27 साल पहले बॉक्स ऑफिस पर गूंजी थी आमिर खान की दहाड़, फिल्म ने रचा था इतिहास, सिर्फ इन 5 वजह से आज भी है पॉपुलर

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27 साल पहले बॉक्स ऑफिस पर गूंजी थी आमिर खान की दहाड़, फिल्म ने रचा था इतिहास, सिर्फ इन 5 वजह से आज भी है पॉपुलर


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आमिर खान‑स्टारर ‘गुलाम’ आज भी इसलिए यादगार है कि ये बगावत, रोमांस और असली एक्शन का तीखा मिश्रण पेश करती है. ये फिल्म एक हिट फिल्म थी. इस फिल्म को देखने के पीछे के ये कारण आपको आज भी बांधे रखेंगे.

आमिर खान का स्टार स्टंट…(फोटो साभार- imdb)

हाइलाइट्स

  • आमिर खान की फिल्म ‘गुलाम’ 1998 में रिलीज हुई थी.
  • फिल्म ‘गुलाम’ में आमिर का किरदार ‘सिद्धार्थ मराठे’ यादगार है.
  • ‘आती क्या खंडाला’ गाना आज भी लोकप्रिय है.

मुंबई : 1998 में रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म गुलाम महज एक फिल्म नहीं थी ये एक जज्बा थी, एक बगावत थी. विक्रम भट्ट के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म ने ना सिर्फ आमिर खान के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि लोगों के दिलों में भी हमेशा के लिए अपनी जगह बना ली. गुलाम ने जहां सड़क की धूल से निकली कहानियों को आवाज दी, वहीं एक ऐसा नायक दिया जो कमजोर होते हुए भी अंदर से सबसे मजबूत था.

इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रच दिया था. विकिपीडिया के आंकड़ों के अनुसार, ये फिल्म साल 1998 की सातवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी. तो आइए, जानिए वो 5 खास वजहें जो इस फिल्म को आज भी एक ‘मस्ट वॉच’ बनाती हैं और शायद फिर से एक बार स्क्रीन पर देखने की तलब जगा देती हैं.

आमिर का शानदार किरदार

आमिर खान ने ‘सिद्धार्थ मराठे’ के किरदार में न सिर्फ एक्टिंग की, बल्कि उसमें उतर गए. एक ऐसा युवा जो अपनी असलियत से भाग रहा होता है, लेकिन हालात उसे नायक बनने पर मजबूर कर देते हैं. आमिर की बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी और आंखों में छिपा डर और गुस्सा, आज भी सिनेप्रेमियों को अंदर तक झकझोर देता है.

आमिर खान का गाना

जब आमिर खान ने खुद गाना गाया, किसी को उम्मीद नहीं थी कि ये बॉलीवुड एंथम बन जाएगा. लेकिन अलका याग्निक के साथ उनका ये गाना आज भी हर कॉलेज गोइंग कपल की प्लेलिस्ट में मिल जाएगा. इसकी चुलबुली केमिस्ट्री, मस्तीभरे लिरिक्स और आमिर की आवाज आज भी दिल जीत लेती है.

खतरनाक ट्रेन सीन

शायद ही कोई सिनेमा प्रेमी हो जिसने ‘गुलाम’ का वो ट्रेन सीन न देखा हो- जहां आमिर एक दौड़ती ट्रेन की ओर भागते हैं और ऐन वक्त पर ट्रैक से कूद जाते हैं. कोई बॉडी डबल नहीं, कोई VFX नहीं- ये स्टंट आमिर ने खुद किया था और यही दृश्य आज भी इंडियन सिनेमा के सबसे रियल और रौंगटे खड़े कर देने वाले पलों में गिना जाता है.

शानदार डायलॉग्स  

‘डर के आगे भी जीत होती है क्या? मैं भाई के लिए कुछ भी कर सकता हूं.’ ऐसे डायलॉग्स सिर्फ याद नहीं रखे जाते, बल्कि जिंदगी के मुश्किल पलों में इंस्पिरेशन बन जाते हैं. गुलाम ने ना सिर्फ एक कहानी सुनाई, बल्कि शब्दों के जरिए जज्बातों का तूफान खड़ा कर दिया.

गजब का क्लाइमेक्स

गुलाम का अंत सिर्फ एक क्लाइमैटिक फाइट नहीं थी, ये उस किरदार की आत्मा की मुक्ति थी. आमिर जब डर को पीछे छोड़ते हुए सच्चाई के लिए खड़े होते हैं, लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ये उस ‘भीतर के विद्रोही’ की कहानी थी जो समाज में कई बार चुप रहता है- लेकिन एक दिन, वो चुप्पी हथियार बन जाती है.

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27 साल बाद भी क्यों हिट है आमिर की ‘गुलाम’? जानिए 5 दमदार वजहें!



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