Reservation in Private Sector : अभी तक सरकारी नौकरियों और विभागों में लागू आरक्षण की सुविधा अब प्राइवेट सेक्टर में भी पहुंच चुकी है. इसकी शुरुआत कर्नाटक से होने वाली है, जहां की सरकार ने एम्पलॉयमेंट एंड एजुकेशन बिल, 2025 लागू करने का ऐलान किया है. कर्नाटक सरकार ने ऐलान किया है कि दिव्यांगों को प्राइवेट सेक्टर में भी 5 फीसदी का रिजर्वेशन देना होगा. यह रिजर्वेशन ऐसी कंपनियों पर लागू होगा, जहां 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे होंगे. इतना ही नहीं, सरकार ने सभी शैक्षिक संस्थानों को भी हर कोर्स में 10 फीसदी सीटें दिव्यांगों के लिए रिजर्व रखने ऐलान कर दिया है.
कर्नाटक सरकार ने कहा है कि 20 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों को दिव्यांगों के लिए 5 फीसदी कोटा रखना ही होगा. यह रिजर्वेशन सीधी भर्ती और रेगुलर पोस्ट के लिए भी मान्य होगा. राज्य नियामक अथॉरिटी की ओर से तय किए गए फॉर्मूले के तहत नियोक्ता को दिव्यांगों की सभी कैटेगरी में इस रिजर्वेशन को बांटना होगा. कोटा को चरणबद्ध तरीके से लागू करना होगा. रिजर्वेशन लागू होने के बाद जो भी पोस्ट बच जाएगी, उसे तीन नियुक्ति चक्र में बांटकर भरा जाएगा.
किस तरह की पोस्ट नहीं होगा लागू
कर्नाटक सरकार ने कहा है कि यह रिजर्वेशन सिर्फ उन पोस्ट पर लागू नहीं होगा, जिन पर किसी दिव्यांग व्यक्ति के काम करने में दिक्कत हो सकती है. कर्नाटक सरकार ने 21 नवंबर को ऑफिशियल गजट प्रकाशित करते हुए साफ किया है कि इस नए एक्ट का मकसद साल 2016 में आए दिव्यांग एक्ट के तहत शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को ज्यादा सशक्त बनाना है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र की ओर से दिव्यांगों को अधिकार दिलाने को लेकर बनाए गए नियमों को भी प्रभावी रूप से लागू करना है.
5 लाख तक लगेगा जुर्माना
कर्नाटक सरकार ने साफ कहा है कि अगर किसी कंपनी ने इस नियम का उल्लंघन किया तो उस पर 10 हजार रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं, जो कंपनियां इसे लागू नहीं कर सकती हैं उन्हें सार्वजनिक रूप से इसकी जानकारी भी देनी होगी. इसका सीधा मतलब है कि नियम के दायरे में आने वाली सभी कंपनियों को यह नियम लागू करना ही पड़ेगा और अगर किसी ने आनाकानी की तो उसे जुर्माने का सामना करना पड़ेगा.
फर्जी दावा करने वाले पर भी जुर्माना
सरकार ने अपने नियम में सिर्फ कंपनियों को ही नहीं, आवेदकों को भी शामिल किया है. अगर किसी आवेदक ने नौकरी के लिए फर्जी दिव्यांगता का दावा किया तो उस पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. इतना ही नहीं, 2 साल तक की जेल भी हो सकती है. जो कंपनियां सरकार के इस नियम का पालन करेंगी, उन्हें सरकारी खरीद में प्राथमिकता तो मिलेगी ही, प्रोत्साहन भी दिया जाएगा. जाहिर है कि एक तरफ तो कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, तो दूसरी ओर फर्जी तरीके से इसका लाभ उठाने की कोशिश करने वालों पर सख्ती की जाएगी.
काफी सशक्त है यह बिल
कर्नाटक सरकार ने इस बिल में प्रमोशन, ट्रेनिंग और सेवा शर्तों में भेदभव को रोकने के लिए भी सख्त प्रावधान किए हैं. अगर कोई नियोक्ता अपने यहां कठिनाई का हवाला देकर सुविधा देने से इनकार करता है तो उसे लिखित में कारण बताना होगा और प्रस्तावित राज्य नियामक प्राधिकरण की ओर से उसकी समीक्षा की जाएगी. इतना ही नहीं, कंपनियां किसी आवेदक की दिव्यांगता से जुड़ी जानकारी भी केवल सहमति के बाद ही साझा कर सकती हैं. हालांकि, सुरक्षा या कानूनी मसले में ऐसा करना जरूरी नहीं होगा.
नौकरी से निकाला नहीं जा सकता
सरकार ने अपने बिल में साफ किया है कि इस तरह के कानून के तहत जिन कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी, उन्हें किसी भी स्थिति में निकाला नहीं जा सकता. बिल में साफ कहा गया है कि भले ही स्थितियां कितनी भी नाजुक क्यों न हों, दिव्यांगता प्रापत करने वाले कर्मचारियों को एक बार भर्ती करने के बाद न तो उनका डिमोशन किया जा सकता है और न ही उन्हें नौकरी से निकाला जा सकता है. हालांकि, अगर बहुत जरूरी होता है तो उन्हें किसी अन्य पद या अतिरिक्त पद पर नियुक्त किया जा सकता है.
शिक्षा तक आसान पहुंच की कोशिश
कर्नाटक सरकार ने सिर्फ नौकरियों में ही दिव्यांग आरक्षण लागू नहीं किया है, बल्कि सभी शैक्षिक संस्थानों को भी हर कोर्स में 10 फीसदी सीटें आरक्षित करने के लिए कहा है. इन संस्थानों में प्रवेश, कक्षा और परीक्षाओं में उचित सुविधा, अतिरिक्त समय, लेखक से लेकर वैकल्पिक प्रश्न पत्र सहित तमाम इन्फ्रा और डिजिटल सुविधाएं देने की बात कही गई है. संस्थानों को 6 महीने के भीतर प्लान बनाने और 5 साल में पूरी तरह इसे लागू करने की सुविधा देनी होगी. दिव्यांग छात्रों को आयु में 5 साल की छूट और कट ऑफ में 5 फीसदी की छूट देने का प्रावधान बनाया गया है. इसके अलावा एजुकेशन लोन भी सस्ती दरों पर मुहैया कराने के साथ डॉक्यूमेंटेशन भी काफी आसान करना होगा.
शिकायत पर सख्त कदम
राज्य नियामक प्राधिकरण ने इस नियम के अनुपालन की निगरानी करने की भी व्यवस्था कर दी है. इसके तहत नियामक इस रिजर्वेशन को लागू करने, ऑडिट करने और सालाना रिपोर्ट जारी करने की जिम्मेदारी निभाएगा. नियम के तहत सभी संस्थानों और प्रतिष्ठानों को प्रशिक्षित शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करने होंगे और शिकायत के आसान चैनल उपलब्ध कराने होंगे. शिकायतों के प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे, जिन्हें श्रम विभाग के प्रमुख सचिव, विकास सौंधा को सीधे बैंगलुरु भेजा जाएगा.

