जबलपुर पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से बड़ी संख्या में नकली नोट बरामद किए हैं।
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यह कहना है ऋतुराज विश्वकर्मा का, जिसके पास से जबलपुर पुलिस ने करीब 5 लाख रुपए के नकली नोट बरामद किए हैं। पुलिस ने इसके एक साथी को भी गिरफ्तार किया है। वह नकली नोटों को बाजार में खपाने की तैयारी में था।
पूछताछ के दौरान पता चला है कि ऋतुराज के कुछ साथी छत्तीसगढ़ में छिपे हुए हैं। यह भी हो सकता है कि मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के भी कुछ जिलों में इन लोगों ने नकली नोट चलाए हों।
पूछताछ में ऋतुराज ने बताया कि उसने पता किया कि भारतीय रिजर्व बैंक की नोट को लेकर गाइडलाइन क्या होती है। वह लगातार आठ माह तक यूट्यूब, गूगल पर रिसर्च करता रहा। इसके बाद उसे नकली नोट बनाने का आइडिया जमा। उसने लैपटॉप और प्रिंटर का इस्तेमाल करके 500-500 के नोट पेपर पर छाप लिए।
हालांकि, इसमें उतनी सफाई नहीं आई, जितनी असली नोट में रहती है। यही वजह थी कि जिसे नोट बाजार में खपाने के लिए दिए थे, वह पकड़ा गया। इसके बाद खुद ऋतुराज भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया।
लैपटॉप और प्रिंटर का इस्तेमाल करके 500-500 के नोट पेपर पर छापते थे।
संदिग्ध से पूछताछ के बाद पकड़ा गया मास्टरमाइंड सोमवार सुबह हनुमान ताल थाना प्रभारी को मुखबिर से सूचना मिली कि मंडी मदार-टेकरी के पास एक संदिग्ध युवक खड़ा हुआ है। उसके पास बहुत सारे पांच सौ रुपए के नोट हैं। पुलिस तुरंत एक्टिव हुई और घेराबंदी कर युवक को पकड़ा तो उसने अपना नाम रवि दाहिया (55), निवासी घमापुर बताया।
युवक के पास रखे बैग को जब पुलिस ने तलाश किया तो होश उड़ गए। उसके पास 2 लाख 94 हजार रुपए के नोट मिले। हिरासत में लेकर रवि को जब थाने लाया गया और नोट की चेकिंग तो पता चला कि ये नकली है। आरोपी ने बताया कि नोट ऋतुराज विश्वकर्मा नाम के एक व्यक्ति ने दिया है, जिससे कि एक माह पहले ही चाय की दुकान पर दोस्ती हुई थी।
रवि के बताए ठिकाने पर जब हनुमान ताल थाना प्रभारी ने दबिश दी तो वहां पर नोटों का जखीरा पुलिस को मिला, इसके साथ ही लैपटॉप, प्रिंटर, व्हाइट पेपर, नोट कटर मिले। पुलिस ने मौके से ऋतुराज को गिरफ्तार किया जो कि लैपटॉप की मदद से 500 रुपए के नोट की डिजाइन कर रहा था।
प्रिंटिंग से लेकर कटिंग और फिनिशिंग का काम करता था ऋतुराज विश्वकर्मा (38) नरसिंहपुर का रहने वाला है। जबलपुर निवासी एक युवती से लव मैरिज करने के बाद पांच साल पहले वह आधारताल में ही किराए के मकान में रहने लगा। उसने घर के ही एक कमरे में नकली नोट बनाने का कारखाना खोल लिया, जहां वह प्रिंटिंग से लेकर कटिंग और फिनिशिंग का काम किया करता था, हालांकि उसकी पत्नी अपने पति के इस कारनामे से पूरी तरह अनजान थी।
आरोपी पेंट नाम के एक सॉफ्टवेयर से असली 500 के नोट की हूबहू डिजाइन तैयार करता और प्रिंटर की मदद से उसे छापता था। पुलिस ने ऋतुराज के घर से करीब 4 लाख 88 हजार रुपए के नकली नोट बरामद किए हैं। इसमें 1 लाख 94 हजार रुपए के अनकटिंग नोट भी शामिल हैं। साथ ही 10 बंडल से अधिक व्हाइट पेपर A4 साइज के भी जब्त किए हैं।
