Last Updated:
Villains Fame Bollywood Movies : वॉलीवुड फिल्मों की ज्यादातर फिल्मों में एक हीरो, एक हीरोइन और एक विलेन होता है. हीरो फिल्म का नायक होता है और उसका कैरेक्टर इस तरह से लिखा जाता है कि फिल्म हिट हो जाती है. हालांकि कुछ फिल्में ऐसी भी आईं जिनमें विलेन ने अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लिया. खलनायक ही नायक बनकर उभरा. थिएटर्स से निकलने के बाद विलेन का कैरेक्टर, उसका नाम, उसका एक्शन दर्शकों के दिमाग में रह गया. इन सभी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया.
बॉलीवुड फिल्मों में विलेन की एंट्री होती ही मूवी का मजा दोगुना हो जाता है. शोले और मिस्टर इंडिया के बाद यह कारनामा 90 के दशक में भी हुआ. बॉक्स ऑफिस पर 7 साल के अंतराल में चार ऐसी फिल्में आईं जिनमें हीरो से ज्यादा विलेन की चर्चा हुई. विलेन का रोल निभा रहे एक्टरस ने अपनी भूमिका को इतनी शिद्दत से निभाया कि वो हीरो पर भारी पड़े. इन फिल्मों के विलेन के किरदार हमेशा के लिए अमर हो गए. ये फिल्में थीं : सड़क, डर, खलनायक और दुश्मन. चारों फिल्में 7 साल के अंदर सिनेमाघरों में आई थीं.

इस लिस्ट में पहला नाम है 20 दिसंबर 1991 को रिलीज हुई और महेश भट्ट के निर्देश में बनी ‘सड़क’ फिल्म का. यह एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म थी जिसमें संजय दत्त, पूजा भट्ट, दीपक तिजोरी, सदाशिव अमरापुरकर, अवतार गिल और नीलिमा अजीम अहम भूमिकाओं में नजर आए थे. फिल्म की कहानी रॉबिन भट्ट ने लिखी थी. फिल्म को महेश भट्ट के भाई मुकेश भट्ट ने प्रोड्यूस किया था. म्यूजिक नदीम-श्रवण का था और गीत समीर अंजान ने लिखे थे. फिल्म को विशेष फिल्म्स के बैनर तले प्रोड्यूस किया गया था. फिल्म में 51 मिनट की लेंग्थ के 12 गाने रखे गए थे. सभी गाने एक से बढ़कर एक थे. उस साल फिल्म के म्यूजिक एल्बम की 50 लाख से ज्यादा ऑडियो कैसेट बिके थे. 2.7 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने 11 करोड़ का कलेक्शन किया था. यह एक हिट फिल्म साबित हुई थी.

सड़क फिल्म 1976 में आई अमेरिकन फिल्म ‘टैक्सी ड्राइवर’ का रीमेक थी. फिल्म का बैक ग्राउंड भारतीय रखा गया था. सड़क फिल्म में सदाशिव अमरापुरकर ने विलेन के रूप में ‘महारानी’ का किरदार निभाया था. साड़ी पहनकर ट्रांसजेंडर बनकर विलेन बने थे और किरदार में जान फूंक दी थी. उन्हें इस निगेटिव रोल के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. फिल्म के हीरो संजय दत्त थे लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा सदाशिव अमरापुरकर की हुई थी. यह किरदार भी संजय दत्त के दिमाग की उपज थी. जब वो ड्रग्स लेते थे तो उन्होंने स्लम एरिया में बने महारानी के किरदार से मिलते-जुलते किन्नर को देखा था. सदाशिव अमरापुरकर ही अपने लिए साड़ी लेकर आए थे. इसका खुलासा महेश भट्ट ने अपने एक इंटरव्यू में किया था.

6 अगस्त 1993 में ही सुभाष घई की एक फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया. इस फिल्म में विलेन के किरदार में संजय दत्त नजर आए थे. ‘खलनायक’ में संजय दत्त ने ‘बल्लू’ का किरदार निभाकर सबको हैरान कर दिया था. इस फिल्म ने संजय दत्त को छोटे शहरों-कस्बों का हीरो बनाया. ‘खलनायक’ फिल्म ने सही अर्थों में अपने टाइटल से न्याय किया था. फिल्म में खलनायक के किरदार में संजय दत्त ही फिल्म के नायक यानी हीरो थे. उन्हें गजब की अदाकारी दिखाई थी. फिल्म का एक गाना ‘नायक नहीं खलनायक हूं मैं’ आज भी पार्टी-फंक्शन में डीजे पर सुनाई दे जाता है.

