मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर बुधवार 19 नवंबर को बालाघाट आए। यहां सर्किट हाउस में उन्होंने पार्टी नेताओं और कांग्रेस विधायक से मुलाकात की। इसके बाद वे उत्कृष्ट विद्यालय मैदान में लगे स्वदेशी मेले में पहुंचे।
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मेले में तोमर ने बिना नाम लिए अमेरिका पर परोक्ष हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की, बढ़ती साख और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को देखकर कई देश इसे पचा नहीं पा रहे हैं। वे भारत को फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं और हमारी प्रगति को बाधित करने के अनेक प्रयास करेंगे।
तोमर ने इन बाधाओं को पार करने और उन पर विजय प्राप्त करने का एकमात्र मंत्र बताया। उन्होंने कहा, “इन सब बाधाओं को लांघना और उस पर विजय प्राप्त करने के लिए एक मात्र मंत्र है, वह है स्वदेशी अपनाओ और भारत को विकसित भारत बनाओ।”
स्वदेशी को रोजगार से जोड़ने के प्रयासों की सराहना
दरअसल, बालाघाट में स्वदेशी जागरण मंच का यह इस वर्ष का दूसरा स्वदेशी मेला है। विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने यहां स्वदेशी को रोजगार से जोड़ने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि जिले के युवाओं को रोजगार मिलने से अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। उन्होंने एकात्म मानववाद का प्रतिपादन करने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्वदेशी संदेश का भी जिक्र किया।
देश में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की धूम
तोमर ने आगे कहा कि यदि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के नेता नहीं होते, तो आज पूरे देश में स्वदेशी विचार को अंगीकार किया गया होता। हालांकि, अब राज्य और केंद्र सरकारें उनके विचारों को स्वदेशी मेलों के माध्यम से आगे बढ़ा रही हैं। देश में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की धूम है।
उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान देश की आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती यात्रा का उदाहरण दिया। तोमर ने बताया कि पहले हमें टीबी और पोलियो की वैक्सीन तकनीक के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता था, जबकि कोरोना वैक्सीन हमने खुद बनाकर लोगों की जान बचाई और गरीब देशों को मुफ्त भी दी। इसी के बाद से भारत की तरक्की, साख और अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, जिसे तमाम देश पचा नहीं पा रहे हैं।

उन्होंने स्वदेशी मेले और उत्पादों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। तोमर ने कहा कि पहले दुनिया हमें गरीब और पिछड़ा देश मानती थी। हम आश्रित थे और हमें तवज्जो नहीं मिलती थी, लेकिन अब स्थिति बदल रही है।
हम देखते थे कि कोई हमें अनुदान और कर्ज दे दे, लेकिन आज पहले जैसी स्थिति नहीं है। हम आगे बढ़ रहे है, एक समय था, जब हम मांगने वाले देश थे, आज आधी दुनिया, भारत से मांगने के लिए लालायित है और हम देने के लायक नहीं है।


