Tuesday, December 2, 2025
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पुतिन 4 दिसंबर को भारत आएंगे: रूस-यूक्रेन जंग के बाद पहली बार आ रहे; रूसी तेल और S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर बातचीत संभव


नई दिल्ली7 मिनट पहले

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आखिरी बार 6 दिसंबर 2021 में भारत की यात्रा की थी। तब वे सिर्फ 4 घंटे के लिए भारत आए थे।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को 2 दिवसीय भारत दौरे पर आएंगे। 2022 में यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है।

पुतिन 23वीं भारत-रूस समिट में भाग लेंगे। ये भारत और रूस के बीच होने वाली सालाना बैठक का हिस्सा है। हर साल दोनों देश बारी-बारी से इस बैठक की मेजबानी करते हैं। इस बार भारत की बारी है।

समिट के दौरान पुतिन पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों नेता क्रूड ऑयल डील के साथ S-400 मिसाइल सिस्टम खरीद और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर बात कर सकते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पुतिन के सम्मान में स्टेट डिनर देंगी।

रूसी तेल खरीद की वजह से अमेरिका ने भारत के निर्यात पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगा रखा है, जिससे भारत 50% टैरिफ झेल रहा है। अमेरिका का कहना है कि इससे रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है।

डिफेंस समझौते पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा

पुतिन की इस यात्रा में सबसे ज्यादा फोकस डिफेंस समझौते पर रहेगा। रूस पहले ही कह चुका है कि वो भारत को अपना SU-57 स्टेल्थ फाइटर जेट देने के लिए तैयार है।

यह रूस का सबसे एडवांस लड़ाकू विमान है। भारत पहले ही अपने वायुसेना बेड़े को मजबूत करने के लिए नए विकल्प तलाश रहा है।

इसके अलावा भविष्य में S-500 पर सहयोग, ब्रह्मोस मिसाइल का अगला वर्जन और दोनों देशों की नौसेनाओं के लिए मिलकर वॉरशिप बनाने जैसी योजनाओं पर बातचीत होने की उम्मीद है।

रूसी S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की उम्मीद

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, भारत रूस से कुछ और S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर बातचीत हो सकती है। क्योंकि यह पाकिस्तान के खिलाफ हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान काफी प्रभावी रहे थे।

ऐसे पांच सिस्टम्स की डील पहले ही हुई थी, जिनमें से 3 भारत को मिल चुके हैं। चौथे स्क्वाड्रन की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रुकी हुई है।

S-400 ट्रायम्फ रूस का एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम है, जिसे 2007 में लॉन्च किया गया था। यह सिस्टम फाइटर जेट, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल, ड्रोन और स्टेल्थ विमानों तक को मार गिरा सकता है।

यह हवा में कई तरह के खतरों से बचाव के लिए एक मजबूत ढाल की तरह काम करता है। दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है।

नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर बात हो सकती है

एनर्जी भी इस विजिट के दौरान एक बड़ा मुद्दा रहेगा। रूस, भारत को सस्ता क्रूड ऑयल बेच रहा है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के कारण पेमेंट में मुश्किलें आती रही हैं।

पुतिन की इस यात्रा में दोनों देश एक नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर सहमत हो सकते हैं, जिससे व्यापार बिना रुकावट चलता रहे। इसमें रुपया-रूबल ट्रेड, डिजिटल भुगतान या किसी तीसरे देश के बैंक का इस्तेमाल जैसे सिस्टम शामिल हो सकती है।

इसके साथ ही रूस, भारत को आर्कटिक रीजन की एनर्जी परियोजनाओं में निवेश का मौका भी दे सकता है, जहां रूस दुनिया के बड़े तेल-गैस भंडार डेवलप कर रहा है।

मोदी और पुतिन 1 सितंबर, 2025 को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद अपनी द्विपक्षीय बैठक के लिए कार में एक साथ रवाना हुए थे।

मोदी और पुतिन 1 सितंबर, 2025 को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद अपनी द्विपक्षीय बैठक के लिए कार में एक साथ रवाना हुए थे।

