मध्यप्रदेश में मानसूनी बारिश का दौर शुरू हो गया है। गुरुवार को कई जिले भींग गए। नीमच में तो नदी-नाले उफान पर आ गए और कार-बाइक बह गईं। ऐसा ही मौसम शुक्रवार को भी बना रहेगा। मौसम विभाग ने अशोकनगर, दमोह, पन्ना, सतना, मैहर, रीवा और मऊगंज में भारी बारिश क
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भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर समेत प्रदेश के बाकी जिलों में गरज-चमक, आंधी और बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले 4 दिन तक पूरे प्रदेश में आंधी-बारिश का दौर बना रहेगा।
ट्रफ, साइक्लोनिक सकुर्लेशन-लो प्रेशर एरिया एक्टिव सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि वर्तमान में लो प्रेशर एरिया, तीन साइक्लोनिक सर्कुलेशन और दो ट्रफ की एक्टिविटी है। एक ट्रफ प्रदेश के पास से गुजर रही है। इन वजहों से प्रदेश में तेज बारिश का दौर जारी है।
भोपाल, इंदौर समेत कई जिलों में बारिश, महू में झरना बहा इससे पहले गुरुवार को भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़, अशोकनगर और हरदा समेत कई जिलों में बारिश का दौर जारी रहा। मालवा क्षेत्र में भारी बारिश के चलते नदी नाले उफान पर आ गए। नीमच में उफनती पुलिया पार करने के दौरान दो बाइक सवार बह गए। लोगों ने उन्हें बचा लिया। नीमच में रूपा नदी के किनारे बसे गांव कंजार्डा में सड़क पर पानी भर गया।
मंदसौर में सड़कों पर डेढ़ फीट तक पानी भर गया। इंदौर के महू में सूखे पड़े झरनों में पानी आ गया है। गुरुवार को पातालपानी के झरने में पानी बहने लगा। ग्वालियर में चलती कार पर पेड़ गिर गया। इस दौरान बारिश भी हो रही थी। बैंक मैनेजर को राहगीरों ने पेड़ काटकर बाहर निकाला। राजगढ़ जिले के ब्यावरा में लगातार तेज बारिश हुई। जिले के सुठालिया, मलावर, करनवास सहित आसपास के गांवों में भी पानी गिरा। नर्मदापुरम, डिंडौरी में भी बारिश दर्ज की गई।
16 जिलों में बारिश, रतलाम में सवा इंच पानी गिरा
प्रदेश के 16 जिलों में गुरुवार को बारिश का दौर रहा। रतलाम में सबसे ज्यादा सवा इंच पानी गिर गया। इंदौर में आधा इंच बारिश हुई। बारिश की वजह से कई शहरों में पारा काफी लुढ़क गया। इंदौर में दिन-रात का तापमान बराबर हो गया है। बुधवार-गुरुवार की रात में तापमान 24.3 डिग्री था, जबकि गुरुवार को यह 25.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह गुरुवार को प्रदेश में सबसे कम तापमान रहा।
रतलाम और उज्जैन में दिन-रात के तापमान में सिर्फ 2 डिग्री का अंतर रहा। रतलाम में बुधवार-गुरुवार की रात में पारा 24.2 डिग्री रहा था, जबकि गुरुवार को दिन में तापमान 26.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, उज्जैन में रात में 25.5 डिग्री और दिन में 27.5 डिग्री दर्ज किया गया। बालाघाट के मलाजखंड, गुना, रायसेन, पचमढ़ी और धार में भी पारा 30 डिग्री से कम रहा। बड़े शहरों में भोपाल में 30 डिग्री, इंदौर में 31.4 डिग्री, ग्वालियर में 33.5 डिग्री और जबलपुर में 32.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। टीकमगढ़ में सबसे ज्यादा 40.5 डिग्री रहा।
एमपी में गुरुवार को हुई बारिश की तस्वीरें…

नीमच में बाइक पर पुलिया पार करने के दौरान बह गए। मंदसौर में सड़कों पर पानी भर गया।

