कानून मंत्रालय, फिर तुषार मेहता…वक्फ कानून के नियमों का मसौदा तैयार

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कानून मंत्रालय, फिर तुषार मेहता…वक्फ कानून के नियमों का मसौदा तैयार


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Waqf Amendment Act Rules: वक्‍फ संशोधन कानून-2025 से जुड़े नियमों के ड्राफ्ट को फाइनल अप्रूवल के लिए भेजा गया है. इस प्रोसेस के पूरा होने के बाद केंद्र के पास भेजा जाएगा और फिर गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा.

वक्‍फ संशोधन कानून-2025 से जुड़े नियमों के मसौदे को अंतिम मंजूरी देने की प्रकिया चल रही है. इसके बाद इसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा.

हाइलाइट्स

  • वक्‍फ संशोधन कानून-2025 से जुड़े नियमों का मसौदा हो गया है तैयार
  • फाइनल अप्रूवल का है इंतजार, फिर जारी होगा गजट नोटिफिकेशन
  • वक्‍फ संशोधन कानून के प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में भी दी गई है चुनौती

नई दिल्‍ली. केंद्र सरकार ने बहुचर्चित वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 को लागू करने के लिए आवश्यक नियमों का मसौदा तैयार कर लिया है और उसे अंतिम मंजूरी के लिए विधि मंत्रालय और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भेज दिया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अनुसार, ये नियम आगामी 15-20 दिनों में नोटिफाई किए जा सकते हैं और संसद के मानसून सत्र (21 जुलाई 2025 से शुरू) में पेश किए जाने की पूरी संभावना है. यह कानून अप्रैल में संसद से पारित हुआ था और इसके कई प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं. कोर्ट ने 22 मई को इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिकाओं में कानून की वैधता और इसके कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है.

सीनियर अधिकारी ने बताया कि नियमों को रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है और इसमें राज्यों तथा अन्य पक्षकारों लंबी और गंभीर चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि 15 से ज्यादा बैठकें हुईं और हर ड्राफ्ट सभी राज्यों के साथ साझा किया गया. सभी राज्यों ने भागीदारी की. उन्‍होंने आगे बताया कि हाल में ही नियमों के मसौदे को लॉ मिनिस्‍ट्री और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के पास फाइनल अप्रूवल और फिनिशिंग टच देने के लिए भेजा गया है. मंजूरी मिलने के बाद इसे केंद्र के पास भेजा जाएगा और फिर पब्लिक गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा.

क्‍या हैं नए कानून के अहम बदलाव?

वक्फ अधिनियम 2025 में कई व्यापक और विवादास्पद बदलाव किए गए हैं:

  • वक्फ बाय यूजर (किसी संपत्ति का केवल धार्मिक उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित होना) की धारा को समाप्त कर दिया गया है.
  • अब वक्फ बोर्डों में महिलाओं, शिया समुदायों और सरकारी अधिकारियों को भी सदस्य बनाया जा सकता है.
  • केवल वही व्यक्ति वक्फ को संपत्ति दान कर सकता है जो कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो.
  • कानून यह भी स्पष्ट करता है कि महिलाओं और अन्य कानूनी वारिसों को वक्फ के चलते उत्तराधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.
  • वरिष्ठ अधिकारियों को यह तय करने का अधिकार मिलेगा कि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ में आती है या नहीं.
  • क्‍यों हो रहा है विरोध?

    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने इस कानून के प्रावधानों को धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन बताया है. इनका आरोप है कि यह कानून सरकारी अधिकारियों को अत्यधिक अधिकार देता है और धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा को कमजोर करता है.

    कानूनी प्रक्रिया

    पूर्व सचिव जनरल पीडीटी आचार्य ने स्पष्ट किया है कि सरकार नियमों को सीधे अधिसूचित कर सकती है और उन्हें संसद में रखने के लिए पूर्व अधिसूचना की आवश्यकता नहीं है. संसद में नियमों को पेश करना एक संवैधानिक प्रक्रिया है, लेकिन यह अधिसूचना से पहले आवश्यक नहीं है. लोकसभा और राज्यसभा के प्रक्रिया नियमों के अनुसार, इन नियमों को संसद में 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना होता है ताकि संसद चाहे तो उन्हें संशोधित या निरस्त कर सके.

    अगला कदम

    केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी पुष्टि की है कि नियमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे मानसून सत्र से पहले प्रकाशित कर दिए जाएंगे. सरकार इसे एक बड़ी उपलब्धि मान रही है और नियमों को रिकॉर्ड समय में तैयार करने को सहज और सहयोग वाली प्रक्रिया बताया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला इस पूरे मामले की दिशा तय करेगा. यदि अदालत कानून के किसी भाग को असंवैधानिक मानती है, तो इसका सीधा असर नियमों और उनको लागू करने पर पड़ेगा.

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    Manish Kumar

    बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु…और पढ़ें

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