जितेन्द्र कुमार | चित्रकूट3 मिनट पहले
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चित्रकूट, जिसे प्रभु श्री राम की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है, में प्रेम का एक अनोखा संगम देखने को मिला। अयोध्या से चलकर ‘भरत यात्रा’ चित्रकूट पहुंची है। इस यात्रा में अयोध्या के साधु-संतों के साथ कई भक्त भी शामिल हुए, जिनका चित्रकूट में भव्य स्वागत किया गया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वनवास काल के दौरान जब प्रभु श्री राम चित्रकूट में थे, तब उनके भाई भरत उन्हें मनाने के लिए चित्रकूट के भरत मंदिर आए थे। इसी मंदिर में दोनों भाइयों का मिलाप हुआ था। कहा जाता है कि उनके प्रेम को देखकर वहां के पत्थर भी पिघल गए थे। यह वही मंदिर है जहां से भरत जी राम की खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौटे थे।


अयोध्या से इस यात्रा में शामिल हुए कमल नयन महाराज ने बताया कि यह यात्रा लगभग 50 वर्षों से निरंतर चित्रकूट चली आ रही है। इस परंपरा के तहत भरत अपने भाई को मनाने चित्रकूट आते हैं और परिक्रमा मार्ग में स्थित भरत मिलाप मंदिर में दोनों भाइयों का मिलाप होता है।

