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CM Nitish Kumar Cabinet: सीएम नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल में जातियों का गणित कैसा रहेगा? कुर्मी, कोइरी और भूमिहार के अलावा इस बार बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा से किस-किस जातियों का प्रतिनिधित्व बढ़ने की पूरी संभावना है?
नीतीश कुमार मंत्रिमंडल: बिहार चुनाव 2025 जीतने के बाद एनडीए नेता नीतीश कुमार 10वीं बार 20 नवंबर को शपथ लेने जा रहे हैं? नीतीश मंत्रिमंडल में कितने मंत्री शपथ ले सकते हैं? इस बार नीतीश मंत्रिमंडल का क्या होगा फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमैटिक्स? कुर्मी, कोइरी और भूमिहार के बाद किस जाति का बिहार मंत्रिमंडल में दबदबा रहेगा? बता दें कि बिहार की नई सरकार के गठन में सबसे दिलचस्प पहलू होगा मंत्रिमंडल का ‘फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमैटिक्स’ यानी जातियों का संतुलन, दलों के बीच समन्वय और आंकड़ों का गणित. चूंकि बीजेपी इस बार एनडीए बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है, इसलिए मंत्रिमंडल के गठन में उसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देगा.
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं, इसलिए नियमों के मुताबिक अधिकतम 36 मंत्री ही शपथ ले सकते हैं. यानी ये बिहार के कुल विधायकों का 15 प्रतिशत होता है. माना जा रहा है कि पहले चरण में नीतीश कुमार समेत करीब 25 से 30 मंत्री शपथ ले सकते हैं. बीजेपी के बड़ी पार्टी होने के कारण मंत्रिमंडल में सीटों का बंटवारा 2:1 या 3:2 के आसपास रह सकता है, जिसमें बीजेपी को JDU से अधिक या बराबर सीटें मिलेंगी. इसके बाद एलजेपी (रामविलास) की पार्टी को कम से कम 2 मंत्री पद मिल सकता है. वहीं, हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक मंत्री पद मिल सकता है.

जातियों का फिजिक्स और केमिस्ट्री
नीतीश मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले नेताओं का चयन पूरी तरह से बिहार की जातीय केमिस्ट्री पर आधारित होगा, जिसमें 2029 के लोकसभा चुनाव को जीतने की रणनीति छिपी है. कुर्मी जाति से खुद नीतीश कुमार सीएम के रूप में शपथ लेंगे. वहीं, कोइरी यानी कुशवाहा जाति से आने वाले सम्राट चौधरी और भूमिहार जाति से आने वाले विजय कुमार सिन्हा डिप्टी सीएम बनेंगे. ऐसे में इस बार राजपूत और ईबीसी वर्ग को साधने के लिए उनके कोटे में बढ़ोतरी हो सकती है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की पार्टी से दलित और महादलितों का संतुलन बनाया जा सकता है.
कुर्मी, कोइरी और भूमिहार के बाद किसका रहेगा दबदबा?
इस बार मंत्रिमंडल का गठन केवल इन तीन प्रमुख जातियों तक सीमित नहीं रहेगा. बल्कि एनडीए का लक्ष्य समाज के उस वर्ग को साधना है, जिसे ‘साइलेंट वोटर’ माना जाता है. सबसे अधिक दबदबा बढ़ने की संभावना दो वर्गों की है. एक महिला और दूसरा अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी. बीजेपी अपनी कोर रणनीति के तहत ईबीसी वर्ग के कई नए चेहरों को मंत्री बनाएगी. यह वर्ग पारंपरिक रूप से जेडीयू का भी वोटबैंक रहा है.

2029 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों ही महिला विधायकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देंगे. यह मंत्रिमंडल सिर्फ एक सरकार नहीं, बल्कि बीजेपी की बिहार में राजनीतिक जड़ें मजबूत करने की रणनीति का आईना होगा. मंत्रियों का चयन दिल्ली और पटना के बीच बारीक विचार-विमर्श के बाद होगा. ऐसे में 20 नवंबर यानी कल का शपथ ग्रहण समारोह साल 2029 के चुनाव को ध्यान में रखकर बनेगा, जिससे बिहार के अगले पांच साल की राजनीति की दिशा मिलेगी.

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा…और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा… और पढ़ें

