Monday, July 7, 2025
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Bihar Chunav: तेजस्वी फिर ‘फंस’ गए नीतीश के जाल में? पटना से सवा 3 घंटे में जमुई पहुंचे तो JDU ने दिलाई लालू-राबड़ी राज की याद


पटना. बच्चों को बचपन में एक कहानी अक्सर सुनाई जाती थी- शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा, दाना डालेगा, लोभ में फंसना नहीं’ बच्चों वाली यह कहानी इस समय बिहार के नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी के सीएम फेस तेजस्वी यादव पर सटीक बैठ रहा है. वक्फ बोर्ड पर दिए अपने बयान पर जहां बीजेपी ने तेजस्वी यादव पर जोरदार हमला बोला है. वहीं, जेडीयू ने भी उनके सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पर सवाल पूछ लिया है. दरअसल, सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव का पटना से जमुई यात्रा का पूरा विवरण पोस्ट किया गया. इसमें पटना से जमुई सवा 3 घंटे में पहुंचने का वक्त लिखा था. जेडीयू ने तेजस्वी यादव के इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की और इसकी तुलना लालू-राबड़ी राज से कर दी. तेजस्वी की पटना से जमुई की सड़क यात्रा सवा तीन घंटे में पूरी तो हो गई, लेकिन जेडीयू को बड़ा हथियार भी मिल गया. बिहार चुनाव को देखते हुए हर कदम और हर बयान का गहरा सियासी मायने निकाला जा रहा है. तेजस्वी के इस पोस्ट पर भी अब राजनीति शुरू हो गई है. ऐसे में क्या तेजस्वी यादव अपने ही जाल में फंस गए हैं?

29 जून 2025 को एक एक्स पोस्ट में एक पत्रकार ने लिखा, ‘बिहार की सड़कें कैसी बनी हैं, तेजस्वी यादव की सड़क यात्रा से समझिए.’ इस पोस्ट ने तेजस्वी की यात्रा को सुर्खियों में ला दिया. अगले ही दिन, 30 जून 2025 को जेडीयू ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पलटवार करते हुए कहा, ‘नीतीश कुमार जी की बनाई सड़क से तेजस्वी यादव मात्र सवा तीन घंटे में पटना से जमुई पहुंच गए. सोचिए 90 के दशक का वो भी क्या दौर था, जब इतनी दूरी तय करने के लिए पूरा दिन लग जाता था.’ यह बयान न केवल तेजस्वी पर तंज था, बल्कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की बेहतर सड़कों का श्रेय लेने की कोशिश भी थी.

लालू राज में सड़क यात्रा में कितना समय लगता था?

1990 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी, बिहार की सड़कों की स्थिति बदहाल थी. उस दौर को अक्सर “जंगल राज” के रूप में संबोधित किया जाता है, जब सड़कों की खराब हालत, गड्ढे, और अव्यवस्था के कारण यात्रा करना चुनौतीपूर्ण था. पटना से जमुई, जो लगभग 150-170 किलोमीटर की दूरी है, उस समय सड़क मार्ग से यात्रा करने में 6 से 8 घंटे या कभी-कभी इससे भी अधिक समय लगता था. खराब सड़कों, बार-बार रुकावटों, और सुरक्षा चिंताओं ने यात्रा को लंबा और थकाऊ बना दिया था.

1990 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी.

तेजस्वी क्यों जेडीयू के निशाने पर?

नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन सरकार ने बिहार में सड़क बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार किया है. चार-लेन राजमार्गों, बेहतर सड़क रखरखाव, और कनेक्टिविटी पर ध्यान देने के कारण पटना से जमुई की यात्रा अब मात्र 3 से 3.5 घंटे में पूरी हो रही है. तेजस्वी की हालिया यात्रा इसका जीवंत उदाहरण है. जेडीयू ने इस मौके को भुनाते हुए तेजस्वी को “आईना दिखाया,” यह दर्शाने की कोशिश की कि आरजेडी के शासनकाल की तुलना में नीतीश सरकार ने बिहार को विकास के रास्ते पर ला दिया है.

तेजस्वी जाल, रणनीति या भूल में फंस गए?

तेजस्वी यादव की सड़क यात्रा का उद्देश्य जनता से सीधा जुड़ाव और 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी थी. उनकी ‘आभार यात्रा’ और ‘कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम’ जैसी पहलें इस बात का संकेत देती हैं कि वह युवाओं और हाशिए के समुदायों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, जेडीयू ने उनकी इस यात्रा को नीतीश सरकार की उपलब्धियों के प्रचार में बदल दिया. तेजस्वी की यह रणनीति उलटी पड़ती दिख रही है, क्योंकि उनकी यात्रा ने अनजाने में नीतीश सरकार की सड़क विकास की तारीफ का मंच तैयार कर दिया.
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2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच सीधा मुकाबला है.

2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच सीधा मुकाबला है. तेजस्वी ने खुद को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया है, लेकिन नीतीश की अनुभवी रणनीति और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की ताकत उनके लिए चुनौती बनी हुई है. इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि बिहार की सियासत में छोटी-छोटी बातें भी बड़े मुद्दे बन सकती हैं. तेजस्वी की सड़क यात्रा, जो जनता से जुड़ने का माध्यम थी, अब नीतीश सरकार की उपलब्धियों का प्रचार बन गई.



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