Monday, July 7, 2025
Homeदेश30 साल पहले दो पंचेन लामा बनाए गए, वो अब कहां, एक...

30 साल पहले दो पंचेन लामा बनाए गए, वो अब कहां, एक को चीन ने परिवार समेत गायब कर दिया


तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा और पंचेन लामा सबसे उच्च धार्मिक पद माने जाते हैं. जहां दलाई लामा को बौद्ध जगत का सर्वोच्च गुरु माना जाता है, वहीं पंचेन लामा को उनके धार्मिक गुरु और उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार प्राप्त है लेकिन 1995 में तिब्बत और चीन के बीच पंचेन लामा की पहचान को लेकर जो विवाद हुआ, वह आज तक हल नहीं हो सका. बल्कि एक पंचेन लामा को परिवार के साथ चीन ने यूं गायब किया कि 30 साल बाद भी उसका कोई पता नहीं है.

कौन हैं पंचेन लामा?

तिब्बती बौद्ध परंपरा में पंचेन लामा दलाई लामा के पुनर्जन्म की पहचान करते हैं. पंचेन लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग पंथ के एक प्रमुख धार्मिक नेता होते हैं, जो दलाई लामा के बाद दूसरे सर्वोच्च लामा माने जाते हैं. पंचेन लामा को ताशी ल्हुन्पो मठ (शिगात्से, तिब्बत) का प्रमुख माना जाता है. यह पद अवतारी (पुनर्जन्म लेने वाले) लामाओं की परंपरा पर आधारित है.

पंचेन लामा का पद 17वीं शताब्दी में चौथे पंचेन लामा, लोबसांग चोक्यी ग्याल्त्सेन, के समय से प्रसिद्ध हुआ, जो दलाई लामा के शिक्षक भी थे. दलाई लामा और पंचेन लामा एक-दूसरे के गुरु और शिष्य रहे हैं और एक दूसरे के पुनर्जन्मों की खोज में इनकी परस्पर भूमिका होती है.

पंचेन लामा का पद तिब्बती बौद्ध धर्म में आध्यात्मिक और राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में यह चीन-तिब्बत संघर्ष का केंद्र बना हुआ है. वास्तविक तौर पर दोनों पदों का अस्तित्व एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है. पंचेन लामा को ‘पंडित बौद्ध गुरु’ कहा जाता है.

दलाई लामा ने 1995 में गेंदुन चोक्यी न्यिमा को पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी लेकिन चीन ने उसको परिवार के साथ गायब कर दिया.

1995 में क्या हुआ पंचेन लामा का विवाद

14वें दलाई लामा (तेनज़िन ग्यात्सो) ने 14 मई 1995 को 6 वर्षीय तिब्बती बालक गेंदुन चोक्यी न्यिमा को 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी. गेंदुन चोक्यी न्यिमा का जन्म 25 अप्रैल 1989 को तिब्बत के शिगात्से ज़िले में हुआ था. वो तिब्बत के शिगात्से ज़िले के एक साधारण परिवार से थे.

मान्यता देने के तीन दिन बाद ही चीन ने कार्रवाई करते हुए 17 मई 1995 को गेंदुन चोक्यी न्यिमा और उनके माता-पिता को अगवा कर लिया. तभी से गेंदुन चोक्यी न्यिमा को ‘दुनिया का सबसे कम उम्र का राजनीतिक बंदी’ कहा जाने लगा.

तब से उन्हें किसी ने नहीं देखा

30 सालों से दलाई लामा द्वारा मान्यता दिए गए पंचेन लामा की कोई खोज खबर नहीं है. उसकी कोई तस्वीर तब से जारी नहीं हुई. कहीं उसे सार्वजनिक तौर पर देखा भी नहीं गया.

कभी कहा गया कि वे बीजिंग के पास किसी ‘सुरक्षित स्थान’ पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. 2007 और 2010 में कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उन्होंने गैर-धार्मिक जीवन जीने का विकल्प चुना है.

