Monday, July 7, 2025
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Sawan 2025 Shivling Sthapana: सावन में करनी है शिवलिंग स्थापना? शिव पुराण से जानें सही विधि, पू


Sawan 2025 Shivling Sthapana: शास्त्रों के अनुसार जिस व्यक्ति पर शिव जी की कृपा होती है उसके सारे काम बन जाते हैं, जीवन में आने वाली परेशानियों का उसे तंज मात्र आभास नहीं होता है. इस संसार में शिव जी को मानने वालों की संख्या अनेक हैं, खासकर शिव भक्तों को सावन का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि इस दौरान भोलेनाथ कैलाश नहीं बल्कि पृथ्वी पर निवास करते हैं.

महादेव को प्रसन्न करना है तो उनके शिवलिंग रूप की पूजा सबसे अचूक मानी जाती है. वैसे तो अधिकतर हिंदू घरों में शिवलिंग होता है लेकिन अगर आप सावन में घर में शिवलिंग की स्थापना करना चाहते हैं तो इससे जुड़ी नियम जान लें, तभी इसकी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

सावन में घर में कैसे करें शिवलिंग की स्थापना ?

इस साल सावन 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है. ऐसे में जो लोग शिवलिंग की स्थापना करना चाहते हैं तो सावन सोमवार का दिन चयन करें. ये दिन शिव जी को समर्पित है.

कहां से लाएं शिवलिंग – घर में नर्मदेश्वर तट (नर्मदा नदी के किनारे) पर पाए जाने वाले पत्थर से बने शिवलिंग की स्थापना करना सबसे अच्छा माना जाता है. पूजा घर में स्थापित करें. दरअसल नर्मदेश्वर शिवलिंग में दिव्य ऊर्जा का वास माना जाता है. ऐसा करने से आध्यात्मिक लाभ, सुख-समृद्धि और ग्रहों के दोषों का निवारण होता है. धातु (चांदी, तांबे, पीतल) से बने शिवलिंग भी घर में रखना शुभ है.

कैसा हो आकार – घर में ज्याद बड़े आकार का शिवलिंग नहीं रखना चाहिए, आप लगभग 4-6 इंच यानी हाथ के अंगूठे से छोटे का शिवलिंग ही घर में स्थापित करें.

सही स्थान – स्थान का चयन: शिवलिंग की स्थापना के लिए घर के उत्तरी-पूर्वी कोने (ईशान कोण) का चयन करना उत्तम होता है. पूजन के समय भक्त का मुख पूर्व दिशा की ओर हो और शिवलिंग पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए.

शिवलिंग की संख्या –  शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है और शिव एक ही हैं, इसलिए घर में एक ही शिवलिंग रखें, एक ही स्थान पर उनके लिए अलग-अलग प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

शिवलिंग पूजा – शिवलिंग घर में रख रहे हैं तो रोजाना जलाभिषेक करें. शिवलिंग पर कोई भी द्रव्य अर्पित करते समय एक खास मंत्र का उच्चारण करें. मंत्र है- ‘ऊं नमः शंभवाय च,मयोभवाय च, नमः शंकराय च, मयस्कराय च, नमः शिवाय च, शिवतराय च’.

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