Tuesday, July 8, 2025
Homeराज्यदिल्लीखबर हटके- 100 में से 257 मार्क्स, फिर भी फेल: ऊंट...

खबर हटके- 100 में से 257 मार्क्स, फिर भी फेल: ऊंट के आंसुओं से हो रही हजारों की कमाई; जानिए दिनभर की 5 रोचक खबरें


4 घंटे पहलेलेखक: कृष्ण गोपाल

  • कॉपी लिंक

बिहार यूनिवर्सिटी में एक स्टूडेंट को एग्जाम में 100 में से 257 मार्क्स मिले, इसके बावजूद वो फेल हो गई। वहीं, राजस्थान के किसान ऊंट के आंसुओं से हजारों की कमाई कर रहे हैं।

ऐसी ही कुछ रोचक खबरें जो बीते दिन दुनिया में चर्चा में रहीं। आइए जानते हैं…

अगर मैं कहूं कि एग्जाम में किसी को 100 परसेंट से ज्यादा नंबर मिलें और फिर भी वह फेल हो गया, तो क्या आप यकीन करेंगे। नहीं, न… लेकिन ऐसा बिहार में हुआ है।

बाबा साहब भीमराव बिहार यूनिवर्सिटी ने एक स्टूडेंट को 100 नंबर के एग्जाम में 257 मार्क्स दिए। इसके बावजूद उसे पास नहीं सिर्फ प्रमोट ही किया गया।

यूनिवर्सिटी ने 1 जुलाई की देर शाम पोस्ट ग्रेजुएशन का रिजल्ट जारी किया। यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड आरडीएस कॉलेज की एक स्टूडेंट ने जब अपना रिजल्ट चेक किया तो वो हैरान रह गई।

उसे हिन्दी सब्जेक्ट के 30 नंबर के प्रैक्टिकल में 225 नंबर दिए गए थे। पेपर में उसे कुल 257 मार्क्स दिए गए थे। इसके बाद भी उसे पास नहीं किया गया था। उसकी मार्क शीट में ‘प्रमोटेड’ लिखा हुआ था।

स्टूडेंट ने जब यूनिवर्सिटी से कॉन्टैक्ट किया तो पता चला कई स्टूडेंट्स के रिजल्ट में गड़बड़ी है। एग्जाम कंट्रोलर प्रो. डॉ. रामकुमार ने बताया कि एक्सल शीट में टाइपिंग एरर की वजह से ऐसा हुआ है। इसे ठीक करवाया जा रहा है।

बिहार के सरकारी स्कूलों में लड़कियां ज्यादा

केंद्र सरकार की एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASAR) के अनुसार बिहार के सरकारी स्कूलों में पहली क्लास के 31.9% बच्चों को 9 तक की गिनती नहीं आती। वहीं, तीसरी क्लास के 62.5% बच्चे जोड़-घटाने के सवाल हल नहीं कर पाते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में एडमिशन का प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा बिहार में है। इनमें लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या ज्यादा होती है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में लड़कों की संख्या ज्यादा होती है। राज्य के ग्रामीण इलाके में 6 से 14 साल के 80 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। नेशनल लेवल पर यह आंकड़ा 66.8% है।

राजस्थान के किसान ऊंट के आंसुओं के जरिए हजारों की कमाई कर रहे हैं। दरअसल, बीकानेर के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल (NRCC) ने ऊंटों में सांप के जहर से लड़ने की क्षमता का पता लगाया है।

NRCC के साइंटिस्ट्स ने एक रिसर्च में ऊंटों को खतरनाक सॉ-स्केल्ड वाइपर स्नेक का जहर दिया गया। इसके बाद ऊंटों के आंसुओं और ब्लड सैंपल्स लिए गए। इससे पता चला कि ऊंट में जहर की एंटीबॉडीज बन चुकी थीं। इसने सांप के जहर के असर को इफेक्टिवली रोक दिया।

चौंकाने वाली बात ये है कि घोड़ों से बनने वाले सांप के एंटीवेनम की तुलना में इनसे एलर्जी का खतरा भी बहुत कम है। इसके अलावा ऊंटों ने एंटीबॉडीज निकालना सस्ता भी है। अब NRCC ऊंट पालने वाले किसानों को ऊंट के आंसू और ब्लड सैंपल देने के लिए बुला रहा है। इसके जरिए किसान प्रति ऊंट 5 से 10 हजार रुपए महीने की कमाई कर रहे हैं।