संयुक्त राष्ट्र में भी पूछा गया सवाल

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ और मानवाधिकार संगठन लगातार गेंदुन चोक्यी न्यिमा की स्थिति पर जानकारी मांगते रहे हैं लेकिन उसका कोई सही जवाब चीन से नहीं मिलता. चीन ने 2020 में संयुक्त राष्ट्र को जवाब दिया कि वह “सुरक्षित है”. 2020 में संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उनकी जानकारी देने की मांग की थी, पर चीन ने मना कर दिया.

दलाई लामा आज भी गेंदुन चोक्यी न्यिमा को 11वें पंचेन लामा मानते हैं. उन्होंने कभी भी इस बारे में दावा नहीं किया कि वे गेंदुन चोक्यी न्यिमा से मिले हैं या संपर्क में हैं. उनका हमेशा कहना रहा है, “वे जहां भी हैं, सुरक्षित रहें, और जल्द दुनिया उन्हें देख सके.”

ये चीन सरकार द्वारा पंचेन लामा है, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की देखरेख में रहता है. चीन की संसद में शिरकत भी करता है.

चीन ने बनाया अपना पंचेन लामा

चीन ने 29 नवम्बर 1995 को ग्याल्त्सेन नोरबू नामक बालक को पंचेन लामा घोषित कर दिया. इसे चीन ने ‘गोल्डन अर्न’ नामक पुरानी किंग राजवंश की प्रक्रिया के तहत चुना गया. जब उसको चुना गया तब उसकी उम्र पांच साल की थी.फिलहाल वो बीजिंग में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की देखरेख में रहते हैं. चीनी सरकार उन्हें तिब्बती बौद्ध धर्म का ‘अधिकारिक पंचेन लामा’ बताती है. चीन का पंचेन लामा चीनी सरकार द्वारा घोषित बीजिंग के चीनी सरकारी आयोजनों में पंचेन लामा के तौर पर भाग लेते हैं.

चीनी पंचेन लामा का जीवन कैसा है

चीन का पंचेन लामा बीजिंग और ल्हासा (तिब्बत) में विशेष सरकारी सुरक्षा में आलीशान सरकारी आवास में रहता है. उसको सरकारी एस्कॉर्ट, लिमोज़िन कार और VIP सुविधाएं मिली हुई हैं. सेना हमेशा सेक्युरटी में लगी होती है. उन्हें चीन की धार्मिक अफेयर्स एडमिनिस्ट्रेशन और कम्युनिस्ट पार्टी से विशेष वेतन और खर्च मिलता है. उसे बीजिंग में विशेष धार्मिक और राजनीतिक शिक्षा दी गई.

वह चीन की पीपुल्स पालिटिकल कंसलेटिव कांफ्रेंस की स्टैंडिंग कमेटी का सदस्य हैं. ग्याल्त्सेन नोरबू को तिब्बत में धार्मिक आयोजनों में चीनी अधिकारियों के साथ मंच पर बैठाया जाता है. वह हमेशा चीन की धार्मिक नीतियों और राष्ट्रहित की बातें करता है. हालांकि तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं और आम तिब्बती जनता में उसकी कोई लोकप्रियता या धार्मिक स्वीकार्यता नहीं है.

दलाई लामा और तिब्बती निर्वासित सरकार का रुख

निर्वासित तिब्बती सरकार और दलाई लामा ने गेंदुन चोक्यी न्यिमा को ही पंचेन लामा माना है. चीन द्वारा घोषित ग्याल्त्सेन नोरबू को तिब्बती बौद्ध भिक्षु और आम तिब्बती ‘कठपुतली पंचेन लामा’ मानते हैं. दलाई लामा ने पंचेन लामा विवाद से सबक लेकर अपने उत्तराधिकारी की व्यवस्था खुद जीवित रहते करने का फैसला किया है.

चीन की चाल क्या है

पंचेन लामा के ज़रिए चीन तिब्बती बौद्ध धर्म और उसकी परंपराओं पर कब्ज़ा स्थापित करना चाहता है. भविष्य में जब दलाई लामा नहीं रहेंगे, तो चीनी सरकार अपने पंचेन लामा से दलाई लामा के पुनर्जन्म की मान्यता दिलवाकर धार्मिक सत्ता हथियाना चाहती है.



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments