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Aligarh famous Nihari: अलीगढ़ का नाम सिर्फ ताला और तालीम के लिए ही नहीं, बल्कि अपने खास स्वाद के लिए भी जाना जाता है. शहर के सिविल लाइन इलाकों में सुबह-सुबह उठती खुशबू आपको सीधे निराले की नहारी तक खींच लाती है. कई दशकों से यह नहारी अलीगढ़ की पहचान बन चुकी है. कहा जाता है कि जिसने निराले की नहारी नहीं खाई, उसने अलीगढ़ का असली स्वाद नहीं चखा.
अलीगढ़ का ज़िक्र आते ही ताले, तालीम और तहज़ीब की बातें होती हैं. लेकिन इस शहर की गलियों में जो खुशबू हर सुबह बिखरती है. वो है निराले की नहारी की. करीब 40 साल पहले इस नहारी की शुरुआत हुई थी. शहर के सिविल लाइन मे मिलने वाली नहारी आज अलीगढ़ का स्वाद बन चुकी है. इस नहारी का मसालों का संतुलन ऐसा है कि एक बार जिसने खाई, वो दोबारा ज़रूर लौटकर आता है.

निराले के होटल की नहारी की सबसे बड़ी खासियत इसका धीमी आंच पर पकना है. मटन के टुकड़ों को हल्की आंच पर 5 से 6 घंटे तक पकाया जाता है, ताकि मसाले पूरी तरह मटन में मिल जाएं. देग में घुलते मसालों की महक और उबलते घी की झलक लोगों के मुंह में पानी ला देती है. इसमें डाला जाता है घर का तैयार किया हुआ खास मसाला, जिसमें कश्मीरी मिर्च, धनिया, सौंठ, जायफल, जावित्री, इलायची और केवड़ा जल का खास इस्तेमाल होता है.

रेसिपी की बात करें तो मटन को पहले मसालों और दही के साथ मेरिनेट किया जाता है. फिर बड़ी देग में प्याज, लहसुन और अदरक के साथ डालकर धीमी आँच पर पकाया जाता है. इस देसी नुस्खे से नहारी की ग्रेवी गाढ़ी, मसालेदार और बेहद सुगंधित बनती है. इसे खास अलीगढ़ी तंदूरी रोटी या खमीरी रोटी के साथ परोसा जाता है, जो इसके स्वाद को दोगुना कर देती है.

अगर बात करें रेट की, तो यहां आधी प्लेट नहारी की क़ीमत 120 रूपये और फुल प्लेट की क़ीमत 240 रूपये मे मिल जाती है. तंदूरी रोटी या खमीरी रोटी का दाम 10 रूपये प्रति पीस है. कई ग्राहक तो कहते हैं कि स्वाद ऐसा है कि दाम याद ही नहीं रहता. यही वजह है कि सुबह के वक्त यहां सीट मिलना किसी किस्मत से कम नहीं.

सर्दियों के मौसम में निराले की नहारी की डिमांड और बढ़ जाती है. लोग कहते हैं कि ठंडी सुबह में गरमा-गरम नहारी और तंदूरी रोटी का मज़ा ही कुछ और ही है. नहारी के साथ प्याज के टुकड़े, नींबू और ऊपर से घी की हल्की परत इस डिश को पूरी तरह लाजवाब बना देती है. जो खाता है वो इसका स्वाद नहीं भूलता.

सुबह 6 बजे से होटल खुल जाता है और कुछ ही घंटों में सारी नहारी खत्म हो जाती है. ग्राहक लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं. छात्र, व्यापारी, अफसर, और आम लोग सब एक ही जगह पर बैठकर वही स्वाद चखते हैं जो दशकों से अलीगढ़ का हिस्सा बना हुआ है.अलीगढ़ के अलावा शहर के आसपास से भी लोग इस नहारी का स्वाद चखने आते हैं.

अलीगढ़ के सिविल लाइन मे मिलने वाली निराले होटल की नहारी अब सिर्फ एक डिश नहीं रही, बल्कि अलीगढ़ की पहचान बन चुकी है. इसका स्वाद न सिर्फ पेट भरता है बल्कि दिल को सुकून देता है. यह वही पुराना स्वाद है जो हर सुबह अलीगढ़ की गलियों में ज़िंदगी और ज़ायका दोनों का एहसास कराता है.यह नहारी स्वाद मे होती है लाजावब.

