वॉशिंगटन डीसी6 मिनट पहले
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इजराइल के साथ अब्राहम समझौते में एक और मुस्लिम देश शामिल होने वाला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को कजाकिस्तान के इस समझौते में शामिल होने की घोषणा की। इस समझौते का मकसद इजराइल और मुस्लिम देशों के बीच रिश्ते सामान्य करना है।
ट्रम्प ने बताया कि उन्होंने कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव की मौजूदगी में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की है। उन्होंने कहा,
हम जल्द ही साइनिंग सेरेमनी की तारीख घोषित करेंगे। कई और देशों की भी इस समझौते में शामिल होने की इच्छा है।

अब्राहम समझौते की शुरुआत ट्रम्प के पिछले कार्यकाल के दौरान 2020 में हुई थी। तब ट्रम्प की पहल पर UAE और बहरीन ने इजराइल से संबंध स्थापित किए थे। उसी साल मोरक्को भी इस समझौते में शामिल हुआ।

ट्रम्प का दावा है कि वे अपने कार्यकाल में इस समझौते को और बड़ा बनाना चाहते हैं।
अब्राहम समझौता क्या है?
अब्राहम समझौते के तहत 2020 में इजराइल और कुछ अरब देशों ने आधिकारिक रूप से दोस्ताना संबंध बनाने का फैसला किया था। इसका नाम अब्राहम से आया है, जो यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्मों के पैगंबर माने जाते हैं।
इस समझौते से जुड़े देशों UAE, बहरीन और मोरक्को ने इजराइल में दूतावास खोलने, व्यापार करने, सैन्य और तकनीकी साझेदारी बढ़ाने पर सहमति दी थी।
फिलिस्तीन विवाद के चलते इजराइल और अरब देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि इस समझौते ने पहली बार कई मुस्लिम देशों को इजराइल के साथ खुलकर संबंध स्थापित करने का रास्ता दिया।
कई मुस्लिम देश इस समझौते को फिलिस्तीन के साथ अन्याय मानते हैं। इन देशों का कहना है कि इजराइल से रिश्ते तभी सामान्य होने चाहिए जब फिलिस्तीन को उसका अधिकार मिले।
गुरुवार को ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं से मुलाकात की। ट्रम्प ने कहा,
इनमें से कई देश अब्राहम समझौते में शामिल होंगे, जल्द घोषणा होगी।


अमेरिका सेंट्रल एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। रूस और चीन की यहां पहले से मजबूत मौजूदगी हैं। इस लिहाज से यह मुलाकात बेहद अहम थी।
गाजा जंग के बाद अटका अब्राहम समझौता
गाजा में इजराइल और हमास के बीच शुरू हुई जंग का सीधा असर अब्राहम समझौते पर पड़ा है। 2020 से यह समझौता तेजी से आगे बढ़ रहा था। कई नए मुस्लिम देशों के शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन युद्ध ने पूरी प्रक्रिया को ठप कर दिया।
सऊदी अरब समझौते में शामिल होने के सबसे करीब था। ट्रम्प बार-बार कह रहे हैं कि गाजा में सीजफायर लागू होने के बाद सऊदी अरब भी जल्द शामिल हो सकता है। लेकिन सऊदी अरब ने अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया।
उसने साफ कहा है कि,
फिलिस्तीनियों के लिए देश का रास्ता साफ हुए बिना कोई समझौता नहीं होगा।

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान 18 नवंबर को व्हाइट हाउस आने वाले हैं। सऊदी के रुकने से बाकी देश भी ठहरे हुए हैं। गाजा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत और तबाही के बाद मुस्लिम देशों में इजराइल के खिलाफ भारी गुस्सा है।
ऐसे माहौल में कोई भी देश खुलकर इजराइल से रिश्ते सामान्य करने की घोषणा नहीं करना चाहता। जो मुलाकातें और बातचीत पर्दे के पीछे चल रही थीं, वे युद्ध के कारण रुक गईं।
कजाकिस्तान-इजराइल के बीच पहले से राजनयिक संबंध
कजाकिस्तान की सरकार ने बयान जारी कर बताया कि इस फैसले को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। बयान में कहा गया कि,
अब्राहम समझौते में शामिल होना हमारी विदेश नीति के स्वाभाविक विस्तार की तरह है। यह बातचीत, आपसी सम्मान और क्षेत्रीय स्थिरता पर आधारित है।

कजाकिस्तान के पहले से ही इजराइल के साथ पूरी तरह राजनयिक और आर्थिक संबंध हैं। इसलिए इस फैसले को सिर्फ औपचारिकता माना जा रहा है।
अमेरिका को उम्मीद है कि कजाकिस्तान के शामिल होने से अब्राहम समझौता दोबारा रफ्तार पकड़ेगा, क्योंकि यह विस्तार पिछले कई महीनों से गाजा युद्ध की वजह से रुका हुआ था।

