केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी CBFC, जिसे आप सेंसर बोर्ड के नाम से जानते हैं. इसका काम है भारत में बनने वाली फिल्मों को रिलीज से पहले कंटेंट के हिसाब से सर्टिफिकेट देना है. ये कंटेंट, दृश्य व संवाद सब पर बारीकी से नजर रखता है. अगर कुछ फैक्ट गलत हो, भड़काऊ हो या आपत्तिजनक हो तो कैंची भी चलाता है. कुल मिलाकर सेंसर बोर्ड से जबतक कोई फिल्म पास नहीं होती उसे रिलीज के लिए हरी झंडी नहीं मिलती. मगर सेंसर बोर्ड के कई किस्से ऐसे भी सुनने को मिलते हैं, जिसपर स्टार्स हैरानी जताते हैं.
जैसे एक किस्सा अपने जमाने की सुपरहिट हीरोइन वहीदा रहमान ने सुनाया था. उस समय फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट होती थी. तब वहीदा रहमान और गुरु दत्त ने ‘चौदहवीं का चांद’ फिल्म में साथ में काम किया था. ये फिल्म काफी चली थी और आइकॉनिक साबित हुई थी.
वहीदा रहमान की खूबसूरत आंखें
वहीदा रहमान अपने जमाने की बेहद खूबसूरत और हाइएस्ट पेड एक्ट्रेस में से एक हैं. एक बार तो फिल्म के एक सीन में उनकी नशीली और खूबसूरत आंखों के चक्कर में सेंसर बोर्ड ने सवाल खड़े कर दिए थे. अब आप सोच रहे होंगे भला ये क्यों?
‘चौदहवीं का चांद’ के बारे में
साल 1960 में ‘चौदहवीं का चांद’फिल्म आई थी जिसमें लीड रोल में गुरु दत्त और वहीदा रहमान थे तो मुमताज बेगम, टुन-टुन और जॉनी वॉकर जैसे सितारे भी थे. फिल्म को एम सादिक ने डायरेक्ट किया था तो गुरु दत्त ने फिल्म को खुद प्रोड्यूस करने का फैसला लिया था.
‘चौदहवीं का चांद’ पर सेंसर बोर्ड ने उठाए थे सवाल
‘चौदहवीं का चांद’ बनकर तैयार हुई और सेंसर बोर्ड में पहुंचीं. तब एक सीन को लेकर सवाल उठे. इसी सीन के बारे में खुद ‘जश्न-ए-रेख्ता’ में बात करते हुए वहीदा रहमान ने कहा था, ‘जब तक ‘चौदहवीं का चांद’ बनकर पूरी हुई तब तक रंगीन फिल्में रिलीज होने लगी थीं. गुरु दत्त फिल्म के प्रोड्यूर भी थे तो उन्होंने फैसला लिया कि वह इसके एक गाने को कलर में दोबारा शूट करेंगे. तब लाइट्स काफी तेज हुआ करती थी. हर शूट से पहले हमें आंखों पे बर्फ लगानी पड़ती थी.’
वहीदा रहमान की आंखें थीं एकदम लाल
सेंसर बोर्ड की प्रतिक्रिया के बारे में बताते हुए वहीदा रहमान ने बताया, ‘जब फिल्म सेंसर बोर्ड के पास गई तो उन्होंने कहा कहा कि वदीहा के दो शॉट्स काट दीजिए. तब गुरु दत्त ने पूछा आखिर क्यों? तो उन्होने कहा इसमें वहीदा की आंखें बहुत लाल है.’
सेंसर बोर्ड बोला- वहीदा की आंखें बहुत सेक्सी
इसे बारे में आगे बताते हुए एक्ट्रेस ने कहा, ‘गुरु दत्त ने वहां समझाने की कोशिश की कि लाइट्स बहुत तेज होती है तो इस वजह से आंखों पर काफी असर भी पड़ता है. मगर लाल आंख हो भी गई तो इसमें खराबी क्या है? तो उन्होंने कहा कि वहीदा की आंखें बहुत सेक्सी और सेंसुअल लग रही हैं.’
आखिरकार सेंसर बोर्ड को मानना ही पड़ा
तब गुरु दत्त को सेंसर बोर्ड को समझाया पड़ा की ‘चौदहवीं का चांद’ का वो टाइटल सॉन्ग हैं जहां पति और पत्नी का एक दृश्य है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. आखिरकार सेंसरबोर्ड को उनकी बात माननी पड़ी. वो सीन बिना किसी की कांट छांट के गया. आज भी वो गाना और आंखें सबकुछ जस का तस मौजूद है. वहीदा रहमान ने सेंसर बोर्डके बारे में कहा था, ‘मैं सोचती हूं कि अगर वो मेंबर्स अभी होते तो बेहोश हो जाते आजकल की फिल्में देखकर.’