कम्प्यूटर फ्रेंडली है, 8 महीने तक कई वेबसाइट सर्च की आईआईबीएम (IIBM) भारतीय व्यवसाय प्रबंधन संस्थान बैंकिंग और वित्त में कई कोर्स कराता है। ये कोर्स बैंकिंग क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए डिजाइन किए गए हैं। ये कोर्स बैंकिंग क्षेत्र में सफल करियर बनाने के लिए जरूरी नॉलेज और स्किल देते हैं।
आरोपी ने आईआईबीएम में बैंकिंग कोर्स करने के लिए, उसकी वेबसाइट पर जाकर कई अहम जानकारी जुटाई थी। पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि नोट की जानकारी पाने के लिए उसने कई वेबसाइट को भी सर्च किया और वो भी आठ माह तक।
दस साल पहले ऋतुराज ने (आईआईबीएम) का बैंकिंग सर्टिफिकेट कोर्स किया था। इसके साथ ही आरोपी ने बीबीए की पढ़ाई भी की है। कम्प्यूटर फ्रेंडली आरोपी ने बेहद शातिराना अंदाज से नकली नोट बनाने का प्लान किया, पर पकड़ा गया।

पुलिस ने नकली नोट बनाने और खपाने के आरोप में ऋतुराज और रवि को पकड़ा है।
दिन में प्राइवेट जाॅब, रात में नकली नोट बनाता था आरोपी ऋतुराज के परिवार में उसकी पत्नी और एक बेटा है। परिवार को बताने के लिए वह रोज जाॅब में जाने का कहकर घर से निकला करता था। रात को जब पत्नी-बच्चे सो जाते तो एक कमरे में नकली नोट तैयार किया करता। ऋतुराज ने नोट बनाने के लिए व्हाइट पेपर ऑनलाइन मंगाए थे, इसके साथ ही 500 के नोट के लिए महंगे रंग का इस्तेमाल करता था।
आरोपी पहले लैपटॉप में असली जैसे दिखने वाले 500 के असली नोट की डिजाइन तैयार करता था और फिर प्रिंटर की मदद से एक सीट पर दोनों तरफ 500-500 के नोट प्रिंट करता। असली नोट में जहां चांदी की तार लगती है, वहां पर सिल्वर कलर से लाइन खींची जाती थी।
तैयार होने के बाद अगर अचानक ही नोट को हाथ में लिया जाए तो जरा भी इसका अंदाजा नहीं हो सकता है कि नोट असली है या फिर नकली। नकली नोट की अगर गड्डी बनाई जाए और फिर उसे असली नोटों के जैसे गिना जाए तो, नोट आसानी से खिसकते नहीं थे, यही वजह है कि असली-नकली नोट में फर्क समझ में आता था। इसके साथ ही नकली नोट का पेपर असली की अपेक्षा थोड़ा सा मोटा है।
एक रात नोट की प्रिंटिंग, एक रात नोट कटिंग नकली नोट बनाने के लिए ऋतुराज ने फुल प्रूफ प्लान बनाया था, हालांकि उसे लालच भी आ गया था। जिसके चलते उसने बड़ी संख्या में नकली नोट प्रिंट किए और फिर बाजार में खपाने के लिए रवि दाहिया को साथ में लिया। ऋतुराज और रवि के बीच 70-30 के अनुपात में डील हुई थी। अगर नकली नोट बाजार में चलते तो खपाए गए नोटों में 70 फीसदी ऋतुराज को और 30 प्रतिशत रवि को मिलता।
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि प्लान यह भी था कि अगर कोई बड़ी संख्या में नकली नोट लेता तो, उसके बदले 25 प्रतिशत असली नोट लेते, यानी कि अगर 1 लाख के नकली नोट लेते तो उसके लिए 25 हजार रुपए के असली नोट देने होते।

गिरोह के और भी सदस्यों के नाम सामने आ सकते हैं हनुमान ताल थाना प्रभारी धीरज राज ने दैनिक भास्कर को बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया है कि उसने पहली बार ही नकली नोट बनाए हैं। हालांकि उसकी बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। ऋतुराज के अलावा उसके साथी रवि दाहिया को भी दो दिन की रिमांड ली है। जांच के दौरान गिरोह के और भी सदस्यों के नाम सामने आ सकते हैं।