नई दिल्ली: भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाया है. Solar Defence & Aerospace Ltd (SDAL) और CSIR–NAL के बीच 150 किलो वजनी स्टील्थ लोइटरिंग म्यूनिशन ड्रोन बनाने की डील साइन हो गई है. इस ड्रोन की खासियत यह है कि यह दुश्मन की नजर में आए बिना 5 किलोमीटर की ऊंचाई तक ऑपरेट कर सकेगा और 900 किलोमीटर तक गहराई में जाकर निशाना साध सकेगा. यह क्षमता भारत के लिए भविष्य के युद्धों और सुरक्षा चुनौतियों में निर्णायक साबित हो सकती है.
इस डील के साथ भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक का नया अध्याय शुरू हुआ है. स्टील्थ फीचर्स, AI-आधारित निगरानी प्रणाली, लंबी रेंज और GPS जामिंग वाले क्षेत्रों में भी काम करने की क्षमता इसे आने वाले समय का गेम-चेंजर हथियार बनाती है.
भारत की बड़ी उपलब्धि: SDAL–NAL की संयुक्त साझेदारी
इस समझौते पर बेंगलुरु में साइन हुआ और इसे भारत की भविष्य की युद्ध तैयारी में मील का पत्थर माना जा रहा है. CSIR–NAL और SDAL साथ मिलकर इस लोइटरिंग मुनिशन UAV की डिजाइन, डेवलपमेंट और टेस्टिंग करेंगे. सबसे अहम बात इस ड्रोन में लगाया जाने वाला वैंकेल इंजन NAL द्वारा बनाया गया है. इसे पहले ही CEMILAC ने विमानन परीक्षण के लिए प्रमाणित कर दिया है. यह इंजन पूरी तरह स्वदेशी है और भारत की एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में बड़ी छलांग है.
150 किलो का कुल वजन. (AI फोटो)
ड्रोन की खासियतें: स्टील्थ, AI और जबरदस्त रेंज
स्टील्थ तकनीक इस ड्रोन की सबसे मजबूत ताकत है. बेहद कम Radar Cross Section (RCS) होने की वजह से यह दुश्मन की रडार पर पकड़ में मुश्किल से आता है. साथ ही यह उन इलाकों में भी काम कर सकता है जहां GPS सिग्नल जाम या उपलब्ध नहीं होते, जो आज के इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में बेहद ज़रूरी क्षमता मानी जाती है.
इसके अलावा इसमें लगाया गया AI-आधारित EO-IR सिस्टम इसे युद्ध के मैदान में बेहद खतरनाक और स्मार्ट बनाता है. एक नजर इसकी मुख्य खूबियों पर-
- 150 किलो का कुल वजन.
- 900 किलोमीटर तक ऑपरेशन रेंज.
- 6–9 घंटे की उड़ान क्षमता.
- 5KM की सर्विस सीलिंग.
- AI आधारित पहचान और निगरानी.
- GPS-डिनाइड क्षेत्र में संचालन.
- बेहद कम रडार सिग्नेचर.
- उच्च स्वदेशी कंटेंट और उन्नत पेलोड.
- उच्च स्वदेशी कंटेंट और उन्नत पेलोड.

इस डील के साथ भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक का नया अध्याय शुरू हुआ है. (फोटो AI)
| स्पेसिफिकेशन | क्षमता |
| वजन | 150 किलो |
| रेंज | 900 किलोमीटर |
| उड़ान समय | 6-9 घंटे |
| ऊंचाई क्षमता | 5 किलोमीटर |
| इंजन | स्वदेशी वैंकेल इंजन (NAL) |
| खासियत | स्टील्थ, AI आधारित पेलोड, GPS-डिनाइड ऑपरेशन |
क्या चीज इसे भविष्य के युद्धों का गेम चेंजर बनाती है?
इस लोइटरिंग ड्रोन में जो क्षमताएं दी गई हैं, वे भविष्य के हाइब्रिड युद्धों, बॉर्डर मॉनिटरिंग और दुश्मन के क्षेत्रों में गहराई तक स्ट्राइक करने के लिए बेहद अहम हैं. इस ड्रोन के ऑपरेशनल फायदे कुछ इस प्रकार हैं-
- दुश्मन के इलाके में लंबे समय तक मंडराकर टारगेट खोज सकता है.
- AI के आधार पर लक्ष्य की वास्तविक समय में पहचान.
- स्टील्थ क्षमता इसे रडार से लगभग अदृश्य बनाती है.
- स्वदेशी पेलोड इसे किफायती और रणनीतिक रूप से सुरक्षित बनाते हैं.
- CTCCBS प्रक्रिया में SDAL ने चार बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ा.
इस परियोजना के लिए कंपनी का चयन एक प्रतियोगी प्रक्रिया CTCCBS (Combined Technical-cum-Commercial Bidding System) के तहत हुआ. SDAL ने न सिर्फ चार अन्य प्रतिभागियों को हराया, बल्कि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों और प्रमुख DPSUs पर भी बढ़त हासिल की. इससे साफ है कि भारत में निजी रक्षा कंपनियों का स्तर लगातार बढ़ रहा है.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने की सराहना
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस प्रोजेक्ट की तारीफ की. उन्होंने कहा कि CSIR का यह मॉडल जिसमें प्रोजेक्ट की शुरुआत से उद्योग को शामिल किया गया है. यह भारत की रक्षा R&D में बड़ा सुधार लाएगा. यह सहयोग डिजाइन से लेकर टेस्टिंग तक एक ही श्रृंखला में प्रगति करेगा.
भारत की रक्षा तैयारियों में बड़ा योगदान
इस प्रोजेक्ट से-
- भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.
- एयरोस्पेस क्षेत्र में घरेलू क्षमता मजबूत होगी.
- भविष्य के युद्धों में भारत की मारक क्षमता बढ़ेगी.
- डिफेंस एक्सपोर्ट की संभावनाएं भी खुलेंगी.

