लोकल 18 ने किशन पकौड़ी वाले की दुकान पर पहुंचकर सुरेश लोधा से बातचीत की, जो सालों से पकौड़ियां बना रहे हैं. सुरेश लोधा बताते हैं कि बारिश के मौसम में पकौड़ियों की खूशबू ही उनके जायके की खास पहचान है. बारिश में लोग हमारी पकौड़ियों के इतने दीवाने हैं कि दुकान खुलने का इंतजार करते हैं, ताकि उन्हें गरम-गरम पकौड़ियों का स्वाद मिल सके.
सुरेश लोधा कहते हैं कि वैसे तो हर घर में बारिश के मौसम में पकौड़ियां बनती हैं, हालांकि उनका स्वाद वैसा नहीं होता है. पकौड़ियों का असली स्वाद अलग-अलग प्रकार की दालों और खास मसालों से आता है. जैसे हमारे यहां विशेष तौर पर सालों पुराने दादाजी के जायके में शामिल खास मसालों से पकौड़ियां बनाई जाती हैं, जिसका स्वाद लोगों को सबसे ज्यादा पसंद आता है.
40 प्रकार के मसालों से दादा तैयार करते थे पकौड़ियां
सुरेश लोधा बताते हैं कि 60 साल पहले उनके दादाजी किशन सिंह लोधा ने ठेले से पकौड़ियां बनाने की शुरुआत की थी. इसमें वह पुराने समय की तकनीक, जिसमें पत्थर के सिलबट्टे पर घंटों तक अलग-अलग दालों को पीसकर खास मसालों का उपयोग करते थे. उन्होंने इसे पूरी तरह से सीक्रेट रखा और आज तक यह सीक्रेट है.
सुरेश लोधा बताते हैं कि पकौड़ियों के असली स्वाद चटनी के बिना अधूरा होता है, इसलिए हम अलग-अलग मसालों से पकौड़ियों के साथ खास चटनी भी ग्राहकों को सर्व करते हैं.
किशन पकौड़ी वाले के पकौड़ियों के स्वाद के साथ लोग उनके पकौड़ी बनाने के अंदाज को भी खूब पसंद करते हैं. यहां गरम कढ़ाई और खोलते तेल में पकौड़ी को हाथ से निकालते हैं, जिसे देखकर लोग चौंक जाते हैं. सुरेश लोधा बताते हैं कि वैसे तो हमारी पकौड़ियों की डिमांड पूरे साल रहती है, लेकिन बारिश के मौसम में हर दिन लोग यहां 30-40 किलो पकौड़ियां चट कर जाते हैं.
पहले 1 रुपये किलो बिकती थी पकौड़ियां
सुरेश लोधा बताते हैं कि जब उनके दादाजी ने किशन पकौड़ी वाले की दुकान पर पकौड़ियां बनाने की शुरुआत की थी, तब 1 रुपये किलो से भी कम भाव हुआ करता था. समय के साथ पकौड़ियों की डिमांड और महंगाई के साथ कीमत भी बढ़ी. आज हमारे यहां पकौड़ियों का भाव 280 रुपये किलो है, लेकिन जिसने एक बार हमारी पकौड़ियों का स्वाद चखा है, वह दोबारा कभी कीमत नहीं पूछता. ग्राहकों को बेहतरीन पकौड़ियों का स्वाद ही यहां खींच लाता है.