Monday, July 7, 2025
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झोपड़ी में चलती है ये 50 साल पुरानी बेनाम पेड़े की दुकान, स्वाद ही पहचान, कभी 1 रुपये थी कीमत…आज भी वही जलवा!


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Famous Peda Of Palamu Prepared In Hut: बेहतरीन स्वाद, बड़ी दुकान या बड़े ब्रांड का मोहताज नहीं होता, इसका जीता-जागता उदाहरण है झोपड़ी में चलने वाली ये दुकान. बड़े बड़े विज्ञापनों और चकाचौंध वाली शॉप्स के इस दौर में पलामू की ये छोटी सी दुकान शुद्धता और स्वाद का ऐसा संगम देती है कि लोग आंख मूंदकर इस पर भरोसा करते हैं. 

आपने पेड़ा तो कई बार खाया होगा लेकिन इस बेनामी झोपड़ी के पेड़े जैसा स्वाद नहीं चखा होगा. इसे खाने के बाद आप इसके दीवाने हो जाएंगे. ब्रांड और बड़े बड़े विज्ञापन से दूर शुद्धता और स्वाद का भरोसा इस जगह की पहचान है. ये पलामू जिले में है, जिसका एक बार स्वाद चख लेने के बाद आप बार-बार इसे खाना पसंद करेंगे.

दरअसल, पलामू जिले के डाल्टनगंज पांकी मुख्य पथ के किनारे यह झोपडी में होटल है. जो कि महावीर मोड़ समीप स्थित है. यह होटल लगभग 50 वर्ष पुराना है. जिसे राज किशोर प्रसाद ने शुरू किया था. जिनके बिजनेस को आगे बढ़ा रहे है उनके बेटे आनंद कुमार जायसवाल. जब दुकान की शुरुआत हुई थी तब 1 रुपए पिस पेड़ा मिलता था. आज उसी पेड़े की कीमत 10 रुपए हो गई है. यहां पेड़ा के साथ साथ नाश्ता भी मिलता है.

पलामू जिले के डाल्टनगंज पांकी मुख्य पथ के किनारे झोपड़ी में होटल है, जोकि महावीर मोड़ के पास है. यह होटल लगभग 50 साल पुराना है. इसे राज किशोर प्रसाद ने शुरू किया था. इनके बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं उनके बेटे आनंद कुमार जायसवाल. जब दुकान की शुरुआत हुई थी तब 1 रुपए पीस पेड़ा मिलता था. आज उसी पेड़े की कीमत 10 रुपए हो गई है. यहां पेड़े के साथ-साथ नाश्ता भी मिलता है.

संचालक आनंद कुमार ने लोकल18 को बताया कि रोजाना लगभग 60 लीटर दूध से पेड़ा तैयार होता है. जो कि गांव से हीं भैंस और गाय के शुद्ध दूध को इकठ्ठा कर तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस दुकान में न तो कोई बोर्ड लगा है. और न हीं कोई नाम है. लेकिन यहां के पेड़े का स्वाद लेने वाले इसके दीवाने जरूर बन जाते है.

दुकान संचालक आनंद कुमार ने लोकल 18 को बताया कि रोजाना लगभग 60 लीटर दूध से पेड़ा तैयार होता है. जोकि गांव से ही भैंस और गाय के शुद्ध दूध को इकठ्ठा कर बनता है. उन्होंने बताया कि इस दुकान में न तो कोई बोर्ड लगा है और न ही इसका कोई नाम है. लेकिन यहां के पेड़े का स्वाद लेने वाले इसके दीवाने जरूर बन जाते हैं.

पेड़ा तैयार होने में 3 से 4 घंटे तक का लंबा समय लगता है. जिसके लिए सबसे पहले दूध को लकड़ी की धीमी आंच पर करीब 3 घंटे तक दूध खौलाया जाता है. जिसके बाद खोवा तैयार होने के दौरान इसमें चीनी और गुड़ दोनों को हल्की मात्रा में मिलाया जाता है. जिसके बाद पेड़ा तैयार हो जाता है. उन्होंने कहा कि चीनी और गुड़ दोनों मिलाने के कारण इसका स्वाद बढ़ जाता है.

पेड़ा तैयार होने में 3 से 4 घंटे तक का लंबा समय लगता है. जिसके लिए सबसे पहले दूध को लकड़ी की धीमी आंच पर करीब 3 घंटे तक खौलाया जाता है. इसके बाद खोवा तैयार होने पर इसमें चीनी और गुड़ दोनों को हल्की मात्रा में मिलाया जाता है. इसके बाद पेड़ा तैयार होता है. उन्होंने कहा कि चीनी और गुड़ दोनों मिलाने के कारण इसका स्वाद बढ़ जाता है.

आगे उन्होंने बताया कि 1993 से वो इस दुकान को संभाल रहें है. जहां की 10 से 12 किलो पेड़े की डिमांड रोज होती है. उन्होंने बताया कि जब वो दुकान की शुरुआत किए थे. तब पेड़ा 5 रुपए पिस और 200 रुपए किलो था. वहीं अब पेड़े की कीमत 10 रुपए पिस और 450 रुपए किलो हो गया है. उन्होंने कहा कि सड़क से गुजरने वाले दूर दराज से लोग यहां रुककर पेड़ा का स्वाद लेते है.

वे आगे कहते हैं कि 1993 से वे इस दुकान को संभाल रहे हैं. यहां 10 से 12 किलो पेड़े की डिमांड रोज होती है. जब दुकान की शुरुआत की थी तब पेड़ा 5 रुपए पीस और 200 रुपए किलो था. वहीं अब पेड़े की कीमत 10 रुपए पीस और 450 रुपए किलो हो गया है. उन्होंने कहा कि सड़क से गुजरने वाले दूर दराज के लोग यहां रुककर पेड़े का स्वाद लेते हैं.

ब्रांड और बड़े बड़े विज्ञापनों व चकाचौंध वाली दुकानों के इस दौर में पलामू की यह दुकान साबित करती है कि अगर आप शुद्धता और स्वाद का भरोसा दें तो पक्के ग्राहक बनाए जा सकते हैं. इस दुकान के पेड़े की रेसिपी समेत यहां की खासियत है. जो यहां के पेड़े की डिमांड दूर दूर तक है.

ब्रांड और बड़े बड़े विज्ञापनों व चकाचौंध वाली दुकानों के इस दौर में पलामू की यह दुकान साबित करती है कि अगर आप शुद्धता और स्वाद का भरोसा दें तो पक्के ग्राहक बनाए जा सकते हैं. इस दुकान के पेड़े की रेसिपी में ऐसा कुछ खास नहीं पर स्वाद इस कदर खास है कि दूर-दूर तक इसकी डिमांड है.

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झोपड़ी में चलती है ये 50 साल पुरानी बेनाम पेड़े की दुकान, स्वाद ही इसकी पहचान!



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