Last Updated:
गाजियाबाद के मनमोहन 60 वर्षों से कांजी और दही बड़े बेच रहे हैं. उनकी रेसिपी की विदेशों तक चर्चा है. उनका ठेला न सिर्फ स्वाद का केंद्र है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक पहचान भी बन चुका है.
हाइलाइट्स
- विदेशों तक फेमस है गाजियाबाद का ये दुकान
- मथुरा से आकर गाजियाबाद में दुकान खोले है कांजी
- शहर में फेमस है कांजी का दही बड़े
तीन दिन तक पकता है स्वाद का असली राज
मनमोहन बताते हैं कि उन्होंने यह काम अपने पिता से सीखा, जो मथुरा से आकर गाजियाबाद में बसे थे. कांजी का पानी, जो इस डिश की जान है, राई और खास मसालों से मिलाकर तीन दिन तक तैयार किया जाता है. इसमें डाली जाती हैं मूंग दाल की कुरकुरी पकौड़ियां, जिन्हें हरी चटनी के साथ परोसा जाता है. गर्मी के मौसम में यह ठंडा कांजी पेय शरीर को ठंडक देता है और पाचन के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.
मनमोहन के ठेले पर मिलने वाले दही बड़े भी लोगों के पसंदीदा हैं. नर्म दही बड़े, चटपटी इमली की चटनी और हरे मसालों से सजी यह डिश स्वाद में कमाल है.
विदेशों तक पहुंचा है गाजियाबाद का यह स्वाद
मनमोहन गर्व से बताते हैं कि उनके कांजी के बड़े की ख्याति अब विदेशों तक पहुंच चुकी है. अमेरिका, कनाडा और दुबई से लोग फोन पर मसालों की रेसिपी पूछते हैं. जो एनआरआई भारत आते हैं, वे इस ठेले पर आना नहीं भूलते. यही इसकी लोकप्रियता और विश्वसनीयता को दर्शाता है.
स्वाद नहीं, विरासत है
आधुनिक समय में भी जब हर चीज डिजिटल हो रही है, मनमोहन का यह ठेला गाजियाबाद की पारंपरिक पहचान और स्वाद को जिंदा रखे हुए है. यह सिर्फ एक स्टॉल नहीं, बल्कि उस विरासत का प्रतीक है जिसे स्वाद, मेहनत और परंपरा ने मिलकर गढ़ा है.