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एकनाथ शिंदे के ‘जय गुजरात’ नारे ने महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता की राजनीति को फिर उभार दिया है. उद्धव ठाकरे, आदित्य और संजय राउत ने इसे ‘बीजेपी की गुलामी’ बताया. कांग्रेस ने भी शिंदे पर निशाना साधा. ये विवाद ‘ब…और पढ़ें
एकनाथ शिंदे के ‘जय गुजरात’ पर भड़की शिवसेना (फाइल फोटोज)
हाइलाइट्स
- डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के ‘जय गुजरात’ का नारा लगाने पर सियासी विवाद
- उद्धव की शिवसेना (UBT) ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बताया
- शिंदे ने सफाई दी, कहा कि वे गुजरात समुदाय के कार्यक्रम में थे
Anti Gujarat Politics In Maharashtra: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने पुणे में जैसे ही ‘जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात’ का नारा लगाया, राजनीतिक भूचाल आ गया. विपक्ष ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बताया. आदित्य ठाकरे ने इसे भाजपा की गुलामी बताया. संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की धरती पर ‘जय गुजरात’ का नारा पहले कभी नहीं सुना गया. शिंदे ने सफाई दी कि वो गुजरात समुदाय के कार्यक्रम में थे, इसलिए ‘जय गुजरात’ कहा. देवेंद्र फडणवीस ने समर्थन करते हुए कहा कि शरद पवार ने भी कभी कर्नाटक में ‘जय कर्नाटक’ कहा था. लेकिन यह सफाई शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और मनसे को संतुष्ट नहीं कर सकी. सवाल उठने लगे कि क्या महाराष्ट्र में गुजरात का प्रभुत्व बढ़ रहा है.
इसका जवाब सिर्फ राजनीति में नहीं, इतिहास और सामाजिक चेतना में भी छिपा है. बॉम्बे यानी मुंबई की पहचान को लेकर मराठी राजनीति हमेशा असहज रही है. क्योंकि हकीकत यह है कि इस शहर को पारसियों, मुसलमानों और गुजराती व्यापारियों ने बनाया. महाराष्ट्रीय समाज का परंपरागत केंद्र पुणे और नागपुर रहे हैं. मुंबई तो आर्थिक राजधानी बनी लेकिन संस्कृति में मिश्रित. 1960 में महाराष्ट्र बना और मुंबई उसकी राजधानी बनी. लेकिन तब भी बॉम्बे पर महाराष्ट्र का अधिकार विवादित रहा.
महाराष्ट्र और ‘मराठी अस्मिता’ की राजनीति
1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना बनाई. उद्देश्य था कि मुंबई में मराठी लोगों को नौकरी मिले. शुरुआती हमला दक्षिण भारतीयों पर हुआ, फिर उत्तर भारतीयों पर. बाद में शिवसेना ने गुजराती और मारवाड़ी व्यापारियों को भी निशाना बनाया. मराठी अस्मिता की राजनीति यहीं से शुरू हुई.
अब जब एकनाथ शिंदे ‘जय गुजरात’ बोलते हैं, तो शिवसेना को यह केवल एक नारा नहीं लगता. यह प्रतीक बन जाता है उस खतरे का, जिसमें उन्हें लगता है कि मुंबई फिर बाहरी लोगों के हाथ में जा सकती है. इसलिए यह मामला भावनाओं से भी जुड़ गया है.
उद्धव ठाकरे पहले भी आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी और शाह गुजरात को बाकी भारत से ऊपर रख रहे हैं. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री की हर योजना का केंद्र गुजरात होता है. चाहे वेदांता-फॉक्सकॉन हो या एयरबस प्रोजेक्ट, कई बड़े निवेश महाराष्ट्र से गुजरात चले गए. यह आक्रोश अब सड़कों पर नजर आ रहा है.