सुखबीर सिंह बादल की मीडिया से बात करते हुए (फाइल फोटो)।
चंडीगढ़ में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को मानहानि केस में बड़ा झटका लगा है।
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिक दृष्टि से मामला विचार योग्य है।
इस लिए इस स्तर पर शिकायत खारिज नहीं की जा सकती। अब इस केस की सुनवाई निचली अदालत में होगी।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुखबीर बादल की दलीलें खारिज कर दी है।
दो पॉइंट में पढ़िए, क्या था मानहानि केस…
- 2017 में दिया था विवादित बयान: मामला वर्ष 2017 का है, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब चुनाव के दौरान दौरे पर थे। उस दौरान सुखबीर बादल ने एक प्रेस बयान में कहा था कि केजरीवाल ने अमृतसर में अखंड कीर्तनी जत्थे के सदस्यों के साथ नाश्ता किया, जो कथित तौर पर आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल का राजनीतिक फ्रंट है। बादल ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल का आतंकवादियों से सीधा संपर्क है।
- जत्थे के सदस्य ने दर्ज करवाई थी शिकायत: बादल के इस बयान से नाराज होकर अखंड कीर्तनी जत्थे के सदस्य राजिंदर पाल सिंह ने उनके खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई थी। उनका आरोप था कि इस तरह के बयान से न केवल उनकी, बल्कि धार्मिक संगठन की भी छवि को ठेस पहुंची है। हाईकोर्ट में दी गई ये दलीलें सुखबीर सिंह बादल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर शिकायत रद्द करने की मांग की थी।

अरविंद केजरीवाल।
अब दो पॉइंट में पढ़िए, क्या दी गई थी दलीलें, कोर्ट ने क्या कहा…
- कोई में ये दी गई थी दलीलें: उन्होंने अपने बयान में शिकायतकर्ता का नाम नहीं लिया था। उस समय वह पंजाब के गृह मंत्री थे, इसलिए राज्य की कानून व्यवस्था पर बोलना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। बयान का मकसद किसी की छवि खराब करना नहीं था, बल्कि राजनीतिक चेतावनी देना था।
- हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा: यह मामला प्राथमिक दृष्टि से मानहानि का है और इस स्तर पर इसे खारिज नहीं किया जा सकता। यह तय करना ट्रायल कोर्ट का काम है कि बयान मानहानि की श्रेणी में आता है या नहीं।
अब आगे क्या? हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सुखबीर बादल को अब निचली अदालत में मुकदमे का सामना करना होगा। वहां ट्रायल के दौरान यह तय होगा कि क्या उनका बयान मानहानिपूर्ण था या नहीं।

