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आमिर खान‑स्टारर ‘गुलाम’ आज भी इसलिए यादगार है कि ये बगावत, रोमांस और असली एक्शन का तीखा मिश्रण पेश करती है. ये फिल्म एक हिट फिल्म थी. इस फिल्म को देखने के पीछे के ये कारण आपको आज भी बांधे रखेंगे.
आमिर खान का स्टार स्टंट…(फोटो साभार- imdb)
हाइलाइट्स
- आमिर खान की फिल्म ‘गुलाम’ 1998 में रिलीज हुई थी.
- फिल्म ‘गुलाम’ में आमिर का किरदार ‘सिद्धार्थ मराठे’ यादगार है.
- ‘आती क्या खंडाला’ गाना आज भी लोकप्रिय है.
मुंबई : 1998 में रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म गुलाम महज एक फिल्म नहीं थी ये एक जज्बा थी, एक बगावत थी. विक्रम भट्ट के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म ने ना सिर्फ आमिर खान के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि लोगों के दिलों में भी हमेशा के लिए अपनी जगह बना ली. गुलाम ने जहां सड़क की धूल से निकली कहानियों को आवाज दी, वहीं एक ऐसा नायक दिया जो कमजोर होते हुए भी अंदर से सबसे मजबूत था.
आमिर का शानदार किरदार
आमिर खान का गाना
खतरनाक ट्रेन सीन
शानदार डायलॉग्स
‘डर के आगे भी जीत होती है क्या? मैं भाई के लिए कुछ भी कर सकता हूं.’ ऐसे डायलॉग्स सिर्फ याद नहीं रखे जाते, बल्कि जिंदगी के मुश्किल पलों में इंस्पिरेशन बन जाते हैं. गुलाम ने ना सिर्फ एक कहानी सुनाई, बल्कि शब्दों के जरिए जज्बातों का तूफान खड़ा कर दिया.
गजब का क्लाइमेक्स
गुलाम का अंत सिर्फ एक क्लाइमैटिक फाइट नहीं थी, ये उस किरदार की आत्मा की मुक्ति थी. आमिर जब डर को पीछे छोड़ते हुए सच्चाई के लिए खड़े होते हैं, लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ये उस ‘भीतर के विद्रोही’ की कहानी थी जो समाज में कई बार चुप रहता है- लेकिन एक दिन, वो चुप्पी हथियार बन जाती है.