चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. यशवंत राव बताते हैं कि बच्चे सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स की वर्चुअल दुनिया में इतनी तेज़ी से खो रहे हैं कि उनके लिए लाइक, कमेंट्स और वर्चुअल पहचान ही सब कुछ बन गई है. यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है. अगर आपका बच्चा भी इस समस्या से जूझ रहा है, तो उसे इस वर्चुअल दुनिया से बाहर निकालने के लिए कुछ प्रभावी तरीके अपनाए जा सकते हैं.

डिजिटल इस्तेमाल के नियम तय करें: अपने बच्चे के लिए स्क्रीन टाइम की सीमा निर्धारित करें. इसके लिए टाइमर या ऐप का उपयोग कर सकते हैं. घर में नो-स्क्रीन जोन जैसे बेडरूम, डाइनिंग टेबल आदि बनाए. यहां गैजेट्स की अनुमति न हो. डिनर या बातचीत के दौरान गैजेट्स को दूर रखकर पारिवारिक समय को प्राथमिकता दें.

खुद एक उदाहरण बनें: बच्चे बड़ों को देखकर सीखते हैं, इसलिए अपना स्क्रीन टाइम भी कम करें. गैजेट्स से दूर रहकर बच्चों के साथ बोर्ड गेम्स खेलें, किताबें पढ़ें, पार्क जाएं या कोई नई हॉबी सीखें.

फिजिकल एक्टिविटीज को बढ़ावा दें: अपने बच्चे को पेंटिंग, म्यूज़िक, डांस, खेल-कूद या गार्डनिंग जैसी नई हॉबीज में शामिल करें. उन्हें दोस्तों के साथ बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और प्रकृति से जोड़ें. खासकर पार्क में खेलना सुनिश्चित करें.

खुलकर बातचीत करें: समझने की कोशिश करें कि बच्चे ऑनलाइन दुनिया में इतना समय क्यों बिता रहे हैं. उन्हें साइबरबुलिंग और ऑनलाइन खतरों के बारे में बताएं. नियमों को थोपने के बजाय, उन्हें नियम बनाने की प्रक्रिया में शामिल करें, ताकि वे सहयोग करें.

डॉक्टर्स की भी लें मदद: अगर बच्चा किसी भी तरह से गैजेट्स से दूर नहीं रह पा रहा और स्थिति गंभीर लगती है तो किसी बाल मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से मदद लेने पर विचार करें. वे सही दिशा-निर्देश दे सकते हैं.
Published at : 26 Jul 2025 07:37 AM (IST)