कौन हैं पंचेन लामा?
तिब्बती बौद्ध परंपरा में पंचेन लामा दलाई लामा के पुनर्जन्म की पहचान करते हैं. पंचेन लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग पंथ के एक प्रमुख धार्मिक नेता होते हैं, जो दलाई लामा के बाद दूसरे सर्वोच्च लामा माने जाते हैं. पंचेन लामा को ताशी ल्हुन्पो मठ (शिगात्से, तिब्बत) का प्रमुख माना जाता है. यह पद अवतारी (पुनर्जन्म लेने वाले) लामाओं की परंपरा पर आधारित है.
पंचेन लामा का पद तिब्बती बौद्ध धर्म में आध्यात्मिक और राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में यह चीन-तिब्बत संघर्ष का केंद्र बना हुआ है. वास्तविक तौर पर दोनों पदों का अस्तित्व एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है. पंचेन लामा को ‘पंडित बौद्ध गुरु’ कहा जाता है.
दलाई लामा ने 1995 में गेंदुन चोक्यी न्यिमा को पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी लेकिन चीन ने उसको परिवार के साथ गायब कर दिया.
1995 में क्या हुआ पंचेन लामा का विवाद
मान्यता देने के तीन दिन बाद ही चीन ने कार्रवाई करते हुए 17 मई 1995 को गेंदुन चोक्यी न्यिमा और उनके माता-पिता को अगवा कर लिया. तभी से गेंदुन चोक्यी न्यिमा को ‘दुनिया का सबसे कम उम्र का राजनीतिक बंदी’ कहा जाने लगा.
तब से उन्हें किसी ने नहीं देखा
कभी कहा गया कि वे बीजिंग के पास किसी ‘सुरक्षित स्थान’ पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. 2007 और 2010 में कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उन्होंने गैर-धार्मिक जीवन जीने का विकल्प चुना है.
संयुक्त राष्ट्र में भी पूछा गया सवाल
दलाई लामा आज भी गेंदुन चोक्यी न्यिमा को 11वें पंचेन लामा मानते हैं. उन्होंने कभी भी इस बारे में दावा नहीं किया कि वे गेंदुन चोक्यी न्यिमा से मिले हैं या संपर्क में हैं. उनका हमेशा कहना रहा है, “वे जहां भी हैं, सुरक्षित रहें, और जल्द दुनिया उन्हें देख सके.”

ये चीन सरकार द्वारा पंचेन लामा है, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की देखरेख में रहता है. चीन की संसद में शिरकत भी करता है.
चीन ने बनाया अपना पंचेन लामा
चीनी पंचेन लामा का जीवन कैसा है
चीन का पंचेन लामा बीजिंग और ल्हासा (तिब्बत) में विशेष सरकारी सुरक्षा में आलीशान सरकारी आवास में रहता है. उसको सरकारी एस्कॉर्ट, लिमोज़िन कार और VIP सुविधाएं मिली हुई हैं. सेना हमेशा सेक्युरटी में लगी होती है. उन्हें चीन की धार्मिक अफेयर्स एडमिनिस्ट्रेशन और कम्युनिस्ट पार्टी से विशेष वेतन और खर्च मिलता है. उसे बीजिंग में विशेष धार्मिक और राजनीतिक शिक्षा दी गई.
दलाई लामा और तिब्बती निर्वासित सरकार का रुख
निर्वासित तिब्बती सरकार और दलाई लामा ने गेंदुन चोक्यी न्यिमा को ही पंचेन लामा माना है. चीन द्वारा घोषित ग्याल्त्सेन नोरबू को तिब्बती बौद्ध भिक्षु और आम तिब्बती ‘कठपुतली पंचेन लामा’ मानते हैं. दलाई लामा ने पंचेन लामा विवाद से सबक लेकर अपने उत्तराधिकारी की व्यवस्था खुद जीवित रहते करने का फैसला किया है.
चीन की चाल क्या है
पंचेन लामा के ज़रिए चीन तिब्बती बौद्ध धर्म और उसकी परंपराओं पर कब्ज़ा स्थापित करना चाहता है. भविष्य में जब दलाई लामा नहीं रहेंगे, तो चीनी सरकार अपने पंचेन लामा से दलाई लामा के पुनर्जन्म की मान्यता दिलवाकर धार्मिक सत्ता हथियाना चाहती है.