नर्मदा नहर का वह 3124 करोड़ रुपए का सिंचाई प्रोजेक्ट, जिसे जालोर और बाड़मेर की 2.46 लाख हेक्टेयर जमीन को हर साल पानी देना था, असल में कागजों में ही बह रहा है। विभाग 2020-21 में प्रोजेक्ट पूरी तरह शुरू होने का दावा करता रहा है, लेकिन भास्कर टीम ने 500
.
विभाग का दावा है 233 गांवों की 2.46 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होनी चाहिए, लेकिन असल में सिंचाई हेड के 14 हजार पाइपों से हो रही है। विभाग इसे पानी चोरी कहता है। लेकिन, किसान कहते हैं कि जब सिस्टम शुरू ही नहीं हुआ तो चोरी कैसे? टेल के गांवों तक पानी कभी पहुंचा ही नहीं है।
पांच साल में एक भी सीजन ऐसा नहीं आया, जब किसी भी माइनर व सब माइनर का पानी टेल तक पहुंचा हो। हालात यह है कि सैली, गोमी, चौरा, पालड़ी सहित दर्जनों माइनरों में पानी जाने का रास्ता ही नहीं बचा। रेत व झाड़ियों ने वितरिकाएं पाट दी हैं। जल जीवन मिशन की खुदाई के दौरान विभाग ने एचडीपीई पाइप काटे, लेकिन इन्हें दोबारा ठीक ही नहीं किया गया। 60% मोटरें तो ऐसी हैं, जो इन सालों में एक बार भी शुरू नहीं हुईं।
5% में ही सिंचाई, सिंचाई विभाग के 9 दावे झूठे निकले
1. सिंचाई विभाग का दावा कि 1.5 हेक्टेयर में सिंचाई हो रही। लेकिन, एक भी माइनर, सब माइनर के टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। 2. मुख्य नहर, वितरिकाओं और डिग्गियों से सीधे पाइप डालकर पानी खींच रहे। भास्कर टीम ने 14 हजार से ज्यादा अवैध पाइप गिने। किसान इसे गलत नहीं मानते। 3. 1719 किमी में वितरिका, माइनर व सब माइनरों का निर्माण दोनों जिलों में। सैली, गोमी, भीमगुड़ा, चौरा, पालड़ी माइनरों में और पानी के मार्ग पर 1-4 फीट तक रेत, झाड़ियां, मिट्टी जमी हुई पाई गईं। 4. डिग्गियों पर मोटरें घटिया। टूटी पाइपिंग, कनेक्शन नहीं मिले। सैली माइनर की डिग्गी नंबर 23 पर मोटर नहीं चली। 24 नंबर में कनेक्शन नहीं था। मोटर से डिग्गी को जोड़ने वाला पाइप तक नहीं लगा था। 5. जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन डालते समय हजारों एचडीपीई पाइप कट गए। तीन बार नर्मदा परियोजना ने जलदाय विभाग को पत्र लिखा, लेकिन मरम्मत नहीं हुई। संभागीय आयुक्त का 15 दिन में सुधार का आदेश भी बेअसर है। 6. सिस्टम की जिम्मेदारी जल उपयोक्ता संगठन पर। ज्यादातर अध्यक्ष बुजुर्ग। न फंड न मेंटेनेंस मैकेनिज्म।
यह था पूरा प्रोजेक्ट नहर की कुल लम्बाई : 74 किमी वितरण प्रणाली : 1719 किमी वितरण : 3 लिफ्ट डिस्ट्रिब्यूटरी, 9 फ्लो डिस्ट्रिब्यूटरी, 2 सब-डिस्ट्रिब्यूटरी व 128 माइनर/सब-माइनर परियोजना से जालोर और बाड़मेर जिले के 233 गांवों की 2.46 लाख हेक्टेयर भूमि के लिए। परियोजना पर अब 3124 करोड़ रुपए खर्च हो चुके।
“नर्मदा सिंचाई का पूरा सिस्टम किसानों व जल उपभोक्ता संगठन ने बिगाड़ा है। इन्होंने लिमिट अधिक क्षेत्र में सिंचाई की व सिस्टम का रखरखाव नहीं किया। बाकी पानी चोरी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। टेल तक पानी पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।” – बाबूलाल गहलोत, एसई नर्मदा परियोजना