खलनायक फिल्म को सुभाष घई ने डायरेक्ट-प्रोड्यूस किया था. फिल्म में संजय दत्त के अलावा माधुरी दीक्षित और जैकी श्रॉफ, राखी गुलजार भी नजर आए थे. म्यूजिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था. गीत आनंद बख्शी ने लिखे थे. वैसे तो फिल्म के सभी 9 गाने सुपरहिट थे लेकिन एक गाना ‘चोली के पीछे क्या है’ विवादों में रहा था. फिल्म ने 24 करोड़ का कलेक्शन किया था और यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी. यह फिल्म 1993 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली दूसरी मूवी थी. संजय इस फिल्म की शूटिंग पूरी होते ही 1992 जेल चले गए थे. फिल्म को बैन किए जाने की भी मांग की गई थी.

खलनायक फिल्म के रिलीज होने के करीब चार माह बाद ही एक और मूवी ने 1993 में ही सिनेमाघरों ने दस्तक दी थी. फिल्म का टाइटल उन दिनों आ रही फिल्मों से बहुत ही अजीब था. सिर्फ एक शब्द के टाइटल वाली इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर गर्दा उड़ा दिया था. फिल्म में हीरो से ज्यादा चर्चा विलेन की हुई. फिल्म थी : डर. 24 दिसंबर 1993 को रिलीज हुई डर एक एक्शन थ्रिलर फिल्म थी. फिल्म में सनी देओल, शाहरुख खान और जूही चावला लीड रोल में नजर आए थे. कहानी, स्क्रीनप्ले हनी ईरानी ने लिखा था. शाहरुख खान ने एकतरफा प्यार में पागल दीवाने का रोल निभाकर ना सबका दिल जीता बल्कि सन्नी देओल पर भी वो भारी पड़े. डर फिल्म शाहरुख खान के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई थी.

शाहरुख खान ने अपने एक इंटरव्यू में खुद कहा कि डर फिल्म के जैसा किरदार हो सकता है कि मैं अपनी जिंदगी में फिर कभी ना निभा पाऊंगा. फिल्म को बेस्ट पॉप्युलर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था. फिल्म को यश चोपड़ा ने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया था. फिल्म का टाइटल ऋतिक रोशन ने दिया था. फिल्म में कुल 7 गाने रखे गए थे और शिव-हरि का म्यूजिक ब्लॉकबस्टर रहा था. 3 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने 1993 में 21 करोड़ का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था. यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी.

कई फिल्में ऐसी होती हैं जिनका किरदार हमारे दिमाग में लंबे समय तक बना रहता है. हम चाहकर भी उसे भूल नहीं पाते हैं. 1998 में आई ‘दुश्मन’ फिल्म में आशुतोष राणा ने गोकुल पंडित का किरदार निभाकर सबको चौंका दिया था. फिल्म में हीरो से ज्यादा चर्चा विलेन की हुई थी. साइको किलर के इस किरदार में आशुतोष राणा ने दर्शकों के दिल में खौफ भर दिया था. बॉलीवुड की फिल्मों में उस जमाने में इस तरह का रोल बिल्कुल नया था. काजोल की भी बेहतरीन एक्टिंग देखने को मिली थी. 29 मई 1998 को रिलीज हुई इस फिल्म का डायरेक्शन तनूजा चंद्रा ने किया था. बतौर डायरेक्टर उनकी यह पहली फिल्म थी.

29 मई 1998 को रिलीज हुई दुश्मन फिल्म में काजोल (डबल रोल), संजय दत्त, आशुतोष राणा लीड रोल में थे. इसके अलावा जस अरोड़ा, तन्वी आजमी, प्रमोद मुथु, प्रतिमा काजमी, अनुपम श्याम अहम भूमिकाओं में थे. म्यूजिक प्रीतम सिंह का था. गीत आनंद बख्शी ने लिखे थे. फिल्म के सभी गाने पसंद किए गए थे. कुछ गाने ‘आवाज दो हमको, हम खो गए’, ‘चिट्ठी ना कोई संदेश, प्यार को हो जाने दो’ एक अलग ही फीलिंग दिल में जगाते हैं. 4 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने 10 करोड़ से ज्यादा का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था. यह एक हिट फिल्म साबित हुई थी. आशुतोष राणा को बेस्ट विलेन का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला था. काजोल ने अपनी एक पोस्ट में कहा था कि आशुतोष राणा की एक्टिंग देखकर वो भी डर गई थीं.

