ में फंसी प्रतियोगी छात्राओं काे इवैक्युएट करती टीम