नीमच में रूपा नदी के किनारे बसे गांव कंजार्डा में सड़क पर पानी भर गया है।

ग्वालियर में एक कार के ऊपर पेड़ गिर गया।
भिंड जिले में नहीं पहुंचा मानसून इस बार देश में मानसून 8 दिन पहले ही आ गया था। वहीं, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में यह तय समय से पहले पहुंच गया। ऐसे में अनुमान था कि मध्यप्रदेश में यह जून के पहले सप्ताह में ही आ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले 15 दिन से मानसून महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ में एक ही जगह पर ठहरा रहा। इस वजह से एमपी में इसकी एंट्री नहीं हो पाई। 13-14 जून को मानसून आगे बढ़ा। बावजूद यह प्रदेश में 1 दिन लेट हो गया। हालांकि, 3 दिन में ही मानसून ने प्रदेश के 54 जिलों को कवर कर लिया।
बाकी बचे एक जिले भिंड में मानसून के गुरुवार को पहुंचने की संभावना थी, लेकिन यह नहीं पहुंचा। मौसम विभाग के अनुसार, शुक्रवार को भिंड को भी मानसून कवर कर लेगा। बता दें कि एमपी में मानसून के प्रवेश की सामान्य तारीख 15 जून ही है। पिछले साल यह 21 जून को एंटर हुआ था।
एमपी में कितना तापमान, ग्राफिक्स से जानिए…


इस साल मई में टूटे रिकॉर्ड, गर्मी की बजाय आंधी-बारिश पूरे मई महीने में आंधी, बारिश और ओले वाला मौसम रहा। एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब प्रदेश के किसी न किसी जिले में आंधी-बारिश न हुई हो। एमपी में ऐसा पहली बार हुआ। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर-जबलपुर समेत कुल 53 जिले भीग गए। सिर्फ निवाड़ी ही ऐसा जिला रहा, जहां बूंदाबांदी तो हुई, लेकिन दर्ज नहीं हो सकी। दूसरी ओर, मई महीने में बारिश के कई रिकॉर्ड भी टूटे। इंदौर में 139 साल में सबसे ज्यादा 4.6 इंच पानी गिरा। वहीं, उज्जैन में सबसे ज्यादा बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड बना।
इससे पहले इंदौर में साल 1886 के मई महीने में 107.7 मिमी यानी, 4.2 इंच पानी गिरा था, जबकि इस बार 114.8 मिमी यानी, 4.6 इंच पानी गिर गया है। इस तरह 139 साल में इंदौर का रिकॉर्ड टूट गया है। उज्जैन में मई की बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड बना है। इस बार 111.8 मिमी यानी, 4.3 इंच से ज्यादा पानी गिरा है। साल 2021 में कुल मासिक बारिश 65 मिमी (2.5 इंच) हुई थी। इस हिसाब से उज्जैन में मई की बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड बना है।
दूसरी ओर, मई में अप्रैल जितनी गर्मी नहीं रही। अप्रैल में कई शहरों में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया था। इस साल मई में प्रदेश के किसी भी शहर में दिन का तापमान 43 डिग्री तक भी नहीं पहुंचा। नौतपा में भी कम ही गर्मी रही। नौगांव, खजुराहो, टीकमगढ़, ग्वालियर, दमोह, शिवपुरी जैसे शहरों में ही पारा 40 डिग्री के पार पहुंचा। बाकी शहरों में इससे काफी नीचे रहा।
क्यों रहा ऐसा मौसम?
मई में भीषण गर्मी की बजाय आंधी-बारिश होने के पीछे क्या वजह रही? इसके बारे में मौसम वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्रन ने जाना। उन्होंने बताया कि मई की शुरुआत से आखिरी तक प्रदेश में साइक्लोनिक सकुर्लेशन, वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) और ट्रफ की एक्टिविटी देखने को मिली। लगातार सिस्टम एक्टिव होते रहे। इस वजह से आंधी-बारिश का दौर भी चलता रहा। आखिरी दिन भी कुछ जिलों में मौसम बदला रहा।
अब जानिए, 10 साल में कैसा रहा मौसम…
भोपाल में 15 जून तक तेज गर्मी रही राजधानी में जून महीने में तेज गर्मी और बारिश दोनों का ही ट्रेंड है। पिछले 10 साल में 15 जून से पहले तेज गर्मी का असर रहा। 4 साल तो टेम्प्रेचर 45 डिग्री के पार पहुंच गया। वहीं, रात का टेम्प्रेचर 17.4 डिग्री तक आ गया। साल 2020 में सबसे ज्यादा 16 इंच बारिश हुई थी।
वहीं, पिछले साल 2024 में पूरे महीने 10.9 इंच पानी गिरा था। 10 साल में दूसरी बार इतनी बारिश हुई थी। वहीं, 24 घंटे में करीब 5 इंच पानी बरसा था।

