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Lucknow News: करीब 200 साल पुरानी इस परंपरा की शुरुआत अवध के तीसरे नवाब मोहम्मद अली शाह ने की थी. 1832 में छोटे इमामबाड़े के निर्माण के साथ इस ‘शाही किचन’ की नींव रखी गई थी. तब से लेकर आज तक यह किचन लगातार मोहर…और पढ़ें
लखनऊ का ‘शाही किचन’
करीब 200 साल पुरानी इस परंपरा की शुरुआत अवध के तीसरे नवाब मोहम्मद अली शाह ने की थी. 1832 में छोटे इमामबाड़े के निर्माण के साथ इस ‘शाही किचन’ की नींव रखी गई थी. तब से लेकर आज तक यह किचन लगातार मोहर्रम के नौ दिनों तक जरूरतमंदों को खाना खिलाने का काम करता आ रहा है.
शाही किचन की खास बात यह है कि यहां आज भी पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी भोजन तैयार होता है. नवाबी दौर में यह रसोई स्वयं नवाब की निगरानी में चलती थी. आज भी शाही घरानों में लाल कपड़े में ढका तबर्रुक बड़े अदब से पहुंचाया जाता है. सातवीं मोहर्रम को मेवे और फल भी गरीबों में वितरित किए जाते है.
यह किचन केवल मोहर्रम तक सीमित नहीं, बल्कि रमज़ान में भी सेवाएं देता है. यह दर्शाता है कि लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सेवा की संस्कृति आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी दो सदियों पहले थी.

काशी के बगल चंदौली से ताल्लुक रखता हूं. मुझे बिजेनस, सेहत, स्पोर्टस, राजनीति, लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें पढ़ना पसंद है. मैंने मीडिया में करियर की शुरुआत ईटीवी भारत से की थी. डिजिटल में पांच साल से ज्या…और पढ़ें
काशी के बगल चंदौली से ताल्लुक रखता हूं. मुझे बिजेनस, सेहत, स्पोर्टस, राजनीति, लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें पढ़ना पसंद है. मैंने मीडिया में करियर की शुरुआत ईटीवी भारत से की थी. डिजिटल में पांच साल से ज्या… और पढ़ें