मुंबई2 घंटे पहले
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने कहा कि यह अधिनियम अपने मौजूदा स्वरूप में संवैधानिक रूप से वैध है। इसलिए इसकी वैधता को चुनौती देना विफल हो जाता है।
याचिका अनिल बाबूराव बेले ने 2021 में दायर की थी। बेले को NIA ने 2020 में एल्गार परिषद से जुड़े मामले में नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ बेले ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
याचिका खारिज होने के बाद बाबूराव के वकील ने मीडिया से कहा कि हम देखेंगे बॉम्बे हाईकोर्ट ने किन मुद्दों पर याचिका खारिज की है। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
याचिका में किए गए दावे…
- UAPA और अब निलंबित भारतीय दंड संहिता (IPC) की राजद्रोह से जुड़ी धारा 124ए को भी असंवैधानिक और अधिकारहीन घोषित करने की मांग की गई थी।
- संविधान कहीं भी कार्यपालिका को निर्णय लेने और संसद को किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित करने का अधिकार नहीं दे सकता। संविधान के अनुसार केवल रक्षा, विदेश और राष्ट्रीय सुरक्षा इन तीन से जुड़े मुद्दों पर प्रतिबंधात्मक गिरफ्तारी कि जा सकती है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 2001 के प्रस्ताव जो आतंकवाद का समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति को अपराधी बनाने के लिए था, उसे अपनाने के लिए UAPA में किए गए संशोधन ने सरकार के लिए किसी भारतीय नागरिक या संगठन को आतंकवादी घोषित करना आसान बना दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लेने का आधिकार हाईकोर्ट को दिया था
NIA से नोटिस मिलने के बाद बेले ने UAPA की वैधता को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2025 में हाईकोर्ट्स को UAPA संशोधनों की संवैधानिकता की सुनवाई करने का निर्देश दिया था। बॉम्बे HC ने उसी दिशा में निर्णय दिया।