Monday, December 1, 2025
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बिहार पंचायत चुनाव में इस बार हो सकता है बड़ा उलटफेर, लागू होगा ‘आरक्षण चक्र’!


पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही अब राज्य का राजनीतिक फोकस अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर टिक गया है. पंचायत चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है और इस बार बड़ा बदलाव आरक्षण संरचना में होने वाला है. दरअसल, 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव में आरक्षण का नया चक्र (Reservation Rotation System) लागू होगा, जिसके तहत कई सीटों की श्रेणियों में बदलाव तय माना जा रहा है. इस बदलाव के पीछे वह नियम है, जिसके अनुसार लगातार दो आम चुनावों में किसी भी पद पर एक ही श्रेणी का आरक्षण लागू नहीं रह सकता. 2016 और 2021 में जहां-जहां एक ही श्रेणी को आरक्षण मिला था, उन सीटों का आरक्षण अब समाप्त होकर नई श्रेणी में परिवर्तित किया जाएगा.

कैसे शुरू हुई यह व्यवस्था?

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण का नियम बिल्कुल साफ है-दो आम चुनावों तक एक ही श्रेणी के लिए आरक्षित सीट तीसरे चुनाव में बदल दी जाती है. बता दें कि बिहार में पंचायती व्यवस्था के तहत पहली बार वर्ष 2006 में आरक्षण व्यवस्था लागू हुई थी, जो 2011 तक लागू रही. इसके बाद 2016 और 2021 के चुनाव भी उसी आरक्षण चक्र के तहत हुए. अब 2026 यानी तीसरे बड़े पंचायत चुनाव में यह चक्र बदल जाएगा. इसका मतलब है कि- जो सीटें अबतक SC, ST, EBC या महिला श्रेणी में आरक्षित थीं उनमें बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. राजनीतिक भाषा में इसे पूरी तरह ग्राउंड रीसेट कहा जा रहा है.

आरक्षण तय कैसे होगा?

इसके लिए कोई एक फार्मूला नहीं है, बल्कि पद के हिसाब से नियम अलग-अलग हैं. ग्राम पंचायत सदस्य सीटें पंचायत के कुल पदों के अनुपात में होती हैं. मुखिया की सीटें संबंधित पंचायत समिति क्षेत्र में गांवों की संख्या के आधार पर होती हैं. पंचायत समिति सदस्य की सीटें कुल सीटों के आधार पर होती हैं. जिला परिषद सदस्य और अध्यक्ष की सीटें 50% आरक्षण नीति के साथ होती हैं. खास बात यह कि यह पूरा आरक्षण निर्धारण जनसंख्या आंकड़ों पर निर्भर होगा. यदि किसी इलाके में SC/ST की आबादी 25% है तो उनकी सीटें भी लगभग उसी अनुपात में होंगी. साथ ही EBC वर्ग को लगभग 20% आरक्षण मिलेगा. बता दें कि सभी गणनाएं और अंतिम सूची जिलाधिकारी (DM) द्वारा तैयार की जाएगी.

आरक्षण की नई व्यवस्था कैसे तय होगी?

  • आरक्षण निर्धारण के लिए अलग – अलग पदों का अलग आधार होगा.
  • ग्राम पंचायत सदस्य – पंचायत के कुल पदों के आधार पर.
  • मुखिया पद – पंचायत समिति क्षेत्र के गांवों की संख्या के आधार पर.
  • पंचायत समिति सदस्य – कुल पदों के अनुपात में.
  • प्रखंड प्रमुख, जिला परिषद सदस्य और अध्यक्ष – 50% आरक्षण के प्रावधान के साथ.
  • आरक्षण सूची जनगणना के आंकड़ों पर आधारित होगी.

उदाहरण के लिए-यदि किसी क्षेत्र में SC या ST आबादी 25% है, तो आरक्षित सीटें भी उसी अनुपात में होंगी. बाकी बची सीटों में EBC वर्ग के लिए लगभग 20% आरक्षण रखा जाएगा. इन सीटों का निर्धारण और अंतिम सूची जिला दंडाधिकारी (DM) द्वारा तैयार की जाएगी. इसके साथ ही इस बार होने वाले बदलाव का सबसे बड़ा प्रभाव उन सीटों पर पड़ेगा जहां पिछले दो चुनावों से एक ही श्रेणी लागू थी.

  • कई सीटें अनारक्षित हो सकती हैं.
  • कई सीटें पहली बार SC/ST/EBC श्रेणी में जा सकती हैं.
  • महिलाओं का 50% आरक्षण जारी रहेगा.

क्यों माना जा रहा है इसे बड़ा बदलाव?

कई सीटों पर पिछले दो चुनावों से एक ही आरक्षण लागू था, इसलिए अब वह सीटें नई श्रेणी में जाएंगी. यानी कुछ सीटें महिला से सामान्य वर्ग में, कुछ EBC से SC/ST में और कई सामान्य सीटें अब पहली बार आरक्षण में जा सकती हैं. स्थानीय स्तर पर राजनीति करने वालों के लिए यह बदलाव सिर्फ नीति नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य का नक्शा बदलने जैसा है. एक वरिष्ठ पंचायत प्रतिनिधि ने कहा कि “कई सीटों पर वही नेता लगातार चुनाव जीतते आए हैं क्योंकि आरक्षण श्रेणी उनसे मेल खाती थी. अब गेम बदल रहा है.”

क्या बदलेगा मैदान?

2026 का पंचायत चुनाव सिर्फ वोटिंग की तारीखों का इंतजार नहीं है, बल्कि यह इंतजार है देखने का कि कौन सी सीटें अनारक्षित होंगी, कौन सी SC/ST या महिला श्रेणी में जाएंगी, किसका राजनीतिक आधार टूटेगा, कौन नया खिलाड़ी मैदान में उतरेगा. गांव की राजनीति में चेहरे से ज्यादा श्रेणी और आरक्षण चुनाव तय करता है, इसलिए इस बदलाव को पंचायत चुनाव का सबसे बड़ा प्री-इलेक्शन ट्विस्ट माना जा रहा है.

अंत में यह भी समझिये

बिहार की पंचायत राजनीति हमेशा जमीन से जुड़ी रही है. वहां भाषणों से ज्यादा असर पड़ता है जातीय समीकरण, स्थानीय पहचान और आरक्षण की दिशा का. वर्ष 2026 का चुनाव इस बार सिर्फ बैलेट पेपर से नहीं बल्कि आरक्षण सूची से तय होगा कि कौन टिकेगा और कौन बाहर हो जाएगा. अब सबकी नज़र एक ही सवाल पर है कि-“नया आरक्षण मानचित्र किसकी राजनीति बनाएगा और किसकी विरासत मिटा देगा?”



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