सांप काटने से भारत में हर साल 58 हजार मौतें

भारत में हर साल सांप काटने की वजह से 58 हजार लोगों की मौत हो जाती है। वहीं, करीब डेढ़ लाख लोग विकलांग हो जाते हैं। इनमें ज्यादातर मामले ग्रामीण इलाकों में सामने आते हैं।

चीन में साइंटिस्ट्स ने चूहे के डैमेज कान को फिर से बना दिया। इसे ‘ऑर्गन रीजनरेशन’ कहते हैं। ऐसा ‘जेनेटिक स्विचिंग’ यानी शरीर में बेजान पड़े जीन को एक्टिव करके किया गया। इस रिसर्च से इंसानों के भी डैमेज अंग दोबारा बनने की एबिलिटी विकसित करने में मदद मिलेगी।

दरअसल, रेटिनोइक एसिड डैमेज टिश्यूज को रिपेयर होने में मदद करता है। ये विटामिन- ए का एक प्रकार है। साइंटिस्ट्स ने चूहों में रेटिनोइक एसिड बनाने वाले एक जीन को एक्टिव कर दिया। इससे उसका डैमेज कान के टिश्यूज फिर से बन गए। साइंटिस्ट्स का कहना है कि अब वे रीढ़ की हड्डी के रीजनरेशन पर रिसर्च करेंगे।

चूहों पर ही क्यों किए जाते हैं ज्यादातर एक्सपेरिमेंट

अधिकतर एक्सपेरिमेंट्स और रिसर्च में चूहों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके शरीर की संरचना और जेनेटिक बनावट इंसानों से काफी मिलती-जुलती है।

इसका मतलब है कि चूहों पर किए गए प्रयोगों के नतीजे इंसानों पर लागू हो सकते हैं। इसके अलावा चूहों का प्रजनन दर बहुत ज्यादा होती है। इससे साइंटिस्ट कम समय में कई पीढ़ियों पर प्रयोग कर पाते हैं।

अमेरिका के विस्कॉन्सिन राज्य से गायब हुई महिला दूसरे राज्य में जिंदा मिली। विस्कॉन्सिन जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक 20 साल की ऑड्रे बैकबर्ग 1962 में लापता हो गई थी।

एक अधिकारी ने बताया कि इस साल की शुरुआत में ये केस एक जासूस को सौंपा गया था। जासूस ने जांच में पाया कि बैकबर्ग की बहन ने Ancestry.com पर अकाउंट बना रखा है। ये वेबसाइट लोगों की DNA रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों से उनके परिवार के इतिहास और पूर्वजों के बारे में जानकारी खोजने में मदद करती है।

इसके जरिए जासूस को कुछ नई जानकारियां मिली। इनमें दूसरे राज्य का एक एड्रेस भी था। जासूस ने जब वहां फोन किया तो पता चला कि एड्रेस पर वही 60 साल पहले लापता हुई महिला रहती है। महिला ने बताया कि वो निजी कारणों से खुद गायब हो गई थी। वह अपने फैसले से खुश है।

ब्रिटेन की जारा लॉक्लन ने एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है। ये 7 हजार किमी हाथ से नाव चलाकर यूरोप से साउथ अमेरिका पहुंच गईं। सफर पूरा करने में जारा को 97 दिन, 10 घंटे और 20 मिनट का समय लगा। वे बताती हैं कि दिन में 17 घंटे तक नाव चलाती थीं। कभी-कभी तो सिर्फ 3 घंटे ही सो पाती थीं।

ऐसा करके 21 साल की जारा ने 3 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए। वे किसी महासागर को अकेले पार करने वाली पहली महिला बनीं। इसके अलावा यूरोप से साउथ अमेरिका तक अटलांटिक महासागर पार करने वाली सबसे कम उम्र की इंसान और ऐसा करने वाली पहली महिला का रिकॉर्ड भी बनाया।

तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ…

खबर हटके को और बेहतर बनाने के लिए हमें आपका फीडबैक चाहिए। इसके लिए यहां क्लिक करें…

खबरें और भी हैं…



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments