Monday, July 21, 2025
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भारतीय संगीत का चमकता सितारा, जिसे ‘गानेवाली’ कहकर लोग मारते थे ताने, टैलेंट से छुई बुलंदियां


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भारतीय संगीत जगत का चमकता सितारा, जिसे लोग ‘गानेवाली’ कहकर ताने देते थे, उसने अपनी गायकी से एक मिसाल कायम की थी. वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक ऐसी आवाज, जिसे भुला पाना नामुमकिन है. गंगूबाई हंग…और पढ़ें

गंगूबाई हंगल का निधन दिल की बीमारी से हुआ था. (फोटो साभार: IANS)

हाइलाइट्स

  • गंगूबाई हंगल ने आखिरी प्रस्तुति 75 साल की उम्र में दी थी.
  • गंगूबाई हंगल पद्म विभूषण से सम्मानित हुई थीं.
  • गंगूबाई हंगल की याद में डाक टिकट जारी हुई थी.
नई दिल्ली: गंगूबाई हंगल का बचपन सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से भरा था. वे साल 1913 में कर्नाटक के धारवाड़ में एक केवट परिवार में जन्मी थी. उनकी मां अंबाबाई एक कर्नाटक संगीत गायिका थीं. गंगूबाई ने संगीत की शुरुआती शिक्षा मां से ली. 13 साल की उम्र में गंगूबाई ने किराना घराने के उस्ताद सवाई गंधर्व से शिक्षा लेना शुरू किया. हालांकि, सामाजिक रूढ़ियों के कारण उन्हें ‘गानेवाली’ कहकर ताने सहने पड़े. उस दौर में महिलाओं का मंच पर गाना मंजूर नहीं था. सामाज के हाशिये पर रह रहे परिवार की महिला के लिए तो यह और भी मुश्किल भरा था. फिर भी, गंगूबाई ने हार नहीं मानी.

गणेश उत्सवों में गाने से की शुरुआत
गंगूबाई हंगल की आत्मकथा ‘ए लाइफ इन थ्री ऑक्टेव्स: द म्यूजिकल जर्नी ऑफ गंगूबाई हंगल’ में उनके स्ट्रगल का जिक्र मिलता है. गंगूबाई की गायकी की खासियत थी उनकी गहरी, स्थिर और भावयुक्त आवाज. वे हर राग को धीरे-धीरे, जैसे सूरज की किरणों के साथ फूल की पंखुड़ियां खुलती हैं, वैसे खोलती थीं. उनकी आवाज में गहराई थी, जो श्रोताओं के दिल को छू जाती थी. 1930 के दशक में मुंबई के स्थानीय समारोहों और गणेश उत्सवों से शुरू हुआ उनका सफर ऑल इंडिया रेडियो और देशभर के प्लेटफॉर्म तक पहुंचा. उन्होंने शुरू में भजन और ठुमरी गायन किया, लेकिन बाद में केवल राग पर ध्यान लगाया. उनकी गायकी किराना घराने की परंपरा को नई ऊंचाइयों तक ले गई.

कई सम्मानों से नवाजी गई थीं गंगूबाई हंगल
गंगूबाई के योगदान को कई सम्मानों से नवाजा गया. साल 1962 में उन्हें कर्नाटक संगीत नृत्य अकादमी पुरस्कार मिला. साल 1971 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण और 2002 में पद्म विभूषण, सम्मान दिया. 1973 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 1996 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप मिला. 1997 में दीनानाथ प्रतिष्ठान और 1998 में माणिक रतन पुरस्कार ने उनकी उपलब्धियों को और चमक दी.

75 साल लंबा था करियर
गंगूबाई हंगल की विरासत को सम्मानित करने के लिए कर्नाटक सरकार ने साल 2008 में कर्नाटक स्टेट डॉ. गंगूबाई हंगल म्यूजिक एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स यूनिवर्सिटी की स्थापना की. वहीं, साल 2014 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया. गंगूबाई का जीवन प्रेरणा की मिसाल है. 16 साल की उम्र में शादी, 20 साल की उम्र में पति का निधन और बेटी कृष्णा की कैंसर से मृत्यु, इन तमाम दुखों के बावजूद उन्होंने संगीत को आगे बढ़ाया. साल 2006 में उन्होंने 75 साल के करियर का जश्न मनाते हुए अपनी आखिरी प्रस्तुति दी थी. 21 जुलाई 2009 को 97 साल की आयु में हृदय रोग की वजह से उनका निधन हो गया.

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Abhishek Nagar

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल… और पढ़ें

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