मोतिहारी के गांव में बुजुर्ग दंपती ने शादी के 48 साल तक सिर्फ एक दूसरे का हर काम में साथ नहीं निभाया, बल्कि मृत्यु की यात्रा भी साथ-साथ तय की है। पति-पत्नी का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार भी किया गया है।
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चिरैया गांव के वार्ड नंबर 5 निवासी जमदार महतो(70) की गुरुवार को अचानक तबीयत बिगड़ी। बेटे नवल किशोर महतो ने बताया कि हमलोग सभी सो रहे थे। तभी देखा कि पिताजी को हिचकी आ रही है। मैंने तुरंत उन्हें अपनी गोद में लिया। कुछ ही पलों में उन्होंने प्राण त्याग दिए।’
‘उस समय मेरी मां राजपति देवी(60) पास ही बैठी थीं। मां को हमने कुछ नहीं बताया, लेकिन उन्हें खुद ही सब समझ आ गया। वह जोर-जोर से रोने लगीं, सीने पर मुक्के मारती रहीं और 5 मिनट में ही उनकी भी सांसें थम गईं।’
बेटे ने मां-पिता को एक साथ दी मुखाग्नि
गांववालों के लिए यह दृश्य दुख और श्रद्धा का मिलाजुला अनुभव बन गया। गांव के बगीचे में दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। बेटे नवल किशोर ने माता-पिता को एक साथ मुखाग्नि दी। वहां मौजूद सैकड़ों लोग इस दृश्य को देखकर अपने आंसू नहीं रोक सके।
गांव के सरपंच प्रतिनिधि चितरंजन कुमार कहते हैं, ‘आजकल के समय में जहां पति-पत्नी के रिश्ते आए दिन कलंकित हो रहे हैं, वहीं जमदार महतो और राजपति देवी ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्रेम अमर होता है।
एक चिता, दो देह, एक आत्मा
इस अनोखे और इमोशनल विदाई में गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए। अंतिम संस्कार गांव के एक बगीचे में एक ही चिता पर किया गया, जहां बेटे नवल किशोर ने माता-पिता को एक साथ मुखाग्नि दी। यह दृश्य इतना भावुक था कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।
गांववालों का कहना है कि ये दंपती जीवन भर एक-दूसरे का ख्याल रखते थे। एक ने जब संसार छोड़ा, तो दूसरा पीछे नहीं रुका। यह घटना उस प्रेम की गूंज है, जो सिर्फ कहानियों में नहीं, हकीकत में भी जिया जाता है।