इंदौर में पिछले साल हुई थी 4 इंच बारिश जून में इंदौर में दिन के टेम्प्रेचर में खासी गिरावट होती है। पिछले 5 साल यानी- 2020, 2021, 2022, 2023 और 2024 में जून में कम गर्मी पड़ी। पारा 39.6 से 41.1 डिग्री के बीच रहा है। पिछले साल 40.6 डिग्री तक पारा पहुंचा था। इस महीने कोटे की 20 प्रतिशत तक बारिश हो जाती है। पिछले साल करीब 4 इंच पानी गिरा था।
बारिश के ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1980 में यहां जून महीने में 17 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी। 24 घंटे में सर्वाधिक 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 23 जून 2003 को बना था। 3 जून 1991 में इंदौर में दिन का पारा 45.8 डिग्री तक पहुंच चुका है। वहीं, 12 जून 1958 को न्यूनतम तापमान 18.9 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था।

ग्वालियर में 47 डिग्री पार हो चुका टेम्प्रेचर ग्वालियर में मई के बाद जून भी तेज गर्मी रहती है। 10 साल के आंकड़ों की बात करें तो साल 2019 में अधिकतम तापमान 47.8 डिग्री तक पहुंच चुका है। वहीं, 2024 में पारा 45.7 डिग्री दर्ज किया गया था। इस महीने अमूमन तापमान 45 से 46 डिग्री ही रहता है।
मौसम विभाग के अनुसार, 11 जून 2019 में पारा 47.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। वहीं, 1962 में पूरे महीने साढ़े 28 इंच बारिश हो गई थी। एक दिन में सर्वाधिक साढ़े 7 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 जून 1952 को बना था। साल 2024 में यहां पूरे महीने 5.7 इंच पानी गिरा था।

जबलपुर में 10 साल अच्छी बारिश मानसून की एंट्री के साथ ही जबलपुर में अच्छी बारिश होती है। यही से मानसून की एंट्री होती है, इसलिए अन्य जिलों की तुलना में जबलपुर में अच्छा पानी गिरता है। साल 2015 से 2024 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो कोटे की 30% तक बारिश हो चुकी है। पिछले साल साढ़े 7 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। इस बार भी जबलपुर संभाग के दक्षिण हिस्से से ही मानसून एंटर हो सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार, जबलपुर में 1998 में एक महीने में करीब 30 इंच बारिश दर्ज की गई थी। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 16 जून 1882 में 24 घंटे में साढ़े 7 इंच बारिश हुई थी। पिछले साल भी पूरे महीने करीब 8 इंच पानी गिरा था।

उज्जैन में भी अच्छी बारिश का ट्रेंड जून महीने में उज्जैन में भी अच्छी बारिश होने का ट्रेंड है। 2015 से 2024 के बीच उज्जैन में 2.5 से 8 इंच तक बारिश हो चुकी है। इस बार भी ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है। उज्जैन में बारिश के ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1970 में पूरे महीने साढ़े 13 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक बारिश का रिकॉर्ड 15 जून 2001 को बना था। इस दिन करीब साढ़े 6 इंच बारिश हुई थी। साल 2024 में पूरे महीने साढ़े 5 इंच पानी गिरा था।
