इंदौर में मेट्रो का काम तेजी से किया जा रहा है। जनवरी 2026 तक गांधी नगर से रेडिसन चौराहे तक मेट्रो को चलाने की तैयारी तेजी की जा रही है। मेट्रो सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य हिस्से के डिजाइन में बदलाव करने की तैयारी शुरू हो गई है। बताया जा र
.
रूट का फाइनल सर्वे कराया जाएगा, जिसके बाद डिजाइन में जरूर बदलाव के बाद इसे कैबिनेट में अनुमति के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार से भी मंजूरी मिलेगी। फिर काम नए सिरे से शुरू होगा। बता दें कि रोबोट चौराहा से पलासिया चौराहा तक कुल 5.50 किमी पर एलिवेटेड कॉरिडोर का टेंडर 550 करोड़ में हुआ था। अलाइमेंट विवाद के कारण डेढ़ साल से काम ठप पड़ा था। खजराना के बाद से ही इसे अंडरग्राउंड करने की तैयारी है। ठेका निरस्त करने पर भी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को मुआवजा देना होगा। अब तक इंदौर मेट्रो पर 4409 करोड़ खर्च हो चुके हैं।
इंदौर मेट्रो।
1 हजार करोड़ से ज्यादा होंगे खर्च मेट्रो ट्रैक की प्लानिंग में बदलाव के कारण अब एक हजार करोड़ रुपए ज्यादा खर्च होंगे। अभी मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत पंद्रह हजार करोड़ है। बदलाव के बाद लागत और बढ़ेगी। मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा होने में भी देरी होगी। इसके अलावा अंडरग्राउंड हिस्से में अलग से मिट्टी परीक्षण व अन्य परीक्षण होंगे। बंगाली चौराहे वाले हिस्से से अब मेट्रो ट्रेन अंडरग्राउंड होगी। शहर का यह हिस्सा पथरीला है। यहां निर्माण में भी ज्यादा समय लग सकता है।
2018-19 में शुरू हुआ मेट्रो का काम इंदौर में मेट्रो का काम 2018-19 में शुरू हुआ था। 2021 में रफ्तार मिली, लेकिन कोविड से पहले एजेंसी-कंसल्टेंट विवाद और सरकार बदलने से प्रोजेक्ट अटक गया। 31.32 किमी में से अब तक 17.5 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर अधूरा है। तय लक्ष्य 2025-26 था, अब 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। वहीं इंदौर मेट्रो के पूरे प्रियोरिटी कॉरिडोर पर सरकार दिवाली तक मेट्रो चलाने की बात कह रही थी, जबकि प्रबंधन इसे जानती 2026 में चलाने की बात कह रहा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि मार्च 2026 तक ही इस पूरे रूट पर मेट्रो चल पाएगी।
12 हजार करोड़ तक पहुंची लागत
- इंदौर मेट्रो तय समय सीमा से पांच साल पीछे चल रहा है। शुरुआत में इसकी लागत 7500 करोड़ तय की गई थी
- अब बढ़कर करीब 12 हजार करोड़ तक पहुंच गई है। इंदौर में 61% लागत बढ़ी है।
- इंदौर की बात करें तो साल 2015 में बनी डीपीआर के बाद से रेट बढ़ते रहे, जबकि प्रोजेक्ट की गति लगातार सुस्त रही।
- अब तक 4409 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली है, जिसमें से 4228 करोड़ खर्च हो चुके हैं।
- प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार, राज्य सरकार, न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक मिलकर फंड कर रहे हैं।

तीन फेज में तैयार हो रही इंदौर मेट्रो
- फेज 1 : मेट्रो डिपो से लेकर सुपर कॉरिडोर स्टेशन 3 तक का पहला फेज है। कुल लंबाई 6.3 किमी की है। इसमें 5.9 किमी का प्रायोरिटी कॉरिडोर (गांधी नगर स्टेशन, सुपर कॉरिडोर स्टेशन 6, 5, 4 और 3) है। इस पर आज 31 मई से मेट्रो का कॉमर्शियल रन शुरू हो गया। इस फेज की लागत लगभग 1520 करोड़ रुपए आई है।
- फेज 2 : इंदौर मेट्रो का दूसरा फेज सुपर कॉरिडोर स्टेशन नंबर 3 से मालवीय नगर चौराहा (रेडिसन चौराहा) तक है। मेट्रो का दूसरा फेज 10.98 किमी का है, जिसमें 11 स्टेशन हैं। शासन और मेट्रो प्रबंधन का दावा है कि यह फेज जनवरी के पहले पूरा हो जाएगा। जनवरी 2026 में इस फेज में भी मेट्रो का कॉमर्शियल रन शुरू कर देंगे। इस फेज की लागत भी लगभग 1200 करोड़ रुपए है।
- फेज 3 : इंदौर मेट्रो का तीसरा फेज सबसे ज्यादा चुनौती वाला है। यह फेज 14 किमी का है, जिसमें 12 स्टेशन बनेंगे। तीसरे फेज के 14 किमी के हिस्से में 8.7 किमी का हिस्सा अंडरग्राउंड तो वहीं 5.34 किमी का हिस्सा एलिवेटेड है। इसमें 7 स्टेशन अंडरग्राउंड तो वहीं 5 स्टेशन एलिवेटेड बनेंगे। इस फेज में शहीद बगीचा, खजराना, बंगाली, पत्रकार और पलासिया चौराहा पर एलिवेटेड स्टेशन प्रस्तावित हैं। वहीं, रेलवे स्टेशन, राजवाड़ा, छोटा गणपति, बड़ा गणपति, रामचंद्र नगर, बीएसएफ-कालानी नगर और एयरपोर्ट पर अंडर ग्रांउड स्टेशन प्रस्तावित है। इस फेज की लागत 2550 करोड़ रुपए है।