इंडियन वर्कर्स के लिए रूस में नौकरी पर समझौता हो सकता है

भारत और रूस स्पेस, न्यूक्लियर एनर्जी, साइंस-टेक्नीक, व्यापार और पोर्ट्स के विकास पर भी बातचीत करने वाले हैं। भारत रूस की मदद से कुडनकुलम (तमिलनाडु) में न्यूक्लियर पावर प्लांट चला रहा है। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने को लेकर भी बात हो सकती है।

दोनों देश एक स्किल डेवलपमेंट समझौते पर भी बात कर सकते हैं। रूस में युद्ध के बाद कई क्षेत्रों में वर्कर्स की कमी हो गई है। रूस चाहता है कि भारत से तकनीकी एक्सपर्ट, मेडिकल स्टाफ, इंजीनियर और दूसरे ट्रेंड वर्कर्स वहां काम करने आएं।

भारत के लिए भी यह बड़ा अवसर हो सकता है, क्योंकि इससे भारतीयों को विदेश में नौकरी के नए मौके मिलेंगे।

पुतिन ने 3 महीने पहले भारत आने की बात कही थी

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अगस्त की शुरुआत में मॉस्को यात्रा के दौरान क्रेमलिन में पुतिन से मुलाकात की थी। यह मुलाकात सुरक्षा, आर्थिक और ऊर्जा सहयोग पर द्विपक्षीय बातचीत के लिए हुई थी।

इस दौरान भारतीय NSA ने कहा था कि हमारा रिश्ता बहुत खास और पुराना है। हम अपनी रणनीतिक साझेदारी को बहुत महत्व देते हैं। हमें राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की खबर से बहुत खुशी है। तारीखें लगभग तय हो चुकी हैं।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अगस्त में पुतिन से मुलाकात की थी।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अगस्त में पुतिन से मुलाकात की थी।

आखिरी बार 2021 में भारत आए थे

पुतिन ने आखिरी बार 6 दिसंबर 2021 में भारत की यात्रा की थी। तब वे सिर्फ 4 घंटे के लिए भारत आए थे। इस दौरान भारत और रूस के बीच 28 समझौते पर दस्तखत हुए थे। इसमें मिलिट्री और तकनीकी समझौते थे।

दोनों देशों ने 2025 तक 30 अरब डॉलर (2 लाख 53 हजार करोड़ रुपए) सालाना ट्रेड का टारगेट रखा था। इस विजिट से दोनों देशों के बीच 2030 के लिए नए आर्थिक रोडमैप को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।

भारत और रूस अपने बाइलेट्रल ट्रेड को दोगुना करके सालाना 100 अरब डॉलर से ज्यादा करने पर सहमत हुए हैं। फिलहाल दोनों देशों के बीच करीब 60 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है।

2024 में दो बार रूस गए थे मोदी

PM मोदी ने साल 2024 में दो बार रूस की यात्रा की थी। वे BRICS समिट के लिए 22 अक्टूबर को रूस गए थे। इससे पहले जुलाई में भी मोदी ने दो दिन का रूस दौरा किया था। तब उन्होंने पुतिन को भारत आने का न्योता दिया था।

रूस ने 9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल' दिया था। राष्ट्रपति पुतिन ने खुद उन्हें सम्मानित किया था।

रूस ने 9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ दिया था। राष्ट्रपति पुतिन ने खुद उन्हें सम्मानित किया था।

दूसरे देशों की यात्रा से बच रहे पुतिन

मार्च 2023 में ICC ने पुतिन के खिलाफ अरेस्‍ट वारंट जारी किया था। कोर्ट ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोपों के आधार पर पुतिन को वॉर क्राइम्स के लिए जिम्मेदार माना था।

यह पहला मौका था जब ICC ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के किसी स्थायी सदस्य देश के टॉप लीडर के खिलाफ अरेस्‍ट वारंट जारी किया था। अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस UNSC के स्थायी सदस्य हैं।

इसके बाद से पुतिन दूसरे देशों की यात्राएं करने से बचते रहे हैं। वह पिछले साल G20 समिट में शामिल होने भारत नहीं आए थे। इस साल ब्राजील में हो रहे G20 समिट में भी हिस्सा नहीं लिया है। उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दोनों कार्यक्रम में शामिल हुए।

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